काबुल के मिलिट्री एयरपोर्ट पर रविवार को हुए बम धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई है। यह धमाका एयरपोर्ट के मुख्य दरवाजे के पास हुआ है। अभी तक धमाके की जिम्मेदारी किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है।
यह मिलिट्री एयरपोर्ट आम नागरिकों के लिए बनाए गए एयरपोर्ट से 200 मीटर की दूरी पर है और तालिबान सरकार के आतंरिक मंत्रालय के दफ्तर के नजदीक है।
न्यूज़ एजेंसी एपी के मुताबिक, आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल सईद ने कहा कि इस धमाके में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
तालिबान ने पिछले साल जब अफगानिस्तान की हुकूमत संभाली थी तो उसने सभी की हिफाजत का दावा किया था लेकिन लगातार बम धमाकों से ऐसा लगता है कि वहां आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है और लोग महफूज नहीं हैं।
एपी के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने बताया कि रविवार सुबह उन्हें जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। धमाके के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है और सारी सड़कों को बंद कर दिया गया।
सिलसिलेवार बम धमाके
सितंबर के आखिरी दिनों में अफगानिस्तान में एक शिक्षण केंद्र के बाहर जबरदस्त धमाका हुआ था और इसमें 20 से ज्यादा छात्र छात्राओं की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। इस शिक्षण केंद्र में छात्र-छात्राएं प्रवेश परीक्षा देने आए थे। यह धमाका शिया मुस्लिम बहुल इलाके में हुआ था। यहां पर अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोग भी रहते हैं। यहां इससे पहले भी कई बार इस तरह के आतंकी हमले हो चुके हैं।
काबुल में सितंबर महीने की शुरुआत में ही रूसी दूतावास के बाहर बम धमाका हुआ था इस धमाके को एक आत्मघाती हमलावर ने अंजाम दिया था और इसमें 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
काबुल में अगस्त में खैर खाना इलाके में स्थित सिद्दीकिया मस्जिद के अंदर धमाका हुआ था। धमाके में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हो गए थे। धमाका बहुत जबरदस्त था और इससे आसपास की इमारतों के शीशे टूट गए थे।
इस साल जून में काबुल में स्थित गुरुद्वारा करते परवान के परिसर में दो बम धमाके हुए थे। घटना के वक्त गुरुद्वारे में कई श्रद्धालु मौजूद थे। बम धमाकों में दो लोगों की मौत हुई थी और कुछ लोग घायल हुए थे। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कहा था कि उसने यह धमाके भारत में पैगंबर पर की गई टिप्पणियों के जवाब में किए थे।
11 जून को भी काबुल में बम धमाका हुआ था और उसमें कई लोग घायल हो गए थे। इस साल अप्रैल में काबुल के पश्चिमी इलाके में स्थित एक स्कूल में तीन जोरदार धमाके हुए थे। स्कूल के आसपास शिया हजारा समुदाय की आबादी थी।
बीते महीनों में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकियों ने तालिबान लड़ाकों और आम नागरिकों पर जोरदार हमले किए हैं।