उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तेज़ रफ़्तार जारी है और मंगलवार को 18,021 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 85 लोगों की मौत हुई है। राज्य में एक्टिव मामलों की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी हुई है और यह आंकड़ा 95,980 तक पहुंच गया है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज और वाराणसी सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। मंगलवार को लखनऊ में 5382, प्रयागराज में 1856, कानपुगर नगर में 1271 और वाराणसी में 1404 मामले सामने आए हैं।
इधर, मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत कुछ अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ख़ुद को आइसोलेट कर लिया है। योगी ने कहा है कि ये अधिकारी उनके संपर्क में रहे हैं, इसलिए एहतियातन वे ये क़दम उठा रहे हैं और सभी कार्य वर्चुअली कर रहे हैं।
क्वारेंटीन सेंटर की व्यवस्था करें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दूसरे प्रदेशों से पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने टीम-11 के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के जिन जिलों में प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं उन जिलों में क्वारेंटीन सेंटर की व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए। प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच, क्वारेंटीन, खाने-पीने की व्यवस्था के विशेष इंतजाम करने के आदेश सीएम ने बैठक में दिए।
योगी के मंत्री ने लिखा पत्र
प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर अस्पतालों, एंबुलेंस, जांचों की खस्ताहालत का जिक्र किया है। ब्रजेश पाठक राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी का पहले तो फोन तक नहीं उठता था और अब उठने लगा तो सुनवाई नहीं होती है।
पाठक ने लिखा है कि निजी पैथालोजी से होने वाली जांचें बंद हो गयी हैं। सरकारी जांच करने वालों को हर रोज 17000 किट की जरुरत है जबकि उन्हें केवल 10000 किट ही मिल पा रही हैं।
पाठक ने लिखा है कि लखनऊ में हर रोज 4000-5000 कोरोना रोगी मिल रहे हैं जबकि अस्पतालों में बेडों की संख्या काफी कम है। जांच की रिपोर्ट भी काफी देर में मिल पा रही है। मंत्री का कहना है कि अगर हालात काबू में नहीं आते हैं तो लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।