ज़िला पंचायत अध्यक्ष पदों पर ज़्यादातर जगहों पर बीजेपी के जीत हासिल करने पर सपा नेता अखिलेश यादव ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए मतदाताओं का अपहरण किया और बल का प्रयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके लिए मतदाताओं को मतदान से रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन का सहारा लिया गया।
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में हार कर तीसरे नंबर पर पहुँची बीजेपी ने दावा किया है कि उसने जिला पंचायत अध्यक्षों के 75 पदों में से 67 पर जीत हासिल की है। इस चुनाव परिणाम के बाद इसमें धांधली का आरोप लगाते हुए अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का मजाक बना दिया है जो पहले कभी नहीं हुआ।
अखिलेश यादव ने तर्क दिया कि यह अजीब बात है कि ज़िला पंचायत सदस्यों के चुनाव में अधिकांश परिणाम सपा के पक्ष में रहे, जबकि ज़िला पंचायत प्रमुख के चुनाव में बजेपी को फायदा हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है और राज्य चुनाव आयुक्त को ज्ञापन सौंपने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल की तानाशाही साफ़ दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा की धांधली का विरोध करने पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से दुर्व्यवहार किया गया और ऐसा लग रहा था जैसे जनादेश के अपहरण के किए बीजेपी सरकार नंगा नाच करने पर उतारू है।
कई मामलों का हवाला देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के समर्थक सदस्य अरुण रावत का लखनऊ में अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा उम्मीदवार विजय लक्ष्मी को डीएम कार्यालय में बैठाया गया और उनके पति विधायक अंबरीश पुष्कर को उनसे मिलने से रोका गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध करने पर सपा कार्यकर्ताओं और महिलाओं के साथ अभद्रता की गई।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, बीजेपी को 65, एसपी को छह और अन्य को 4 सीटें मिली हैं। मुलायम सिंह यादव जिस मैनपुरी से सांसद हैं वहाँ भी बीजेपी का ज़िला पंचायत अध्यक्ष बन गया है।
बीएसपी ने इन चुनावों में हिस्सा नहीं लिया था और पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने जिला पंचायत सदस्यों को स्वविवेक से वोट देने को कहा था। कमोबेश सभी ज़िलों में यह स्वविवेक बीजेपी के पक्ष में ही गया लगता है।
कांग्रेस अध्यक्ष व रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी का प्रत्याशी भी हार गया है। यहां भी बीजेपी जीती है। पंचायत चुनावों में हारने और तीसरे नंबर पर पहुंचने के बाद चौतरफा हो रही किरकिरी के बीच बीजेपी के नेताओं ने दावा किया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में कम से कम 65 जिलों में उनका ही प्रत्याशी जीतेगा। नतीजे इन दावों से भी कहीं बढ़कर आए हैं।
सरकारी दबाव में चुनाव होने का आरोप लगाने वाली समाजवादी पार्टी को कई जगह भीतरघात का सामना करना पड़ा। उन्नाव से लेकर अयोध्या और बस्ती तक एसपी में क्रास वोटिंग नजर आयी।
अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में ज़रूर एसपी को भारी विजय मिली और कद्दावर नेता व हाल ही में बीएसपी छोड़कर आने वाले अंबिका चौधरी के बेटे ने बलिया सीट जीत ली। एटा, संतकबीरनगर में भी एसपी को जीत मिली है। खासी चर्चा में रहे बागपत जिले में एसपी-आरएलडी प्रत्याशी ममता किशोर ने जीत हासिल की है।