एक एक्टिविस्ट ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी के लिए विवादास्पद हिंदुत्व नेता यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए भारत के अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से उनकी सहमति मांगी है। नरसिंहानंद हाल ही में हरिद्वार 'धर्म संसद' में नफरत भरा भाषण देने के लिए चर्चा में रहे हैं, जिसमें मुस्लिम जनसंहार का आह्वान किया गया था। एक दिन पहले, जब उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में जितेन्द्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को पकड़ा तो यति नरसिंहानंद को पुलिस वालों से यह कहते सुना गया - "तुम सब मर जाओगे।"
एजी को लिखे पत्र में, कार्यकर्ता उस इंटरव्यू में नरसिंहानंद की टिप्पणी को "अपमानजनक" कहा है।
पत्र में कहा गया है कि नरसिंहानंद की नफरती भाषा मामले में "अदालत की कार्यवाही" के लिए कहा गया था। नरसिंहानंद ने तब देश के सुप्रीम कोर्ट और संविधान के लिए कहा था, "हमें भारत के सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है। संविधान इस देश के 100 करोड़ हिंदुओं को लील लेगा। इस संविधान को मानने वालों की हत्या कर दी जाएगी। जो लोग इस व्यवस्था में विश्वास करते हैं, इन राजनेताओं में, सुप्रीम कोर्ट में और सेना में, वे सभी कुत्ते की मौत मरेंगे।
पत्र में इस बातचीत की एक क्लिप का उल्लेख है जिसमें नरसिंहानंद कहता है, "जब जितेंद्र सिंह त्यागी ने वसीम रिज़वी के नाम से अपनी किताब लिखी, तो एक भी पुलिसकर्मी और हिजड़े' राजनेताओं में से एक में भी उसे गिरफ्तार करने का साहस नहीं था। ।"
पत्र में कहा गया है कि ये टिप्पणियां " संसदीय संस्था की महिमा और भारत के सुप्रीम कोर्ट में निहित अधिकार को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।"
यह टिप्पणियां संविधान और अदालतों की "अखंडता पर अपमानजनक बयानबाजी और आधारहीन हमलों" के माध्यम से हस्तक्षेप करने का एक नीच और स्पष्ट प्रयास है।
पत्र में कहा गया है, "इन टिप्पणियों पर कार्रवाई न होना शीर्ष अदालत के अधिकार को कम करने के इस प्रयास को सफल होने देना होगा। यदि पूरी तरह से नहीं तो काफी हद तक।"