विवादों में फंसे कोश्यारी ने शाह को लिखा खत, कहा- मार्गदर्शन करें
भगत सिंह कोश्यारी ने जब से महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद संभाला है तभी से वह किसी न किसी विवाद में फंसते रहे हैं। पिछले दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज के ऊपर टिप्पणी कर विवादों में फंसे भगत सिंह कोश्यारी ने अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर अपनी परेशानी बताई है।
राज्यपाल कोश्यारी ने गृह मंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा है कि उन्होंने जब से महाराष्ट्र के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया है तभी से वह महाराष्ट्र के महापुरुषों के दर्शन करते रहे हैं और उन्होंने कभी महापुरुषों का अपमान नहीं किया।
कोश्यारी का कहना है कि मीडिया ने उनके बयानों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जिसके बाद में विवाद पैदा हुआ है। ऐसे में वह पशोपेश में हैं कि आखिर क्या करें।
कोश्यारी ने चिट्ठी में लिखा है कि जब वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे तो केंद्र सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बना कर भेजा था। लेकिन जब वह महाराष्ट्र के महापुरुषों के बारे में बातचीत करते हैं तो उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में अमित शाह बताएं कि उन्हें क्या करना चाहिए।
विपक्ष ने खोला मोर्चा
सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने यह खत 6 दिसंबर को गृह मंत्री को लिखा था। कोश्यारी ने यह खत उस समय लिखा है जब महाराष्ट्र में सभी विरोधी पक्ष की पार्टियां उन्हें निशाना बना रही हैं और उनके इस्तीफे की मांग कर रही हैं। यहां तक कि 17 दिसंबर को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ-साथ दूसरे विपक्षी दलों ने मुंबई में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ एक बड़े लॉन्ग मार्च का आयोजन किया है।
इस मार्च में कोश्यारी के इस्तीफे की मांग एक बार फिर से दोहराई जाएगी।
कोश्यारी ने गृह मंत्री को लिखे खत में यह भी लिखा है कि विपक्षी दल तो उनका विरोध कर ही रहे हैं लेकिन बीजेपी के सांसद उदयनराजे भोसले और मराठा आरक्षण समाज के लोग भी उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
कोश्यारी ने खत में लिखा है कि उन्होंने कभी भी छत्रपति शिवाजी महाराज या फिर दूसरे महापुरुषों के ऊपर कोई ऐसी टिप्पणी नहीं की है जिससे बवाल हो। मीडिया में उनके बयान को एडिट करके चलाया जा रहा है जिसकी वजह से लोगों में गलतफहमियां पैदा हुई हैं।
इस खत में कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र करते हुए कहा है कि जब कोरोना काल में पूरा देश बंद था तो वह महाराष्ट्र के किलों जैसे शिवनेरी, सिंहगढ़, प्रतापगढ़ और रायगढ़ पर गये थे और इन किलों पर वे हेलीकॉप्टर से नहीं बल्कि अपनी गाड़ी से और पैदल चलकर गये थे। ऐसे में इन महापुरुषों के अपमान का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। कोश्यारी ने लिखा है कि पिछले 30 सालों में वह महाराष्ट्र के ऐसे पहले राज्यपाल हैं जिन्होंने इन किलों पर जाकर महापुरुषों के दर्शन किए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज मेरे हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
कोश्यारी ने लिखा है कि साल 2016 में उन्होंने घोषणा की थी कि वह ना तो कोई चुनाव लड़ेंगे और ना ही कोई राजनीतिक पद लेंगे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेम की वजह से उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद संभाला था।
कोश्यारी ने आगे लिखा है कि उन्हें माफी मांगने में कभी कोई गुरेज नहीं है लेकिन वह छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और गुरु गोविंद जैसे महानुभावों का अपमान करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते। इसलिए उचित सलाह के लिए वह यह खत लिख रहे हैं।
हटाने की मांग
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस के नेता भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर उन पर निशाना साध चुके हैं और उन्हें हटाए जाने की मांग कर चुके हैं। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि यह पहला मौका नहीं है कि राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ किया हो। इससे पहले भी उन्होंने ऐसे कई बयान दिए हैं जिससे महाराष्ट्र की जनता में पहले से ही काफी गुस्सा है।
पवार ने कहा कि इससे पहले भी भगत सिंह कोश्यारी ने सावित्री बाई फुले और मराठी-गुजरातियों को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। यही कारण है कि महाराष्ट्र के सभी विपक्षी दलों ने 17 दिसंबर को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ एक बड़े लॉन्ग मार्च का आयोजन किया है जिसमें उन्हें राज्यपाल पद से हटाने की मांग की जाएगी।