उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम में मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि क्या किसानों से कोई वादा किया गया था, उसे पूरा क्यों नहीं किया गया। धनखड़ ने कहा कि किसान “पीड़ित” हैं और पिछले साल भी किसानों का आंदोलन हुआ था, लेकिन “हम कुछ नहीं कर रहे हैं।” धनखड़ की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब विभिन्न राज्यों में किसानों के धरना-प्रदर्शन चल रहे हैं या लंबे समय से आंदोलनरत हैं।
धनखड़ मुंबई में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIRCOT) की शताब्दी के अवसर पर एक समारोह में बोल रहे थे। केंद्रीय मंत्री मंत्री भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
मंच से ही चौहान से मुखातिब होते हुए धनखड़ ने कहा- “कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरे आप से आग्रह है, और भारत के संविधान के तहत दूसरे नंबर के पद पर विराजमान व्यक्ति आप से अनुरोध कर रहा है, कृपा करके मुझे बताएं, क्या किसानों से वादा किया गया था, किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया, वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है, कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ नहीं कर रहे हैं।”
धनखड़ ने कहा- “आप कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं। मुझे सरदार (वल्लभभाई) पटेल और देश को एकजुट करने की उनकी जिम्मेदारी की याद आती है, जिसे उन्होंने बहुत अच्छे से निभाया। यह चुनौती आज आपके सामने है और इसे भारत की एकता से कम नहीं माना जाना चाहिए।''
उपराष्ट्रपति ने हालांकि उने वादों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी, जिसका वो जिक्र कर रहे थे। वैसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीन कृषि कानून वापस लिए थे तो उस समय किसानों से कई वादे किए गए थे। सरकार ने 2022 में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को और अधिक "प्रभावी और पारदर्शी" बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति को अभी अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। किसान संगठन एमएसपी को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग कर रहे हैं।
धनखड़ ने अपने भाषण में आगे कहा कि अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो सभी की आय आठ गुना बढ़ानी होगी और इसमें किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा योगदान होना चाहिए। उन्होंने कहा, "मैं यह समझने में नाकाम हूं कि हम अर्थशास्त्रियों और थिंक-टैंकों के परामर्श से एक ऐसा फॉर्मूला क्यों नहीं बना सकते जिससे हमारे किसानों को लाभ मिले।"
धनखड़ ने कहा- “हम सभी को पता होना चाहिए कि क्या किसान से कोई वादा किया गया था? माननीय कृषि मंत्री जी, क्या पिछले कृषि मंत्रियों ने कोई लिखित वादा किया था? यदि हां, तो उनका क्या हुआ?...हम अपने ही लोगों से नहीं लड़ सकते, हम उन्हें ऐसी स्थिति में नहीं डाल सकते जहां उन्हें अपने आप लड़ने के लिए छोड़ दिया जाए। हम यह सोच नहीं रख सकते कि उनका संघर्ष सीमित होगा और वे अंततः थक जायेंगे।''
धनखड़ ने पूछा कि इस सप्ताह दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ कोई बातचीत क्यों नहीं की गई। अब तक कोई पहल नहीं होने से मुझे दुख और चिंता महसूस हो रही है। किसानों के साथ बातचीत तुरंत शुरू होनी चाहिए।
यह पहली बार नहीं है कि धनखड़ ने किसानों का मुद्दा उठाया है। रविवार को राजधानी में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''जब किसानों की समस्याएं जल्दी हल नहीं हो रही हैं तो हम कैसे सो सकते हैं... किसानों की समस्याओं का समाधान तेजी से होना चाहिए। अगर किसान संकट में हैं तो यह देश के गौरव के लिए बहुत बड़ा नुकसान है और ऐसा ज्यादातर इसलिए होता है क्योंकि हम अपनी आवाज अपने तक ही सीमित रखते हैं।''
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
उपराष्ट्रपति धनखड़ की टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति के कार्यालय से एक पोस्ट को टैग करते हुए, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा: “कांग्रेस लगातार यह सवाल पूछ रही है… एमएसपी पर कानूनी गारंटी कब वास्तविकता बनेगी? एमएसपी तय करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूला कब लागू होगा? किसानों को पूंजीपतियों के बराबर लाभ कब मिलेगा, जिन्हें कर्ज से राहत दी गई है?”