पाकिस्तान में दो हिंदू नाबालिग बहनों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी दबाव के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की बेचैनी इस कदर बढ़ गयी कि पाक की सिंध और पंजाब सरकार को साथ काम कर दोनों बहनों को छुड़ाने के आदेश देने पड़े। दरअसल, होली के दिन हुए इस अपहरण के बाद पाकिस्तान के साथ ही भारत और दूसरे देशों के लोगों ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इस मसले पर भारत और पाकिस्तान के मंत्री भी उलझ गये। जब सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि उन्होंने इस मामले में पाक स्थित भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट माँगी है तब इस पर पाकिस्तान के सूचना मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन ने भारत को नसीहत दे दी। बता दें कि पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन की ख़बरें लगातार आती रहती हैं और इस पर पाकिस्तान सरकार की किरकिरी होती रही है।
चौधरी फ़वाद हुसैन ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया, ‘मैम, यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि मोदी का भारत नहीं है जहाँ अल्पसंख्यकों को कुचला जाता है। यह इमरान ख़ान का नया पाकिस्तान है...। उम्मीद करता हूँ कि जब वहाँ अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात आएगी तो आप भी उतनी ही तत्परता से कार्रवाई करेंगी।’
इस पर सुषमा स्वराज ने प्रतिक्रिया दी कि मैंने भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट माँगी थी और यह आपकी बेचैनी के लिए काफ़ी थी। उन्होंने लिखा कि यह दिखाता है कि आपका ज़मीर भी आपको दोषी कह रहा है। इसके बाद भी दोनों मंत्रियों ने ट्वीट कर एक-दूसरे के ख़िलाफ़ हमला बोला।
बता दें कि सिंध प्रांत के घोटकी में हुई इस घटना को लेकर भाई सलमान दास, पुत्र हरि दास मेघवार के बयान पर दहारकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज की गयी है। दास कहते हैं कि अपने परिवार के साथ अपने घर गांव हाफ़िज़ सुलेमान में थे पिस्तौल से लैस छह लोग उनके घर में घुस आए। उनकी दोनों बहनों को घसीटते हुए ले गए और पीछा करने पर जान से मारने की धमकी दी।
पाकिस्तान के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और जाने-माने पत्रकारों ने इसे अगवा किये जाने और जबरन धर्म परिवर्तन का मामला बताया है।
इस बीच अपहरण के बाद ही एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मौलवी दोनों लड़कियों का निकाह कराते दिख रहे हैं। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दोनों किशोरियों को अपनी मर्ज़ी से धर्म परिवर्तन और शादी करने की बात कही जा रही है। हालाँकि, दोनों किशोरियों के पिता का भी एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह बीच सड़क पर बैठे रोते हुए और न्याय की गुहार लगाते देखे जा सकते हैं।
बीबीसी' ने अपनी ख़बर में घोटकी के एसएसपी की रिपोर्ट का ज़िक्र किया है जिसमें कहा गया है कि दोनों लड़कियों ने अपने रिकॉर्डेड वीडियो बयान में कहा है कि न तो किसी ने उन्हें अगवा किया और न ही बंधक बनाया है। हालाँकि, डीएसपी इज़हार लाहौरी कहते हैं कि उन्होंने इस मामले में एक अभियुक्त को गिरफ़्तार किया है और पुलिस अन्य अभियुक्तों को पकड़ने के लिए तलाशी कर रही है। उन्होंने समुदाय के लोगों को आश्वासन दिया है कि 24 घंटे के भीतर वे लड़कियों को वापस ले आएँगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह अगवा करने का मामला नहीं है तो जबरन धर्म परिवर्तन की रिपोर्टें कहाँ से आ रही हैं और पाक के ही सामाजिक कार्यकर्ता इसे अगवा क्यों बता रहे हैं दरअसल, अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी करने के मामले पाक में लगातार आते रहे हैं।
'हज़ारों हिंदू लड़कियों को मुसलिम बनाया'
पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार ‘डॉन’ ने इस पर कई रिपोर्टें की हैं। 'डॉन' ने उमरकोट ज़िले के सरहंदी श्राइन के गद्दी नशीं पीर मुहम्मद अयुब जन सरहंदी से बातचीत के आधार पर 17 अगस्त, 2017 में एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें सरहंदी दावा करते हैं कि उन्होंने हज़ारों हिंदू लड़कियों को मुसलिम में धर्मांतरण किया है। रिपोर्ट के अनुसार, वह कहते हैं, 'इसमें से अधिकतर लड़कियाँ अनुसूचित जाति भील, मेघवार और कोहली की थीं। इसमें जबरन धर्मांतरण के मामले भी हैं और मुसलिम लड़कों के साथ भाग कर आने वाली नाबालिग लड़कियों के मामले भी।'
डॉन ने यह रिपोर्ट तब छापी थी जब क्षेत्र में अपहरण का एक मामला हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार परिजनों ने आरोप लगाया था कि प्रभावशाली मुसलिम समुदाय ने 16 साल की एक किशोरी का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराकर अगवा करने वाले बदमाश से शादी करायी थी। हालाँकि बाद में कोर्ट में किशोरी ने अपहरण किये जाने की ख़बरों को ख़ारिज़ कर दिया था।
डॉन ने इसी रिपोर्ट में गद्दी नशीं के भाई पीर वलीवुल्लाह सरहंदी का बयान भी छापा है जिसमें वह कहते हैं, 'जब किसी लड़की को मुसलिम धर्म में परिवर्तन कराने के लिए क़ाज़ी के सामने लाया जाता है तो तुरंत ही उसे यह काम करना होता है। यदि इस प्रक्रिया में थोड़ी-सी भी देरी होती है तो क़ाज़ी को ही काफ़िर कहा जाने लगता है।'
उमरकोट में ही हर माह 25 धर्म परिवर्तन
एक स्थानीय मानवाधिक कार्यकर्ता के हवाले से डॉन ने रिपोर्ट की है कि सिंध के उमरकोट ज़िले में हर महीने जबरन धर्म परिवर्तन के क़रीब 25 मामले होते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इलाक़ा बेहद पिछड़ा हुआ है और लोग अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति के हैं और जबरन धर्म परिवर्तन की उनकी शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती।
इस तरह पुलिस में शिकायतें कम ही दर्ज होती हैं। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि इसी कारण जबरन धर्म परिवर्तन की ख़बरें मीडिया में बहुत कम आ पाती हैं।