अगर ट्रंप ने एक हफ़्ता पहले लॉकडाउन लगाया होता तो 36,000 की जान बच जाती

03:40 pm May 21, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

अमेरिका में एक शोध में पाया गया है कि यदि वहाँ सोशल डिस्टैंसिंग को समय से पहले लागू किया गया होता तो कोरोना महामारी से दसियों हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर लापरवाही बरतने और राजनीतिक कारणों से जानबूझ कर देर से कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई शुरू करने के आरोप पहले भी लगे हैं। पर मैथेमैटिकल मॉडलिंग के ज़रिए किया गया नया शोध उन्हें एक विलन के रूप में पेश करने के काम आ सकता है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुए एक शोध से पता चला है कि यदि ट्रंप प्रशासन ने मार्च में जिस समय सोशल डिस्टैंसिंग लागू की, उसके एक सप्ताह पहले ऐसा किया होता तो कम से कम 36 हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

सोशल डिस्टैंसिंग

शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जिस समय अमेरिका में लॉकडाउन लगा और लोग अपने-अपने घरों बंद हो गए, यदि उसके दो हफ़्ते पहले यानी 1 मार्च को यह कदम उठाया गया होता तो जितने लोगों की मौत हुई है, उसमें से लगभग 83 प्रतिशत लोगों की जान बच सकती थी। 

शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि थोड़े समय के इंतजार करने यानी लॉकडाउन लागू करने में मामूली देरी भी कोरोना से लड़ाई में मँहगी पड़ सकती है। जिस कोरोना ने न्यूयॉर्क, न्यू ऑलियंस और दूसरे बड़े शहरों में ज़बरदस्त तबाही मचाई है, सोशल डिस्टैंसिंग लागू करने में देर नहीं होने से इसमें काफी फर्क पड़ सकता था। 

कोलंबिया विश्वविद्यालय के मशहूर महामारी विशेषज्ञ और शोधकर्ता दल के प्रमुख जेफ्री शैमन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 

‘इससे बहुत, बहुत बड़ा फर्क पड़ा है। समय का वह छोटा क्षण, जिस समय संक्रमण बढ़ रहा था, उसे वहीं रोक लेने से मरने वालों की संख्या कम करने में अविश्वसनीय कमी आ सकती थी।’


जेफ्री शैमन, महामारी विशेषज्ञ, कोलंबिया विश्वविद्यालय

राष्ट्रपति ट्रंप ने 16 मार्च को अमेरिकियों से अपील की कि वे हवाई यात्रा न करें, भीड़भाड़ न करें, समूहों में न मिलें और घर पर ही रहें। न्यूयॉर्क के मेयर बिल डी ब्लाज़ियो ने 15 मार्च को स्कूल बंद कर दिए। न्यूयॉर्क राज्य के गवर्नर एंड्र्यू एम कुओमो ने सबको घर पर रहने और घर से ही सारा काम करने का आदेश 22 मार्च को लागू कर दिया। 

पर न्यूयॉर्क में वायरस पहले पहुँच चुका था, लिहाज़ा, विनाश को नहीं रोका जा सका।अमेरिका के सभी 50 राज्यों ने प्रतिबंधों में रियायतें दी हैं और धीरे-धीरे चीजें खोल रहे हैं। ऐसे में यह साफ़ है कि यदि कड़ी निगरानी नहीं बरती गई तो संक्रमण और तबाही मचा सकता है।