अमेरिकी हमले में ईरानी कमान्डर की हत्या, क्या तेहरान लेगा बदला? 

02:54 pm Jan 03, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

क्या पूरा मध्य-पूर्व एक बार फिर ज़बरदस्त तनाव की गिरफ़्त में आने वाला है, जिसका असर भारत पर भी पड़ सकता है या आगामी चुनाव में छद्म राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा कर बड़ी जीत हासिल करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने यह दाँव चला है ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी के गुरुवार को अमेरिकी हवाई हमले में मारे जाने से ये सवाल उठ रहे हैं। सुलेमानी पर जिस समय ड्रोन हमला हुआ, वह ईराक़ की राजधानी इराक़ में कार से कहीं जा रहे थे। उस समय उनके साथ ईरानी मिलिशिया के स्थानीय लोग भी थे।

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश पर ही मिसाइल हमला किया गया था। पेंटागन के एक प्रवक्ता ने कहा : 

राष्ट्रपति के आदेश पर अमेरिकी रक्षा विभाग ने विदेशों में रहने वाले अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा के लिए निर्णायक फ़ैसला लेते हुए कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी है।


प्रवक्ता, अमेरिकी रक्षा विभाग

हमले का कारण

बीते दिनों इराक़ स्थित अमेरिकी दूतावास में कुछ लोगों ने घुस कर हमला किया था। उसके बाद अमेरिका ने यह मिसाइल हमला किया है। अमेरिका ने दूतावास पर हुए हमले के लिए कासिम सुलेमानी को ज़िम्मेदार माना था।

ईरान ने भी जनरल सुलेमानी के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने ट्वीट किया कर इस हमले को ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी कार्रवाई’ क़रार देते हुए कहा कि ‘इस दुष्टतापूर्ण शरारत’ की पूरी ज़िम्मेदारी अमेरिका की है। 

ईरानी सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि रक्षा विभाग के आला अफ़सरान जल्द ही एक बैठक कर यह तय करेंगे कि वाशिंगटन को इस ‘आपराधिक हमले’ के लिए क्या ‘सज़ा’ दी जाए।

कौन थे क़ासिम सुलेमानी 

मेजर जनरल क़ासिम सुलेमानी 1988 से ही ईरान के कुद्स फ़ोर्स के प्रमुख थे। यह फ़ोर्स ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स का ही हिस्सा है और सबसे प्रमुख और अहम माना जाता है।

इसका महत्व इससे समझा जा सकता है कि खुद ईरान ने सीरिया के गृह युद्ध में इसकी भूमिका को माना है और कहा है कि वह सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल-असद को सुरक्षा से जुड़ी सलाह देने का काम करता था। जनरल सुलेमानी का महत्व इससे बहुत बढ़ गया और वह ईरान के सबसे अहम कमान्डर में शुमार हो गए। 

सत्ता प्रतिष्ठान के नज़दीक

जनरल सुलेमानी ईरानी  सत्ता प्रतिष्ठान के केंद्र ख़मैनी के एकदम नज़दीकी लोगों में से एक हैं। सीरिया के गृह युद्ध में उन्हें जानबूझ कर बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई थी और उन्होंने उसे बखूबी निभाया। इससे उनका कद बढ़ गया। 

यह माना जाता है कि वह ईरान के अगले राष्ट्रपति होने की योग्यता रखते थे। इसकी बड़ी वजह यह है कि वह ख़मैनी के नज़दीक थे, कमान्डर थे, आधुनिक विचारों के थे और मुसलिम जगत में उनकी अच्छी छवि थी। 

तो क्या अमेरिका ने जानबूझ कर उन्हें निशाने पर लिया ताकि भविष्य का काँटा अभी ही निकाल दिया जाए या वह अमेरिकी राजनीति के खेल में एक सामान्य प्यादा थे, जिन्हें हटा कर ट्रंप ने अपने विरोधियों की मात पक्की कर ली है

अमेरिका की घरेलू राजनीति

इसे इससे समझा जा सकता है कि इस हमले के तुरन्त बाद ट्रंप ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया, जिसमें सिर्फ़ अमेरिकी झंडा था। तो क्या ट्रंप इसके ज़रिए अमेरिकी राष्ट्रवाद को उभारना चाहते हैं।

यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी साल के अंत में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है। ट्रंप ने अपनी उम्मीदवारी का अनौपचारिक एलान कर दिया है और उसके लिए पैसे इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है। 

पर्यवेक्षकों का कहना है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि बग़दाद स्थित अमेरिकी दूतावास में घुसने वाले लोग ईरानी मिलिशिया से जुड़े हुए थे तो भी इसी आधार पर इस तरह का हमला करना बेमानी है। 

अमेरिकी थिंकटैंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के प्रमुख रॉबर्ट मैली ने कहा है कि ट्रंप की यह मंशा हो या न हो, पर तेहरान बदले की कार्रवाई ज़रूर करेगा। उसके लिए यह ज़रूरी है, उसे जवाब देना ही होगा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि शायद ट्रंप यही चाहते हैं। उनकी मंशा है कि ईरान के साथ तनाव बढ़ाया जाए और इसे नई ऊँचाई पर ले जाया जाए, उसी आधार पर अमेरिकी जनता को लामबंद किया जा सके।