पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद में इन दिनों निर्माणाधीन हिंदू मंदिर का जोरदार विरोध हो रहा है। इस वजह से इस मंदिर का काम पूरा होना आसान नहीं दिखता।
इसलामाबाद के धार्मिक संगठन, वकील और राजनेता इमरान ख़ान सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह मंदिर का निर्माण कार्य रोक दे। ख़बरों के मुताबिक़, इसलामाबाद के एच-9/3 में निर्माणाधीन मंदिर के लिए इमरान ख़ान सरकार ने हाल ही में 4 कैनाल जमीन और 4.45 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इन दिनों मंदिर की बुनियाद की खुदाई का काम चल रहा है।
संगठन ने दिया फतवा
धार्मिक संगठन जामिया अशरफ़िया और उलेमा मशाइख फे़डरेशन ऑफ़ पाकिस्तान (यूएमएफ़) ने इसका जोरदार विरोध किया है। न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक़, जामिया अशरफ़िया के द्वारा दिए गए फतवे में कहा गया है, ‘एक देश जो इसलाम के सिद्धांतों के आधार पर बना है, वहां दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थानों की देखभाल करना सही है और उन्हें अपनी मान्यताओं को मानने की आज़ादी है लेकिन गैर-मुसलमानों के लिए नए धार्मिक स्थल का निर्माण इसलामिक शरिया के मुताबिक़ स्वीकार्य नहीं है।’
यूएमएफ़ ने भी मंदिर निर्माण के सरकार के फ़ैसले की पुरजोर मजम्मत की है। पाकिस्तान के चर्चित मौलाना अल्लामा खादिम हुसैन रिज़वी कहते हैं कि पाकिस्तान मंदिरों के लिए नहीं बना है।
इस बारे में इमरान ख़ान ने संसद में कहा, ‘जब हम अपने मुल्क में अल्पसंख्यकों से नाइंसाफ़ी करते हैं तो हम अपनी विचारधारा और दीन के ख़िलाफ़ जाते हैं।’ ख़ान अल्पसंख्यकों के हक़ की बात करते दिखते हैं और करतारपुर कॉरिडोर को खुलवाने को लेकर वहां के धार्मिक अल्पसंख्यक विशेषकर सिख उन्हें धन्यवाद देते हैं।
पंजाब एसेंबली के स्पीकर परवेज इलाही न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहते हैं, ‘पाकिस्तान जो इसलाम के नाम पर वजूद में आया था और इसकी राजधानी इसलामाबाद में नया मंदिर बनाना न केवल इसलाम की रूह के ख़िलाफ़ है, बल्कि ये रियासत-ए-मदीना की भी तौहीन है।’
इसके अलावा एक वकील ने मंदिर के निर्माण के ख़िलाफ़ इसलामाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं के लिए इसलामाबाद में पहले से ही एक मंदिर सैदुपुर गांव में है और सरकार को नया मंदिर बनाने के बजाय पुराने मंदिर की ही मरम्मत करनी चाहिए।
पाकिस्तान मुसलिम लीग-क़ायद (पीएमएल-क्यू) ने यह कहते हुए मंदिर निर्माण का विरोध किया है कि यह इसलाम की मूल भावना के ख़िलाफ़ है।