अमृतपाल सिंह शनिवार रात रोडेवाल गुरुद्वारा आया था। उसने खुद पुलिस को अपनी मौजूदगी के बारे में सूचित किया और कहा कि आप लोग आकर मुझे गिरफ्तार कर लो। यह बात न्यूज एजेंसी एएनआई ने मोगा में रोडेवाल गुरुद्वारा के सिंह साहिब ज्ञानी जसबीर सिंह रोडे के हवाले बताई है। नीचे ट्वीट किया गया। वीडियो देखिए। रोडे के गुरुद्वारे से ही अमृतपाल को पुलिस ने पकड़ा। हालांकि पुलिस इसे सरेंडर बता रही है लेकिन सोशल मीडिया पर अमृतपाल के समर्थक इसे सीधी गिरफ्तार बता रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है कि पंजाब के सिख धार्मिक नेताओं के दखल के बाद अमृतपाल को सरेंडर करना पड़ा। रोडे जनरैल सिंह भिंडरावाले का गांव है।
अपनी गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह ने आज रविवार 23 अप्रैल को सुबह पंजाब के मोगा में रोडेवाल गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
पंजाब पुलिस के सूत्रों ने बताया कि खालिस्तान समर्थक और कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह, जो एक महीने से अधिक समय से फरार था, को असम के डिब्रूगढ़ में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। अमृतपाल 18 मार्च से फरार था, जिस दिन पंजाब पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की थी।
अमृतपाल सिंह के करीबी पप्पल प्रीत सिंह को गिरफ्तार करने के बाद 11 अप्रैल को असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल ले जाया गया था।
इससे पहले शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी और उनके लंबे समय से फरार होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'ऐसा कभी हो सकता है. पहले वह खुलेआम घूमता था, लेकिन अब वह अपनी गतिविधियों को जारी नहीं रख सकता है।
पंजाब और दिल्ली पुलिस के एक संयुक्त अभियान में 18 अप्रैल को वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के दो और सहयोगियों को पंजाब के मोहाली में गिरफ्तार किया गया था।
15 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने उसके करीबी सहयोगी जोगा सिंह को फतेहगढ़ साहिब जिले के सरहिंद से गिरफ्तार किया।
कट्टरपंथी अमृतपाल को बाद में "भगोड़ा" घोषित किया गया था, जबकि वह मार्च में पहले ही भाग गया था। भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद उसकी दो कारों को जब्त कर लिया गया और बंदूकधारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने यह भी जांच कि क्या उसके सुरक्षा एस्कॉर्ट्स के हथियार कानूनी रूप से खरीदे गए थे। इस संबंध में भी मामला दर्ज है। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार करने से पहले कुल 78 लोगों को गिरफ्तार किया था।