तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी के आतंकियों ने रविवार को पाकिस्तान में घुसपैठ की। टीटीपी के आतंकी उत्तर पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में घुस गए और एक पुलिस चौकी पर कब्जा कर लिया। आतंकियों ने वहां की जेल में बंद कुछ अपने साथियों को छुड़ा लिया।
इसके बाद उन्होंने बन्नू कैंटोनमेंट के परिसर में स्थित काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) के कर्मचारियों को बंधक बना लिया। बन्नू पुलिस के प्रवक्ता मोहम्मद नसीम ने रॉयटर्स को बताया कि यह साफ नहीं है कि आतंकियों ने बाहर से हमला किया या उन्होंने पुलिस चौकी में मौजूद पुलिसकर्मियों के हत्यारों को छीना।
द डॉन के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लगभग 25 गिरफ्तार आतंकियों को सीटीडी केंद्र में रखा गया था।
इस घटना का पता चलते ही पाकिस्तान की आर्मी के जवानों ने पूरे परिसर को घेर लिया और हालात को काबू में किया।
इससे पहले इन आतंकियों ने लक्की मारवात जिले में एक पुलिस चौकी पर हमला भी किया और इसमें पुलिस के 4 जवान शहीद हो गए और कई घायल हो गए। टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच पिछले साल जून में युद्ध विराम का समझौता हुआ था लेकिन टीटीपी ने पिछले महीने इस समझौते को तोड़ दिया था और आतंकियों को आदेश दिया था कि वह पूरे पाकिस्तान में आतंकवादी हमले करें। टीटीपी की मांग है कि पाकिस्तान में शरिया कानून को लागू किया जाए।
लगातार मुठभेड़
नवंबर के अंत में पाकिस्तान के सुरक्षा बलों और टीटीपी के आतंकियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी। इसमें टीटीपी के 10 आतंकी मारे गए थे और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के कुछ जवान भी शहीद हुए थे। उस दौरान टीटीपी के आतंकी अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बॉर्डर से पाकिस्तान में घुसने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पाकिस्तान के सुरक्षाबलों के जवानों ने उन्हें ढेर कर दिया था।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर पर तनाव
बताना होगा कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बॉर्डर पर लगातार तनाव बना हुआ है। सितंबर के पहले हफ्ते में तालिबान के लड़ाकों ने जबरदस्त फायरिंग की थी जिसमें पाकिस्तान के 6 लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे तब पाकिस्तानी सेना ने बयान जारी कर कहा था कि बलूचिस्तान के चमन कस्बे में अफगानिस्तान की ओर से बेवजह अंधाधुंध गोलीबारी की गई लेकिन पाकिस्तान के जवानों ने इसका जोरदार जवाब दिया। न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक यह संघर्ष तब हुआ जब अफगान सुरक्षाबलों ने सीमा पर बनी तार बाड़ को काटने की कोशिश की।
टीटीपी से क्यों डरता है पाक?
टीटीपी शरिया क़ानून को लागू करने की हिमायत करता है। वह अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी और नैटो देशों की सेनाओं से लड़ चुका है, इसके साथ ही वह पाकिस्तान की सेना के ख़िलाफ़ जिहाद में भी शामिल हैं। टीटीपी का पाकिस्तान को लेकर रूख़ हमेशा से आक्रामक रहा है। टीटीपी के साथ ही कई और आतंकी संगठन भी शामिल हैं।
पाकिस्तान में टीटीपी का कहर
टीटीपी ने साल 2007 से 2014 तक पाकिस्तान में कहर बरपा दिया था। 2012 में टीटीपी पाकिस्तान में बहुत मजबूत था और इसके पास 25 हज़ार सदस्य थे। तब इसने पूरे पाकिस्तान में जमकर हमले किए थे और काफी ख़ून-ख़राबा हुआ था।
टीटीपी के हमलों में से 2011 में पाकिस्तान के हवाई अड्डे पर किया गया एक बड़ा हमला, कराची इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 2014 में किया गया हमला, पेशावर के सैनिक स्कूल में 140 बच्चों का नरसंहार प्रमुख हैं।
इसके बाद 2014 में पाकिस्तानी सेना ने टीटीपी पर हमले किए थे और तब यह आतंकी संगठन काफी कमजोर हो गया था। लेकिन बीते कुछ सालों में टीटीपी फिर से मजबूत हुआ है।
जारी रहा कहर
साल 2020 में टीटीपी की मीडिया विंग उमर मीडिया ने दो संगठनों जमात-उल-अहरर और हिज़बुल अहरर को मैदान में उतारा था। इन दोनों ने पाकिस्तान के अंदर बहुत धमाके किए थे और बाद में ये दोनों ही टीटीपी में शामिल हो गए थे। पाकिस्तान में टीटीपी के कहर का ये सिलसिला 2021 में भी जारी रहा, जब साल के पहले दो महीनों में 32 जगहों पर हमले हुए। इनमें से अधिकतर फ़ाटा के इलाके में हुए थे।