होर्डिंग: वसूली के लिए योगी सरकार ने बनाया क्लेम ट्रिब्यूनल, कोर्ट में अपील नहीं कर सकेंगे

11:25 am Mar 16, 2020 | कुमार तथागत - सत्य हिन्दी

होर्डिंग मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मुँह की खा चुकी योगी सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में वसूली अध्यादेश को मंजूरी दी और रविवार को इस पर राज्यपाल का हस्ताक्षर भी हो गया। अब प्रदेश में राजनीतिक जुलूस, प्रदर्शन, हड़ताल व बंद के दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने वाले को अब क्षतिपूर्ति देनी ही होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने क्लेम ट्रिब्यूनल भी बना दिया है। इसके फ़ैसले को किसी भी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। ट्रिब्यूनल को आरोपी की संपत्ति अटैच करने अधिकार होगा। साथ ही वह अधिकारियों को आरोपी का नाम, पता व फ़ोटोग्राफ़ प्रचारित-प्रसारित करने का आदेश दे सकेगा कि आम लोग उसकी संपत्ति की खरीदारी न करें।

अध्यादेश के मुताबिक़ भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पूरे प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020’ को रविवार को लागू कर दिया है।

ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष सेवानिवृत्त ज़िला जज और सदस्य सहायक आयुक्त स्तर का अधिकारी होगा। ट्रिब्यूनल नुक़सान के आकलन के लिए क्लेम कमिश्नर की तैनाती कर सकेगा। वह क्लेम कमिश्नर की मदद के लिए प्रत्येक ज़िले में एक-एक सर्वेयर भी नियुक्त कर सकता है, जो नुक़सान के आकलन में तकनीकी विशेषज्ञ की भूमिका निभाएगा। ट्रिब्यूनल को दीवानी न्यायालय का पूरा अधिकार होगा और यह भू-राजस्व की तरह क्लेम वसूली का आदेश दे सकेगा। सरकार का दावा है कि इस अध्यादेश के क़ानून बनने से सार्वजनिक संपत्ति व निजी संपत्ति की बेहतर सुरक्षा हो सकेगी। 

जुर्माना लगाने से मुआवजा देने तक का अधिकार अध्यादेश में क्लेम ट्रिब्यूनल को दिया गया है। हड़ताल, बंद, दंगा, सार्वजनिक हंगामा, विरोध या इस संबंध में सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुक़सान की रोकथाम, संपत्ति के संबंध में कुछ कृत्यों की सज़ा देने, जुर्माना लगाने, संपत्ति के दावों को लागू करने, न्यायाधिकरण को नुक़सान की जाँच और वहाँ से संबंधित मुआवजा देने का अधिकार देने का प्रावधान है।

अध्यादेश पर हस्ताक्षर होने के साथ ही सरकार ने साफ़ कर दिया है कि वह होर्डिंग नहीं हटाएगी।

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुक़सान की वसूली के लिए आरोपियों की तसवीर वाली होर्डिंग लगाकर फँसी योगी सरकार को अदालत से फटकार लगी है। योगी सरकार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने होर्डिंग हटाकर आज यानी सोमवार को कंप्लायंस रिपोर्ट देने को कहा है। माना जा रहा है कि वसूली अध्यादेश जारी होने के बाद अब प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय से कंप्लायंस को लेकर और समय माँगेगी। प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार को कोई राहत नहीं दी थी पर पूरे मामले को तीन जजों की पीठ को सौंप दिया था। 

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल 17 दिसंबर को सीएए विरोधी प्रदर्शन में बवाल करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने के 57 आरोपी चिन्हित कर उनके ख़िलाफ़ रिकवरी नोटिस जारी किया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि लखनऊ पुलिस व ज़िला प्रशासन ने शहर भर में 100 से ज़्यादा होर्डिंग लगाकर 57 लोगों की पहचान को सार्वजनिक किया था और बिना दोषसिद्ध हुए महज एफ़आईआर के आधार पर उन्हें वसूली का नोटिस जारी कर दिया था। बीते हफ़्ते इन उपद्रवियों की तसवीरों वाली होर्डिंग राजधानी के प्रमुख स्थानों पर लगायी गयी थी। होर्डिंग्स लगाने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी।