भ्रष्टाचार अभियुक्त को नीतीश ने बनाया शिक्षा मंत्री

02:14 pm Nov 18, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' का नारा देने वाली बीजेपी और 'सुशासन बाबू' का तमगा पाने वाले जेडीयू के नीतीश कुमार की बिहार सरकार के शपथ ग्रहण करते हुए विवाद शुरू हो गया और भष्ट्राचार का आरोप लग गया। जिस मेवावाल चौधरी पर तीन साल पहले भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था, सुशील मोदी ने उनकी गिरफ़्तारी की मांग की थी, वे नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री हैं। मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने यह मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री पर तीखा हमला किया है और उन्हें पद से हटाने की माँग की है। 

मेवालाल चौधरी तारापुर से जनता दल यूनाइटेड के विधायक चुने गए हैं। आरजेडी ने उन्हें पद से हटाने की माँग करते हुए कहा है,  "नीतीश कुमार ने भ्रष्ट जेडीयू विधायक मेवालाल को मंत्री पद दिया है। यह नीतीश कुमार का दोहरा मापदंड है, जो स्वयं भ्रष्टाचार के 60 मामलों के मुखिया हैं। यह व्यक्ति कुर्सी के लिए किसी स्तर तक जा सकता है।"

घपले का आरोप

चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति पद पर रहते हुए सहायक प्रोफ़ेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्त में घपला किया था। तत्कालीन राज्यपाल राम नाथ कोविंद की अनुशंसा पर भागलपुर के सबौर थाने में मेवालाल के ख़िलाफ़ 20 फरवरी 2017 को मामला दर्ज किया गया था। नियुक्ति में कथित अनियमितता से जुड़ी कई शिकायतें मिलने के बाद राज्यापाल ने उनके ख़िलाफ़ जाँच की सिफारिश की थी।

मेवालाल चौधरी पर धारा 409 (विश्वास तोड़ने), 420 (धोखाधड़ी), 467 ( जमानत में रखी मूल्यवान चीजों की धोखाधड़ी), 468 (ठगने के मक़सद से धोखाधड़ी), 471 (फ़र्जी काग़ज़ात को असली बता कर पेश करना) और 120 बी (साजिश) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।

ये आरोप लगाए जाने के तीन दिन बाद ही उन्हें जदयू से निकाल दिया गया था।

सुशील मोदी ने गिरफ़्तारी की माँग की थी

उस समय बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुशील मोदी ने कहा था, "हम उनकी तुरन्त गिरफ़्तारी की माँग करते हैं। यदि उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया, हम सदन में यह मुद्दा उठाएंगे।" यह वही सुशील मोदी हैं जो बाद में नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री बने। उनकी पार्टी बीजेपी नीतीश सरकार में शामिल है और ज़ाहिर है, आज पार्टी इस पर चुप हैं। 

सुशील मोदी उस समय विपक्ष के नेता थे, मेवालाल की गिरफ़्तारी की माँग की थी।

अग्रिम ज़मानत

मेवालाल चौधरी ने अग्रिम ज़मानत की याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की थी और उन्हें 22 अगस्त 2017 को अग्रिम ज़मानत मिल गई। वह जनवरी 2018 में पार्टी में लौट आए।

चौधरी बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति 2010 से 2015 तक थे। विश्वविद्यालय ने 2011 में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर व जूनियर साइंटिस्ट के 281 पदों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला। साल 2012 में सामान्य वर्ग के 161 पदों पर नियुक्ति कर दी गई। इसके लिए 2,500 लोगों को इंटरव्यू में बुलाया गया था।

पार्टी से निकाले गए थे

बाद में इंटरव्यू में फेल हुई एक प्रार्थी अनामिका कुमारी ने शिकायत दर्ज कराई। दूसरे कई लोगों ने भी शिकायत की। इसकी जाँच हुई और 63 पेजों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई। वह रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई और राज्यपाल ने मेवालाल चौधरी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया।

कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने चौधरी के शिक्षा मंत्री बनाए जाने पर कहा, "भ्रष्टाचार में शामिल व्यक्ति और उस पर भी जूनियर प्रोफ़ेसर की नियुक्ति में हुए घपले से जुड़े आदमी को शिक्षा मंत्री बनाए जाने से भ्रष्टाचार एकदम बर्दाश्त नहीं करने के नीतीश कुमार के दावे की पोल खुल जाती है।"

पत्नी की संदेहास्पद मौत का मामला

मेवालाल चौधरी एक दूसरे विवाद में भी फंसे हुए हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने बिहार के पुलिस महानिदेशक को एक चिट्ठी लिख कर मेवालाल की पत्नी नीरा चौधरी की मत्यु की जाँच कराने की मांग की है। नीरा चौधरी को जली हुई स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 2 जून, 2019 को उनकी मौत हो गई थी। दास का आरोप है कि नीरा चौधरी को मेवालाल के घपलों की जानकारी थी।

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि अमिताभ दास को क़ानूनी नोटिस दी जाएगी। लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनका कहना है कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है।