पुर्तगाल में एक भारतीय पर्यटक की मौत होने के बाद वहां की स्वास्थ्य मंत्री मारटा टेमिडो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह भारतीय पर्यटक गर्भवती थी और उसकी उम्र 34 साल थी। भारतीय पर्यटक को उस वक्त दिल का दौरा पड़ा जब उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक महिला को इसलिए दूसरे अस्पताल ले जाया गया क्योंकि उस अस्पताल में बेड फुल हो चुके थे।
स्थानीय मीडिया ने लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्री टेमिडो ने इस्तीफा आपातकालीन सेवाओं को बंद करने, अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होने और गर्भवती महिलाओं के मामलों में जबरदस्त आलोचना होने के बाद दिया है।
स्थानीय मीडिया के हवाले से यह जानकारी सामने आई है कि महिला 31 महीने की गर्भवती थी और सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उसे सांता मारिया हॉस्पिटल में ले जाया गया था। सांता मारिया देश के बड़े अस्पतालों में से एक है।
खबरों के मुताबिक, महिला की हालत स्थिर होने के बाद उन्हें एक दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था क्योंकि अस्पताल का नवजात शिशु विभाग भर चुका था और उसमें बेड नहीं थे लेकिन रास्ते में ही महिला को दिल का दौरा पड़ा।
दूसरे अस्पताल में महिला की सर्जरी की गई। महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन महिला की मौत हो गई। महिला की मौत कैसे हुई इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे के बाद पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने ट्वीट किया है कि वह टेमिडो के द्वारा किए गए कामों के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने जिस तरह का काम किया। कोस्टा ने इस बात का भी वादा किया कि वह देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर और मजबूत करने का काम जारी रखेंगे।
हुई थी आलोचना
टेमिडो को कोरोनावायरस के दौरान बेहतर काम करने और देश में बेहतर टीकाकरण के लिए जाना जाता है। हालांकि उनकी इस बात के लिए जबरदस्त आलोचना हुई थी कि उन्होंने डॉक्टरों की कमी के कारण आपातकालीन प्रसूति सेवा केंद्रों को बंद कर दिया था। इसे लेकर पुर्तगाल के विपक्षी दलों ने भी सरकार की जबरदस्त आलोचना की थी।
पुर्तगाल में पिछले कुछ वक्त में ऐसी घटनाएं हुई हैं जब महिलाओं को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था और इस दौरान पैदा हुए बच्चों की मौत हो गई थी।
क्या भारत में होगा ऐसा?
निश्चित रूप से स्वास्थ्य मंत्री टेमिडो का इस्तीफा यह बताता है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए यह कदम उठाया। लेकिन क्या भारत सहित अन्य ऐसे देशों में जहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है और कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी, वहां पर भी मंत्री ऐसा कोई उदाहरण आम लोगों के सामने पेश करेंगे।