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बीजेपी 200, जेडीयू 243ः बिहार में सीटों पर बयानबाजी क्या गुल खिलाएगी?

बीजेपी 200, जेडीयू 243ः बिहार में सीटों पर बयानबाजी क्या गुल खिलाएगी?

बिहार में बीजेपी और जेडीयू की खटास बढ़ती जा रही है। हद तो यह है कि गठबंधन के दोनों दल अब अपनी-अपनी सीटों पर तैयारी के दावे तक करने लगे हैं। अभी गृह मंत्री अमित शाह पटना आए तो उनसे जेडीयू के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मुलाकात तक नहीं की, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना की वजह से किसी से नहीं मिल रहे हैं।

इस समय बिहार के अलावा शायद ही कोई दूसरा राज्य हो जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष में होने वाली बयानबाजी से अधिक सत्ता में शामिलदो प्रमुख दलों के बयानों की जंग सुर्खियों में रहती है। इस कड़ी में ताजा बयान yrpshr की तरफ से यह आया है कि 200 विधानसभासीटों पर की तैयारी कर रही है। इसके जवाब में जेडीयू ने कहा है कि उसकी तैयारी सभी 243 सीटों के लिए है।

इस बयानबाजी के ठीक बाद यानी 30 और 31 जुलाई को बीजेपी के मोर्चों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में संपन्न हुई है। इसकार्यक्रम के आखिरी दिन यानी रविवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पटना आये, जोरदार भाषण दिया मगर उनकी मुलाकात मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार से नहीं हो पायी क्योंकि कुमार को कोरोना होने का पता पिछले सप्ताह ही लगा था और आइसोलेशन में होने के कारण वेकिसी से मिल नहीं रहे हैं।

नीतीश कुमार के इस आइसोलेशन को सत्ता के गलियारों में राजनैतिक कोरेन्टीन के तौर पर देखा जा रहा है। उनका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में न जाना पहले से ही चर्चा का विषय है। अभी तक इस बारे में नीतीश कुमार का आधिकारिक जवाब नहीं आया है। लेकिन हो सकता है कि वे यही कहें कि चूूंकि उनकी तबीयत खराब थी और बाद में कोरोना का भी पता चला, इसलिए उनका उससमारोह में न जाना कोई खास बात नहीं। उनका जवाब अपनी जगह लेकिन उनकी ओर से उस समय ऐसी कोई बात नहीं कही गयीथी, इसलिए यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और बीजेपी में सबकुछ सही नहीं चल रहा है।

बीजेपी और जेडीयू के नेता ऐसी कई बातें लंबे समय से कर रहे हैं जिनसे दोनों दलों के बीच खटास का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। यह बात वास्तव में इसी मोर्चों की कार्यकारिणी की बैठक के पहले की है। उस समय यह कहा गया था कि देश भर के सभी मोर्चों के 700 राष्ट्रीय नेता बिहार के 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास करेंगे और घूम-घूम कर लोगों से मिलेंगे।

स्वाभाविक रूप से यह सवाल पूछा गया कि आखिर 200 सीटों पर इस तैयारी का संदेश क्या है और बाकी 43 सीटें कौन सी हैं क्योंकिबिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं और 2020 में जदयूू को 43 सीटें ही मिली थीं। इसका यह मतलब निकाला गया कि बीजेपी वास्तव मेंयह संदेश देना चाहती है कि जेडीयू के लिए 2025 में वह महज वही 43 सीटें छोड़ना चाहती है।

इधर, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी 243 सीटों पर तैयारी कर रही है और यह हर पार्टी का अधिकार है।अब इस बयान को जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री बिजेंद्र प्रसाद के बयान से जोड़कर देखना चाहिए जिसमें उन्होंने एनडीए में समन्वय कीकमी की बात कही थी।

यह तो थी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पटना में दिये गये भाषण के पहले की बात। अब पटना में दिये गये उनके भाषण की प्रमुखबात यह है कि 2024 और 2025 के चुनाव की सारी चर्चा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केन्द्रित थी और ’बिहार में एनडीए के चेहरा’नीतीश कुमार चर्चा से बाहर थे।

अमित शाह ने दावा किया कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी से अधिक सीटें जीतेगी। अभी बिहार की 40 विधानसभा सीटों में 39 पर तो एनडीए का ही कब्जा है तो क्या वे महज एक सीट के बारे में यह बात कह रहे थे या उनका इरादा जेडीयू और स्वर्गीय रामविलास पासवान के समय जीती गयी लोजपा की सीटों को भाजपा के कब्जे में दिलाने का है? यह सवाल जेडीयू को जरूर सालेगा। शाह ने यह भी कहा कि दोनों चुनाव यानी 2024 का लोकसभा और 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। बीजेपी चाहे जितनी बार यह बात कहे कि बिहार में गठबंधन धर्म निभाया जाएगा, शाह की ये बातें जेडीयू नेताओं का आत्मविश्वास डिगाने वाली हैं।

यही नहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो क्षेत्रीय दलों पर निशाना साधते हुए यहां तक कह दिया कि देश में सिर्फ बीजेपी रह जाएगी।बीजेपी और जेडीयू के नेता यह कह सकते हैं कि उन्होंने तो कांग्रेस को भी नहीं बख्शा लेकिन नड्डा का यह बयान जेडीयू जैसे क्षेत्रीयदलों के लिए खतरे की घंटी है जिसके सहारे बीजेपी बिहार में 2005 से सत्ता में आयी और 2015-17 को छोड़कर नतीश कुमार को हीएनडीए का चेहरा मानने को मजबूर रही है।

यह बात अब ढकी छिपी नहीं है कि बीजेपी के एक धड़ेे को साफ तौर पर यह लगने लगा है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद सेहटाया जाए और बिहार का किला भी बीजेपी के हवाले हो जाए। बीजेपी के नेता दो तरह से नीतीश कुमार को ’उनकी असल जगह’बताते रहते हैं। एक तो इस बात को लेकर कि नीतीश कुमार तीसरे नंबर की पार्टी के नेता हैं और दूसरे अपने उन बयानों से जिनसेनीतीश कुमार असहज होते हैं और अल्पसंख्यकों में उनकी छवि को चुनौती मिलती हैं। 

मिसाल के लिए जब नीतीश कुमार बिहार में जातीय जनगणना के लिए बीजेपी को तैयार होने पर मजबूर कर इसके आयोजन की कैबिनेट से मंजूरी हासिल कर ली तो बीजेपी ने जनसंख्या नियंत्रण नीति का मुद्दा गरमाना चाहा। इसके अलावा मदरसों और अन्य विवादस्पद मुद्दों के बारे में भी बीजेपी नेता बयान देते रहते हैं।

इन सबके बीच यह चर्चा भी अपनी जगह है कि लंबे समय से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर हमले बोलना बंद याकम कर दिया है। दोनों ओर से पुनर्मिलन के प्रयासों की चर्चा भी गर्म है। ऐसे में नीतीश कुमार का अमित शाह के पटना में होते हुए नमिल पाना और जेडीयू नेताओं का भी बीजेपी नेताओं से मिलने से परहेज करना यूंही नहीं है भले वे यह कहें कि वे तो दिल्ली में मिलते रहते हैं।

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