जिस नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही बिहार सरकार के ख़िलाफ़ आन्दोलन से की, उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध बहुत ही कड़ा कदम उठाया है। वे खुद बिहार सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करने के अपराध में जेल गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के ख़िलाफ़ आन्दोलन करने वालों को इससे क़ड़ा दंड देने का फ़ैसला किया है।
बिहार सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा है कि जो लोग बिहार सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, उन्हें सरकारी ठेका वगैरह भी नहीं दिया जाएगा।
सरकारी आदेश में पुलिस महकमे से कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी तरह का विरोध प्रदर्शन वगैरह करता है तो उसके चरित्र सत्यापन यानी पुलिस से दिए जाने वाले कैरेक्टर सर्टिफिकेट में उसे विशेष रूप से लिखा जाए।
क्या लिखा है पत्र में?
प्रशासन की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है, ''यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पात्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए।" इसमें आगे कहा गया है,
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"ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्यों कि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पाएंगे।''
बिहार सरकार का पत्र
इसमें इसके आगे कहा गया है, ''प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संबंधित थाना द्वारा सभी अभिलेखों यथा- अपराध अनुक्रमणी भाग-2 अल्फाबेटिकल पंजी, प्राथमिकी, आरोप-पत्र एवं अन्य सभी आवश्यक अभिलेखों का अध्ययन किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में चूक नहीं होनी चाहिए। पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन पूर्ण और सही-सही हो, यह संबंधित थानाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।''
हिटलर से तुलना
विपक्ष ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। राष्ट्रीय जनता दल के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश की तुलना हिटलर और मुसोलिनी जैसे तानाशाहों से की है। उन्होंने ट्वीट किया, ''मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं, अगर किसी ने सत्ता-व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे। बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे हैं?''मौलिक अधिकार का हनन?
इसके साथ ही व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। संविधान के अनुच्छेद 19 में साफ लिखा है कि नागरिकों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत हर नागरिक को क़ानून के दायरे में रह कर धरना-प्रदर्शन करने का हक़ है।
इससे यह साफ होता है कि नीतीश कुमार सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है और नागरिकों को मिले अधिकार को कुचल रही है। यह वह सरकार कर रही है, जिसके मुखिया आपातकाल के ख़िलाफ़ आन्दोलन में भाग ले चुके हैं और उस मामले में जेल जा चुके हैं।