बिहार विधान परिषद के चुनाव में जैसी तकरार सरकार चला रही एनडीए के अंदर है वैसी ही विपक्षी महागठबंधन में भी है। विधान परिषद की 24 सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव में जहां बीजेपी और जेडीयू ने अपने सहयोगियों हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी को कोई सीट नहीं दी है, उसी तरह आरजेडी ने भी कांग्रेस के लिए कोई सीट नहीं छोड़ी है।
आरजेडी ने कहा है कि वह सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
एनडीए में हुए सीट बंटवारे में जेडीयू को 11 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को 13। बीजेपी अपने कोटे में से 1 सीट केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को देगी।
इससे वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी बेहद नाराज हैं और उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी हालांकि उनके चारों विधायक एनडीए के साथ ही रहेंगे।
एनडीए के दूसरे सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इस मामले में ज्यादा मुखर नहीं हैं।
लेकिन महागठबंधन में लड़ाई ज्यादा है क्योंकि आरजेडी ने एक तरफा फैसला लेते हुए 23 सीटें अपने पास रख ली हैं और 1 सीट सीपीआई को दी है।
आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर उनका सहयोगी दल है। तिवारी ने कहा कि हमें एनडीए से लड़ने के लिए मजबूत उम्मीदवारों की जरूरत है और कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवार नहीं हैं।
बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने इस बारे में कहा कि अब कांग्रेस सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
पिछले साल खराब हुए थे रिश्ते
कांग्रेस और आरजेडी के रिश्तों में खटास बीते साल दो विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव के दौरान भी देखने को मिली थी। तब आरजेडी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए थे और कांग्रेस ने भी ऐसा ही किया था। इसका फायदा एनडीए को मिला था और उसने दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा था और इस वजह से वह अपने सहयोगी दलों के ही निशाने पर आ गई थी। कांग्रेस ने बिहार में खुद को मजबूत करने के लिए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किया है।