क़र्ज़माफ़ी और राज्य की वित्तीय अवस्था
- वादा - कांग्रेस अध्यक्ष ने 10 दिनों में क़र्ज़माफी के आदेश जारी करने का किया है वादा। चुनाव घोषणा पत्र में दो लाख तक के क़र्ज़माफी का किया है एलान।
- वर्तमान स्थिति - दो लाख करोड़ से ज्यादा के क़र्ज़ में डूबा है मध्य प्रदेश। पिछले तीन महीनों में शिवराज सरकार ने लिया है 1900 करोड़ का नया क़र्ज़। क़र्ज़ के ब्याज की अदायगी पड़ रही है भारी। कर्मचारियों को तनख्वाह और पेंशन बाँटना हुआ मुश्किल। नया बजट आने से पहले लेने पड़ेंगे और नए क़र्ज़।
- कितना और ख़र्च - किसानों पर है 77.21 हज़ार करोड़ रुपये का क़र्ज़। क़र्ज़माफ़ी के फ़ॉर्मूले के हिसाब से तुरंत चाहिए 20 हज़ार करोड़ रुपये। रिज़र्व बैंक है सख़्त, नए क़र्ज़ मिलने की राह नहीं है आसान।
बेहद ज़रूरी वित्तीय कामकाज़ और अपने कर्मचारियों को समय पर तनख़्वाह बाँटने के लिए पिछले दो-तीन महीनों से कर्ज़ ले कर जैसे-तैसे गुज़ारा कर रही शिवराज सरकार आख़िरकार चली गई। अब नई सरकार और उसके मुखिया, कमलनाथ के सामने सबसे बड़ी और कड़ी चुनौती राज्य के किसानों से किए गए क़र्ज़माफ़ी के वादे को अपनी शपथ के 10 दिनों के भीतर पूरा करने की है।
भारी क़र्ज़ में डूबा है एमपी
शिवराज सरकार मध्य प्रदेश को पौने दो लाख करोड़ से भी ज़्यादा का क़र्ज़ विरासत में दे गई है। इमदाद बाँटकर चुनाव जीतने के लिए लागू की गई अनेक योजनाओं में अकेली संबल योजना के लिए शिवराज सरकार पर 10 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ पिछले साल भर में चढ़ा। इसी साल चुनाव के ठीक पहले अक्टूबर और नवंबर महीने में तीन बार सरकार को 1900 करोड़ रुपये का नया क़र्ज़ लेना पड़ा। इस कुल क़र्ज़ पर ब्याज की अदायगी बढ़ती चली जा रही है।राज्य के खज़ाने के हाल बेहद खस्ता हैं। नया बजट नहीं आने तक अगले तीन महीने खींचना बेहद भारी होगा। बिना नया क़र्ज़ लिए ज़रूरी कामकाज़ और समय पर तनख़्वाह बाँटना संभव नज़र नहीं आ रहा है। ऐसे में कमलनाथ सरकार और प्रदेश की नौकरशाही के सामने बड़ा सवाल नई सरकार द्वारा 10 दिनों के भीतर क़र्ज़ माफ़ी किए जाने का आ खड़ा हुआ है। हालाँकि कांग्रेस की सरकार बनने की संभावनाएँ बनते देख नौकरशाही ने क़र्ज़माफी से जुड़ा होमवर्क कर लिया है। यहाँ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में दो लाख रुपये तक किसानों के सभी तरह के क़र्ज़ माफ करने की घोषणा की है।
तुरंत चाहिए 20 हज़ार करोड़
कृषि और सहकारिता विभाग द्वारा किए गए होमवर्क के अनुसार 30 सितंबर 2018 तक प्रदेश के 41 लाख किसानों पर मौजूदा कृषि क़र्ज़ 56 हज़ार 377 करोड़ और 22 लाख 18 हज़ार किसानों पर 14 हज़ार 344 करोड़ रुपये (सभी प्रकार के क़र्ज़) का एनपीए है। दोनों मदों को जोड़ कर यह 70 हज़ार 721 करोड़ रुपये हो रहा है। बीच का रास्ता निकालते हुए क़र्ज़माफी का जो प्रस्तावित फ़ॉर्मूला ड्राफ़्ट हुआ है, उसे अमली जामा पहनाने के लिए ही 20 हज़ार करोड़ रुपये की तुरंत आवश्यकता होगी।कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार रात मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ के नाम का एलान होने के ठीक पहले मीडिया से भोपाल में कहा कि क़र्ज़माफी का वादा पूर्ण करने में नई सरकार को कठिनाई पेश नहीं आएगी। दिग्विजय सिंह ने दावा तो यह भी किया कि ‘कैबिनेट की पहली बैठक में ही इस वादे को पूरा करने के बारे में नई सरकार निर्णय ले लेगी।’
क़र्ज़माफ़ी पर हैं किसानों की निगाहें
क़र्ज़माफ़ी पर किसानों की निगाहें हैं। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मध्य प्रदेश की हर चुनावी सभा में इस मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाया है। उन्होंने कहा है, ‘सरकार के शपथ लेने के दस दिन के भीतर क़र्ज़माफी का आदेश जारी हो जाएगा, ऐसा नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री को बदल दिया जाएगा।’ गाँधी की इसी घोषणा ने ब्यूरोक्रेसी का बीपी बढ़ा रखा है।कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ अभी नहीं ली है, लेकिन उन्होंने अपनी और कांग्रेस अध्यक्ष की पहली प्राथमिकता से नौकरशाही को बाक़ायदा ‘अवगत करा कर’ काम पर लगा रखा है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत समूची बीजेपी ने इस इशू पर कमर कस रखी है। बीजेपी 109 सीटों के साथ भारी-भरकम विपक्ष के रूप में सामने है। कांग्रेस के क़र्ज़माफी के वादे को लेकर शिवराज ने संकेतों में कहा है, ‘दस दिन दूर नहीं है, नाई-नाई कितने बाल - जल्दी सामने आ जाएँगे।’
प्रदेश के निवर्तमान वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी इस मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया है। दमोह से चुनाव हार गए मलैया का कहना है, ‘कांग्रेस ने राज्य की आर्थिक हालत को समझे बिना ही अनाप-शनाप चुनावी वादे कर डाले हैं।’ राज्य की भाजपा सरकार में 10 साल वित्त मंत्री रहे राघव जी भी कह रहे हैं, ‘मप्र के खजाने के हालात बुरे हैं। क़र्ज़ माफ़ी कांग्रेस का वादा है, उसे पूरा करना ज़रूरी है। इससे खज़ाने के हालात और बदतर हो जाएँगे।’
इधर, वित्त विभाग के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया है कि शिवराज सरकार ने बीती 5 अक्टूबर को 500 करोड़, 12 अक्टूबर को 600 करोड़ और 9 नवंबर को 800 करोड़ का क़र्ज़ लिया है। नई सरकार को जनवरी से मार्च तक हालात बेक़ाबू होने से बचाने के लिए अभी और लोन लेना पड़ेगा। नौकरशाह दावा कर रहे हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक बेहद सख़्त हो चुका है, ऐसे में नई सरकार को बहुत ज़्यादा क़र्ज़ मिल पाएगा, ऐसा नहीं लग रहा है। भारी खींचतान करने पर हज़ार-दो हज़ार करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ नहीं मिल सकेगा।
अफ़सरों ने साधा मौन
क़र्ज़माफी को लेकर हुए होमवर्क के बारे में प्रदेश के नौकरशाह फ़िलहाल आधिकारिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। महक़मे के एक अधिकारी ने आॅफ-द-रेकॉर्ड कहा, ‘आने वाली सरकार की प्राथमिकताओं और घोषणापत्र के वादों को पूरा करना अधिकारियों की स्वाभाविक ज़िम्मेदारी है। सरकार बनने के बाद जो आदेश अफ़सरों को मिलेंगे, उनका मुस्तैदी से पालन किया जाएगा।'नहीं आएगी दिक़्क़त
मध्य प्रदेश में लंबे वक्त तक कृषि और सहकारिता महक़मे में प्रमुख सचिव के पद पर तैनात रहे और बाद में अपर मुख्य सचिव बनने के बाद वीआरएस लेने वाले मध्य प्रदेश काडर के वरिष्ठ रिटायर्ड आईएएस अफ़सर प्रवेश शर्मा ने satyahindi.com से कहा, ‘मध्य प्रदेश ही नहीं, देश भर के किसानों को मदद की दरकार है। पिछले 5-6 सालों से किसान प्रकृति की मार के साथ फ़सल के समुचित दामों के लिए संघर्षरत है।’एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश में आने वाली सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में यदि वादा किया है तो क़र्ज़माफ़ी में बहुत कठिनाई पेश नहीं आएगी। राशि चाहे कितनी ही बड़ी हो, नीतिगत फ़ैसले के लिए राशि की व्यवस्था की जा सकती है।’ उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा की गई क़र्ज़माफी का स्मरण कराते हुए यह भी कहा कि - ‘नकद राशि नहीं जुटानी है, बुक में लेन-देन होना है। कठिनाई पेश नहीं आएगी।’