यूएन मानवाधिकार आयोग ने पेगासस से जासूसी पर चिंता जताई

04:37 pm Jul 20, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने भारत का नाम लिए बग़ैर पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए जासूसी कराए जाने पर चिंता जताई है। 

उन्होंने एक बयान में इस पर ग़ुस्सा जताया कि 'जायज़ पत्रकारिता गतिविधियों, मानवाधिकारों की निगरानी, असहमति व राजनैतिक विरोध की अभिव्यक्ति के लिये लोगों के फ़ोन नम्बरों और कंप्यूटरों की जासूसी की गई है।'

बयान में कहा गया है, "निगरानी सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल को गिरफ़्तारी, डराने-धमकाने और पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हत्याओं से भी जोड़ा गया है।"

निजता का अधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सदस्य देशों को ध्यान दिलाया कि निगरानी उपायों को,  वैध उद्देश्यों के तहत, केवल संकीर्ण दायरे में और निर्धारित हालात में ही न्यायोचित ठहराया जा सकता है।

मानवाधिकार उच्चायुक्त के मुताबिक़, मानवाधिकारों के उल्लंघन में अपनी भूमिका को तत्काल प्रभाव से रोकने के अलावा, सदस्य देशों की यह ज़िम्मेदारी है कि कम्पनियों द्वारा लोगों की, उनके निजता के अधिकार के हनन से रक्षा करें। 

क्या कहा यूरोपीय संघ ने?

इसी तरह यूरोपीय संघ ने भी ग़ैरक़ानूनी तरीके से पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर अनधिकृत जासूसी को 'पूरी तरह अस्वीकार्य' क़रार दिया है। 

यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सला वॉन डेर लेयेन ने कहा, 'इसकी जाँच अभी की जानी है। पर यदि यह सच है तो पूरी तरह अस्वीकार्य है।'

वे उस समय चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में थीं। उन्होने  चेक प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस से मुलाक़ात करने के बाद पत्रकारों से कहा, "स्वतंत्र प्रेस यूरोपीय संघ के बुनियादी मूल्यों में एक है।"

क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?

फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया।

इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट। 'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।

इसके तहत 40 पत्रकारों समेत भारत के 300 से ज़्यादा लोगों की जासूसी की गई। 

प्रोटोकॉल का हवाला

सरकार ने पेगासस प्रोजेक्ट पर कहा है, "सरकारी एजंसियाँ किसी को इंटरसेप्ट करने के लिए तयशुदा प्रोटोकॉल का पालन करती हैं। इसके तहत पहले ही संबंधित अधिकारी से अनुमति लेनी होती है, पूरी प्रक्रिया की निगरानी रखी जाती है और यह सिर्फ राष्ट्र हित में किया जाता है।"

सरकार ने ज़ोर देकर कहा कि इसने किसी तरह का अनधिकृत इंटरसेप्शन नहीं किया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पेगासस स्पाइवेअर हैकिंग करता है और सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून 2000 के अनुसार, हैकिंग अनधिकृत इंटरसेप्शन की श्रेणी में ही आएगा। सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि ये बातें बेबुनियाद हैं और निष्कर्ष पहले से ही निकाल लिए गए हैं।