भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी को कई घंटे की सर्जरी के बाद अब वेंटिलेटर पर रखा गया है। वो अभी बोल नहीं सकते। लेकिन उनकी आंखें जाने का खतरा है। दुनिया भर में उन पर हुए कातिलाना हमले की निन्दा हो रही है।
उनके पुस्तक एजेंट एंड्रयू वायली ने अमेरिकन मीडिया को एक ईमेल में लिखा है कि रुश्दी की एक आंख खोने की आशंका है, उनकी बांह की नसें टूट गई हैं और और छुरा फेफड़े में घोंपा गया जिससे शरीर को काफी नुकसान हुआ है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को बताया कि हमलावर ने रुश्दी को कम से कम 15-20 बार चाकू घोंपे।
75 साल के रुश्दी पर शुक्रवार 12 अगस्त को पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में यह जानलेवा हमला हुआ था। वहां वो कल्चरल फ्रीडम पर भाषण देने के लिए जा रहे थे। उसी वक्त एक व्यक्ति मंच पर पहुंचा और उपन्यासकार पर चाकू से हमला कर दिया। हमलावर इस दौरान फर्श पर गिर गया था, जिसे न्यूयॉर्क पुलिस ने हमलावर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने संदिग्ध की पहचान न्यू जर्सी के फेयरव्यू के 24 वर्षीय व्यक्ति हादी मसर के रूप में की, जिसने उस कार्यक्रम के लिए पास खरीदा था।
पुलिस ने बताया कि दर्शकों में से एक डॉक्टर ने आपातकालीन सेवाओं के आने के दौरान रुश्दी की मदद की। इवेंट के मॉडरेटर हेनरी रीज़ को सिर में मामूली चोट लगी। पुलिस ने कहा कि वे फेडरल एजेंसी के जांचकर्ताओं के साथ मामले की तह में जाने की कोशिश कर रहे हैं।
रुश्दी, जिनका जन्म बॉम्बे (मुंबई) में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार में हुआ था। इसके बाद परिवार यूनाइटेड किंगडम (यूके) चला गया। रुश्दी अपने चौथे उपन्यास, "द सैटेनिक वर्सेज" के लिए लंबे समय से मौत की धमकियों का सामना कर रहे हैं। कुछ मुसलमानों ने कहा कि किताब में ईशनिंदा के अंश हैं। 1988 में इस उपन्यास के प्रकाशन के बाद कई देशों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था।
कुछ महीने बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा दिया, जिसमें ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति को मारने का आह्वान किया गया था। रुश्दी, इस धमकी के बाद लगभग एक दशक तक छिपे रहे। उपन्यास के जापानी अनुवादक हितोशी इगारशी की 1991 में हत्या कर दी गई थी। ईरानी सरकार ने 1998 में कहा था कि वह अब फतवे का समर्थन नहीं करती है। इसके बाद रुश्दी सार्वजनिक रूप से रहने लगे।
अमेरिकन मीडिया के मुताबिक कुछ ईरानी संगठनों ने रुश्दी की हत्या के लिए लाखों डॉलर का इनाम घोषित कर दिया था। खोमैनी के उत्तराधिकारी, अयातुल्ला अली खामेनेई ने 2019 में कहा था कि फतवा "अपरिवर्तनीय" है।