'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म पर नफ़रत को बढ़ावा देने का आरोप क्यों लग रहा है? इस सवाल का जवाब फ़िल्म के आलोचक तो दे ही रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि फ़िल्म के समर्थक और इसको बढ़ावा देने के लिए बड़ी क़ीमत चुकाने को भी तैयार लोगों की प्रतिक्रिया के क्या मायने हैं? क्या हो यदि जो बात इसके आलोचक कह रहे हैं उसकी पुष्टि फ़िल्म के समर्थकों की प्रतिक्रियाओं से भी हो?
सिनेमाघरों में फ़िल्म के प्रदर्शन के दौरान कुछ दर्शकों द्वारा की गई नारेबाज़ी वाले वीडियो तो आपने सोशल मीडिया पर देखे ही होंगे। वीडियो में आम तौर पर तो वे आम दर्शक लगते हैं और कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर मुसलिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत वाली नारेबाज़ी या भाषणबाज़ी एक सामान्य प्रतिक्रया लगती है, लेकिन उनकी सच्चाई जान आप भी हैरान रह जाएंगे!
सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग के दौरान जो नफरती नारेबाज़ी और भाषण वाले वीडियो आए हैं उनमें वे लोग शामिल हैं जो पहले से ही नफ़रत और घृणा फैलाने के कारण चर्चा में रहे हैं। ये दिल्ली में 'गोली मारो... को' नारे से जुड़े रहे हैं, ये किसानों के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का विरोध करने वालों से जुड़े रहे हैं, ये 'लव जिहाद' की घृणा फैलाने वाले, मुसलिमों के आर्थिक बहिष्कार करने वाले ही रहे हैं, ये मुसलिमों के ख़िलाफ़ हिंदुओं को एकजुट करने का आह्वान करने वाले हैं, ये हरिद्वार की धर्म संसद से जुड़े रहे हैं, ये हिंदुवादी संगठनों से जुड़े रहे हैं। क्या आपको पता है कि इन सबमें समानता क्या है? नफ़रत और मुसलिम विरोध?
हिंदुत्ववादी नेता पिंकी चौधरी को तो आप जानते ही होंगे। उनके क़रीबी राकेश सिसोदिया को पिछले साल जंतर मंतर पर नफ़रती भाषण के मामले में गिरफ्तार किया गया था। यही राकेश सिसोदिया ने ग्रामीणों के एक समूह को प्रोजेक्टर पर द कश्मीर फाइल्स को स्ट्रीम किया। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर मुसलमानों से बदला लेने की मांग करते हुए भड़काऊ पोस्ट डाली। उन्होंने पोस्ट में लिखा, 'क्या हमें कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसका बदला नहीं लेना चाहिए, आपके पड़ोस में मुसलमान अभी कम संख्या में हैं लेकिन अगर उनकी संख्या बढ़ती है तो यह स्थिति हर जगह पैदा होगी। सावधान रहें।'
पश्चिम दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने भी एक वीडियो साझा किया है। इस वीडियो में एक अज्ञात व्यक्ति को एक थिएटर में अपने भाषण में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'अगर हम धर्मनिरपेक्षता नहीं छोड़ते हैं तो कश्मीर के बाद यह केरल और पश्चिम बंगाल में दोहराया जाएगा। हमने दिल्ली में दंगे देखे हैं जिसमें ताहिर हुसैन ने नेगी की हत्या की थी।'
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के प्रचार के दौरान परवेश वर्मा ने कहा था कि अगर शाहीन बाग जारी रहा तो दिल्ली में कश्मीर जैसी स्थिति बन जाएगी और वे घरों में घुसेंगे और 'बहनों और बेटियों' का बलात्कार करेंगे।
ऐसे ही एक वीडियो में से जो काफ़ी ज़्यादा वायरल हुआ था उसमें दीपक सिंह हिंदू और विनोद शर्मा दिखे थे। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार ये दोनों सांप्रदायिकता फैलाने के अभियान से जुड़े रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार ये दोनों 30 जनवरी, 2020 को दिल्ली के बाहर किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शामिल रहे थे। उन्होंने मीडिया के सामने खुद को 'लोगों की असुविधा से नाराज़ स्थानीय प्रदर्शनकारियों' के रूप में पेश किया था, जबकि वे हिंदुत्व प्रायोजित भीड़ का हिस्सा थे। दक्षिणपंथी संगठन हिंदू फोर्स के नेता दीपक सिंह हिंदू इस साल मार्च में द कश्मीर फाइल्स देखने गए थे तो थियेटर के बाहर नारेबाज़ी को लेकर पुलिस से बहस हुई थी। उन्होंने 23 फ़रवरी 2020 की सुबह हिंदुओं से मौजपुर में एक 'धार्मिक युद्ध' के लिए इकट्ठा होने का आह्वान किया था। यह वही मौजपुर है जो दो साल पहले उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुसलिम विरोधी हिंसा का केंद्र था। जंतर मंतर पर नफ़रती भाषण व जनसंहार का आह्वान करने के आरोप में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था।
जंतर मंतर नफ़रती भाषण के आरोपी सुदर्शन वाहिनी प्रमुख विनोद शर्मा उर्फ आजाद विनोद द कश्मीर फाइल्स के लिए मूवी टिकट प्रायोजित कर रहे हैं। अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने घोषणा की कि वह इस फिल्म को 18-30 वर्ष की कम से कम 200 युवा हिंदू महिलाओं को 'लव जिहाद' के बारे में जागरूक करने के लिए दिखाना चाहते हैं। 14 मार्च, 2022 को उन्होंने G3S सिनेमा रोहिणी में 150 हिंदू महिलाओं के लिए प्रायोजित मूवी टिकट होने का दावा किया। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म के बाद उन्होंने थिएटर में दर्शकों को संबोधित किया और मुसलमानों के प्रति आगाह किया, 'यह हमारा अतीत है। लेकिन अगर आप उन्हें नहीं समझते हैं तो यही आपका भविष्य होगा'।
थिएटर के बाहर उन्होंने हिंदुओं से एक हिंदू महिला को कम से कम एक टिकट उपहार में देने का आग्रह किया ताकि 'वे सूअरों के लव जिहाद में न फँस जाएँ'।
18 मार्च को उनके संगठन सुदर्शन वाहिनी ने कथित तौर पर मध्य प्रदेश के बड़वानी में 100 और हिंदू महिलाओं के टिकटों को प्रायोजित किया। विनोद शर्मा ने अपने फेसबुक पर लिखा, 'हिंदुओं ने धर्मनिरपेक्षता नहीं छोड़ी तो कश्मीर में जो हुआ वह दोहराया जाएगा।'
दक्षिणपंथी हिंदू सेना के नेता सुशील तिवारी को जंतर मंतर नफरती भाषण मामले में गिरफ्तार किया गया था। तिवारी को अब लखनऊ में फिल्म देखने के बाद हिंदुओं को चेतावनी देते हुए देखा जा सकता है। वह वीडियो में कहते हैं, 'अगर हिंदू अब भी नहीं जागे तो 30 साल पहले कश्मीर में जो हुआ वह 15 साल बाद पूरे देश में दोहराया जाएगा।' उन्होंने मुसलिम बच्चों को 'सँपोले' क़रार देते हुए कहा कि 'जो आज 14-15 वर्ष के हैं वे वयस्क हो जाएंगे और अगले 15 वर्षों में वे यूपी विधानसभा में बहुमत में होंगे और फिर देश के हिंदुओं का कश्मीर के हिंदुओं की तरह ही हश्र होगा।'
एक अन्य वायरल वीडियो में थिएटर में एक अज्ञात व्यक्ति ने दर्शकों को आक्रामक रूप से संबोधित करते हुए हिंदुओं से आह्वान किया कि वे मुसलमानों को और अधिक आबादी बढ़ाने से रोकें। उसने वीडियो में कहा, 'यदि प्रत्येक पुरुष एक मुसलिम महिला से शादी करता है, तो हम अगली तीन पीढ़ियों में उनकी आबादी को कम कर सकते हैं। उनकी औरत से शादी करो और बच्चे पैदा करो। जब हम यहां बैठकर फिल्म देख रहे हैं तो वे अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं।'
'गोली मारो... को'
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा जिस 'गोली मारो ...को' नारे को लगाया था उसी नारे को आरएसएस से जुड़े हिंदू जागरण मंच के सदस्यों ने द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद एसआरएस सिनेमा, बिजनौर से बाहर निकलते हुए लगाए। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, 'देशद्रोहियों को गोली मारो' का नारा लगाने वाले प्रमुख सदस्यों में से एक बिजनौर के हिंदू जागरण मंच के जिला महासचिव क्षत्रिय अंशुल आर्य थे। उन्होंने खुद हिंदू जागरण मंच के कई अन्य सदस्यों के साथ अपने फेसबुक प्रोफाइल पर वीडियो पोस्ट किया है।
बिजनौर के एक अन्य थिएटर से एक अन्य वीडियो में अज्ञात पुरुषों को मुसलमानों के ख़िलाफ़ नरसंहार के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है- 'जब मुले काटे जाएंगे राम राम चिल्लाएंगे'। जामिया शूटर द्वारा जुलाई 2021 में हरियाणा महापंचायतों में 'मुल्ले काटे जाएंगे...' का नारा लगाया गया था। एक महीने बाद यह नारा 7 अगस्त, 2021 को जंतर मंतर पर बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय और अन्य हिंदुत्व संगठनों द्वारा बुलाई गई रैली के दौरान लगाया गया था।
विनोद शर्मा मुसलिमों के आर्थिक बहिष्कार करने का आह्वान करते रहे हैं। दिल्ली के उत्तम नगर में पिछले साल मुसलिम रेहड़ी वालों के ख़िलाफ़ किए गए प्रदर्शन के दौरान विनोद शर्मा मौजूद थे। शर्मा मार्च 2020 में इंडिया गेट पर सुदर्शन न्यूज के प्रमुख सुरेश चव्हाणके के विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे।
द कश्मीर फाइल्स पर प्रतिबंध लगाने के एआईयूडीएफ़ नेता अजमल की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए हिंदुत्ववादी नेता आनंद स्वरूप ने सरकार से इसलाम और कुरान पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो में कहा, 'जब तक भारत में इसलाम और कुरान है, वे वही दोहराते रहेंगे जो उन्होंने कश्मीर में किया था।'
आनंद स्वरूप दिसंबर 2021 में हरिद्वार धर्म संसद में एक प्रमुख वक्ता थे जहां उन्होंने अपनी मांग पूरी नहीं होने पर भारत सरकार के ख़िलाफ़ 'युद्ध छेड़ने' की धमकी दी थी। उन्होंने एआईयूडीएफ़ नेता अजमल को चेतावनी दी कि अच्छा होगा कि वह हिंदू धर्म में परिवर्तित हो जाएँ।
वैसे, द कश्मीर फाइल्स के बारे में ऐसे नफ़रत वाले बयान और वीडियो न जाने कितने हैं, लेकिन बीजेपी इस फ़िल्म को अलग रूप में पेश कर रही है। वह कह रही है कि यह यथार्थ है और इसे हर भारतीय को देखना चाहिए। जबकि इस फ़िल्म की काफ़ी आलोचना भी हो रही है। इस फिल्म की आलोचनाओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने तो कह दिया है कि इस फिल्म को बदनाम करने की 'साजिश' की गई है।
आलोचकों को निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, 'वे गुस्से में हैं क्योंकि हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म उस सच्चाई को सामने ला रही है जिसे जानबूझकर छिपाया गया था। पूरी जमात जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का झंडा फहराया था, 5-6 दिनों से उग्र है। तथ्यों और कला के आधार पर फिल्म की समीक्षा करने के बजाय, इसे बदनाम करने की साज़िश की जा रही है।'
अब आप ही तय कीजिए कि इस फ़िल्म के ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है या यह फ़िल्म ख़ुद एक साज़िश है?