कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा की राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने निंदा की है। आज कुछ देर पहले जारी एक वीडियो मैसेज में उन्होंने हमले को जघन्य हमला क़रार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह 'अराजकता और उत्पात' से गु़स्से में हैं। उनका यह संदेश तब आया है जब ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग जैसी कार्रवाई किए जाने का अंदेशा भी जताया जा रहा है।
क़रीब ढाई मिनट के अपने वीडियो संदेश में कई चीज़ों पर सफ़ाई दी लेकिन ट्रंप ने हिंसा भड़काने में अपनी भूमिका के बारे में कुछ नहीं बोला। जबकि ट्रंप पर सबसे ज़्यादा आरोप यही लग रहा है कि उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने हिंसा की।
ट्रंप ने अपने इस वीडियो संदेश को ट्वीट किया है।
वीडियो संदेश में डोनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी लोकतंत्र, देशभक्ति जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने घाव भरने की बात की और मेल-मिलाप पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा, 'अब जब कांग्रेस ने परिणामों को प्रमाणित कर दिया है, तो 20 जनवरी को नए प्रशासन की शुरुआत होगी।' उन्होंने यह भी कहा कि उनका ध्यान अब एक सुव्यवस्थित और निर्बाध सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए होगा।'
ट्रंप का यह बयान इसलिए अहम है कि इस कैपिटल बिल्डिंग हिंसा के लिए ट्रंप की आलोचना की जा रही है। यह इसलिए कि अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन के शहर कैपिटल हिल में सांसदों की बैठक करने वाली जगह का नाम यूएस कैपिटल या कैपिटल बिल्डिंग है जहाँ हिंसा हुई है। यहीं पर जो बाइडन की जीत को प्रमाण पत्र मिलने से पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में एक रैली में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया। इसमें उन्होंने कहा था कि 'हम कभी हार नहीं मानेंगे।' उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।' ट्रंप ने भीड़ को कैपिटॉल की ओर कूच करने को कहा।
ट्रंप के भाषण के बाद ही उनके समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की और हिंसात्मक प्रदर्शन किया। ट्रम्प समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा कैपिटल बिल्डिंग में घुसने और हिंसा किये जाने को जो बाइडन को राष्ट्रपति नियुक्त करने में संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के प्रयास के तौर पर देखा गया। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई है।
ट्रंप की ही पार्टी के रिपब्लिकन सीनेटर मिट रोमनी ने भी कैपिटल में हिंसा के लिए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को दोषी ठहराया।
ट्रम्प के लगातार आलोचक रहे रोमनी ने बुधवार को कहा कि कैपिटल की हिंसक घटना एक स्वार्थी व्यक्ति के ठेस पहुँचे गर्व और उनके समर्थकों के आक्रोश का नतीजा है। उन्होंने यह भी कहा कि समर्थकों को ट्रंप ने पिछले दो महीनों से जानबूझकर गलत जानकारी दी थी।
हिंसा को भड़काने में उनका हाथ होने के आरोप लगाए जाने के बाद भी ट्रंप इसपर कुछ नहीं बोले। जबकि अमेरिका का प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ही उनके उस भाषण पर ख़बर दी है जिससे हिंसा भड़की।
रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को राजधानी वॉशिंगटन के संसद परिसर कैपिटल में जिस समय डोनल्ड ट्रंप के समर्थक अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की, राष्ट्रपति न सिर्फ़ अपने दफ़्तर में टेलीविज़न पर चुपचाप तमाशा देखते रहे, बल्कि उन्होंने उस स्थिति में भी उस उत्तेजित भीड़ को और भड़काया। इस बीच ह्वाइट हाउस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे गुज़ारिश की कि वे हिंसा रोकने के लिए कुछ करें। पर वे चुप रहे।
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‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक़ जिस समय अमेरिकी संसद कांग्रेस के दोनों सदनों प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव्स) और सीनेट की संयुक्त बैठक की अंतिम तैयारियाँ चल रही थीं, ट्रंप ने अपने समर्थकों को उकसाया और उसके बाद ही हिंसा शुरू हुई।
बता दें कि ट्रंप ने समर्थकों की रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'चुनाव चुरा लिया गया है।' उन्होंने भीड़ को भड़काते हुए कहा, 'आप कमज़ोरी से अपना देश फिर हासिल नहीं कर सकते।' ट्रंप ने भीड़ को कैपिटॉल की ओर कूच करने को कहा। राष्ट्रपति ने हिंसा के बावजूद शुरू में नेशनल गार्ड्स को नहीं बुलाया। उन्होंने तोड़फोड़ होने और अपने सहयोगियों की अपील के बावजूद हिंसा रोकने की अपील नहीं की। हालाँकि ट्रंप ने अपने वीडियो संदेश में यह ज़रूर सफ़ाई दी है कि हिंसा की ख़बर पर उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया और प्रदर्शनकारियों को हटवाया।