कुख्यात अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को उसके काबुल स्थित घर पर दागी गई दो मिसाइलों से मार दिया गया था - लेकिन तस्वीरों में किसी विस्फोट का कोई संकेत नहीं दिखा। किसी और को नुकसान भी नहीं हुआ।
कहा जा रहा है कि अमेरिका ने मैकाब्रे हेलफायर R9X का फिर से इस्तेमाल किया है। इस वॉरहेड कम मिसाइल में छह रेजर जैसे ब्लेड हैं जो जो शिकार को अपने लक्ष्य के पर टुकड़ों में (स्लाइस) काटते हैं, लेकिन विस्फोट नहीं करते हैं।
हालांकि पेंटागन या सीआईए ने कभी भी सार्वजनिक रूप से इनके इस्तेमाल के बारे में स्वीकार नहीं किया। अमेरिकी एजेंसियां आमतौर पर चरमपंथी नेताओं को टारगेट करके मारने के लिए इनका इस्तेमाल करती हैं।
अमेरिका ने R9X का इस्तेमाल पहली बार मार्च 2017 में किया जब अल-कायदा के वरिष्ठ नेता अबू अल-खैर अल-मसरी को इसी तरह ड्रोन हमले से मार दिया गया था। वो उस समय सीरिया में एक कार में कहीं जा रहे थे।
उस समय की तस्वीरें बताती हैं कि वाहन की छत में एक बड़ा छेद बन गया था। कार के अंदर और इसमें बैठे हुए सभी लोगों के शरीर कटे हुए थे। लेकिन कार का अगला और पिछला हिस्सा पूरी तरह बरकरार नजर था। उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।
अभी तक, हेलफायर मिसाइलें टारगेट हमलों में ड्रोन द्वारा दागी गईं शक्तिशाली हथियार हैं जो मौत के लिए ही जानी जाती हैं। 2017 के बाद से, कई अन्य हमलों में भी ऐसा ही देखने को मिला।
इसके बाद इस रहस्यमय हथियार का विवरण लीक हो गया। इसे 1980 के दशक में बने प्रसिद्ध टीवी विज्ञापन में दिखाई गई "फ्लाइंग जिंसु" जैसा करार दिया गया। फ्लाइंग जिंसु जापानी रसोई में इस्तेमाल होने वाला चाकू था, जो एल्यूमीनियम के डिब्बे में आता था और बहुत सफाई से सब्जी वगैरह काटता था। उसकी शार्पनेस मशहूर थी।
इस मिसाइल को "निंजा बम" भी कहा जाता है। जनता को बड़े ऑपरेशन में हताहत होने से बचाने के लिए और चरमपंथी समूहों के नेताओं को मारने के लिए अब यह अमेरिका का पसंदीदा हथियार बन गया है। जाहिर तौर पर जवाहिरी के साथ ऐसा ही हुआ। जवाहिरी का शरीर टुकड़े टुकड़े इसी मिसाइल ने किया।