संसद में विपक्ष ने शीतकालीन सत्र के सातवें दिन भी संभल हिंसा, अडानी घूसकांड को लेकर नारेबाजी की और लोकसभा से वॉकआउट किया। हालांकि एक दिन पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सुचारू कामकाज के लिए सहमति बन गई थी। लेकिन स्पीकर ने संभल और अडानी मुद्दा उठाने नहीं दिया। इस पर विपक्षी सांसदों ने जमकर नारेबाजी की, तख्तियां लहराईं और सदन से वॉकउट कर गये।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "हम मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं... हम सदन के अंदर विरोध नहीं कर सकते, इसलिए हमने बाहर विरोध प्रदर्शन किया है।" कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने भी विपक्ष को प्रमुख मुद्दे उठाने से रोककर गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। रेणुका ने कहा- "हम यहां अपनी आवाज उठा रहे हैं, एक व्यक्ति के कारण सरकार छिप रही है। सरकार बात तो करे।"
उधर, इंडिया गठबंधन की पार्टियों के सांसदों ने अडानी घूसकांड के खिलाफ मंगलवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और मामले की संयुक्त संसदीय जांच की अपनी मांग दोहराई। कांग्रेस, आप, राजद, शिवसेना (यूबीटी), डीएमके और वाम दलों सहित अन्य सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए और जवाबदेही की मांग की।
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संसद परिसर में इंडिया के प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद शामिल नहीं हुए।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, आप के संजय सिंह, आरजेडी की मीसा भारती और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत ने भी संसद के मकर द्वार की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्ष संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग कर रहे हैं।
अरबपति अडानी पर अमेरिका में कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाए जाने के बाद, कांग्रेस ने कहा है कि वह उनके समूह से जुड़े विभिन्न "घोटालों" की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की अपनी मांग को "दोहराती" है। अमेरिका में अडानी समूह पर अभियोग लगने से विपक्षी दलों को बिजनेस समूह के लेनदेन की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग करने का नया मौका मिल गया है। जबकि सेबी ने जब अडानी के खिलाफ जांच की थी और क्लीन चिट दी थी तब से ही विपक्ष अडानी से जुड़े मुद्दे उठा रहा है।
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अडानी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। हालांकि अडानी समूह ने सभी आरोपों को "निराधार" बताया है।
सपा, टीएमसी प्रदर्शन से दूर
संसद परिसर में संयुक्त विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हुईं। टीएमसी सांसद समिक भट्टाचार्य ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए पार्टी पर "लोकतंत्र की मर्यादा को नुकसान पहुंचाने" और सदन को चलने नहीं देने का आरोप लगाया।
भट्टाचार्य ने कहा- "आप गठबंधन की स्थिति देख सकते हैं। कभी टीएमसी गायब है, तो कभी आप गायब है। जहां भी कांग्रेस लोगों के पास जाती है, वहां जनता उन्हें खारिज कर देती है। कांग्रेस के पास अब एक ही जगह है - जहां सदन को लो चलने नहीं देना चाहती।" उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस द्वारा इंडिया गठबंधन में तृणमूल की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा, "ममता बनर्जी चाहती थीं कि मल्लिकार्जुन खड़गे इस गठबंधन का चेहरा बनें... उन्हीं मल्लिकार्जुन खड़गे के आह्वान में अब टीएमसी शामिल नहीं है। यह सब अब एक नाटक है।"