दुनिया भर में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट से चिंताएँ तो हैं लेकिन शीर्ष अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट की गंभीरता के शुरुआती संकेत 'थोड़ा उत्साहजनक' हैं। ये वैज्ञानिक शीर्ष अमेरिकी महामारी सलाहकार एंथनी फाउची हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी चेताया कि अभी भी किसी पक्के निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए और अधिक जानकारी की ज़रूरत है।
डॉ. एंथनी फाउची का यह बयान तब आया है जब भारत सहित कम से कम 40 देशों में कोरोना के इस नये वैरिएंट का संक्रमण फैल चुका है। अमेरिका में ही कम से कम 15 राज्य इससे प्रभावित हैं। भारत में कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद यह वैरिएंट अब राजस्थान पहुंच गया है। राजस्थान के जयपुर में इस वैरिएंट से संक्रमण के 9 मामले मिले हैं। इस तरह भारत में अब तक कुल मामलों की संख्या 21 हो गई है।
ओमिक्रॉन बढ़ने के बाद से दुनिया भर के देश अतिरिक्त चौकसी बरत रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। अमेरिका ने पिछले सप्ताह दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणी अफ्रीका के सात अन्य देशों से जुड़ी यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है।
फाउची ने हालाँकि यह ज़रूर कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का संक्रमण ज़्यादा तेज है। उन्होंने सीएनएन से एक साक्षात्कार में कहा कि यह देखते हुए कि देश में संक्रमण के मामले कम थे, लेकिन ओमिक्रॉन के मामले आने के बाद तेजी से वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि हालाँकि इसके बारे में वास्तव में कोई पक्का बयान देना जल्दबाजी होगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं लगता है कि यह बहुत गंभीर स्थिति है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि अब तक संकेत थोड़े उत्साहजनक हैं।
दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहली बार 25 नवंबर को ओमिक्रॉन के पहले मामले की पुष्टि हुई थी। इसके बाद से कई देशों में इस संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।
कोरोना का इलाज करने वाले दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने ही शुरुआती आकलन में कहा था कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में हल्के लक्षण दिख रहे हैं। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के सरकारी विशेषज्ञ ने संभावित बड़े ख़तरे को लेकर चेताया था। दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज यानी एनआईसीडी निदेशक ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में पाया गया ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा संक्रामक हो सकता है। रायटर्स से साक्षात्कार में एनआईसीडी के कार्यकारी एग्जक्यूटिव डाइरेक्टर एड्रियन प्योरन ने कहा था, 'हमने सोचा था कि डेल्टा को क्या मात देगा? यह हमेशा से सवाल रहा है, कम से कम तेजी से फैलने के संदर्भ में, ...शायद यह विशेष वैरिएंट है।'
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि शुरुआती साक्ष्य से पता चलता है कि जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है उनको 'ओमिक्रॉन' के फिर से संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है। ऐसे लोग अधिक आसानी से दोबारा संक्रमित हो सकते हैं।
कोरोना की मौजूदा वैक्सीन के ओमिक्रॉन पर निष्प्रभावी होने की आशंका वैक्सीन बनाने वाली एक कंपनी ने भी जाहिर की है। मॉडर्ना के सीईओ स्टीफ़न बांसेल ने कहा है कि मौजूदा वक़्त में दी जा रहीं तमाम वैक्सीन ओमिक्रॉन वैरिएंट पर उतनी कारगर साबित नहीं होंगी जितनी यह बाक़ी वैरिएंट के लिए हुई हैं। स्टीफ़न बांसेल ने फ़ाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में कहा कि ओमिक्रॉन के लिए नई डोज बनाने में कंपनियों को कई महीने लगेंगे। दुनिया भर के कई देशों में वैज्ञानिक ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर शोध कर रहे हैं।