पाक में ट्रेन का अपहरण, 20 सुरक्षा कर्मियों की मौत, 182 यात्री बंधक

08:45 pm Mar 11, 2025 | सत्य ब्यूरो

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक बड़ी घटना ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। क्वेटा से पेशावर जा रही जफ्फर एक्सप्रेस ट्रेन पर बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने हमला कर दिया। इस हमले में ट्रेन ड्राइवर घायल हो गया। बीएलए ने दावा किया है कि उसने ट्रेन को अगवा कर लिया है, 20 सुरक्षाकर्मी मार डाले हैं और 182 यात्रियों को बंधक बना लिया है जिनमें सुरक्षा बलों के जवान भी शामिल हैं। हालांकि, प्रांतीय सरकार और रेलवे अधिकारियों ने बंधकों की पुष्टि नहीं की है। ट्रेन में क़रीब 400 यात्री सवार थे। यह घटना बलूचिस्तान में दशकों से चल रहे उग्रवादी विद्रोह का एक और उदाहरण है, जो क्षेत्र की अस्थिरता को उजागर करती है।

जफ्फर एक्सप्रेस में नौ डिब्बों में लगभग 400 यात्री सवार थे। यह ट्रेन जब बलूचिस्तान के बोलन जिले के मुश्काफ इलाके से गुजर रही थी, तभी उग्रवादियों ने उस पर गोलीबारी शुरू कर दी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, हमले में ट्रेन का ड्राइवर घायल हो गया, जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। बीएलए ने अपने बयान में इस हमले की जिम्मेदारी ली और दावा किया है कि उसने ट्रेन पर कब्जा कर लिया और कई यात्रियों को बंधक बना लिया है। इसने कहा है कि बंधकों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के जवान भी शामिल हैं। संगठन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार ने सैन्य कार्रवाई की कोशिश की, तो बंधकों की जान ख़तरे में पड़ सकती है।

हालाँकि, बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने कहा कि घटना की गंभीरता का आकलन किया जा रहा है, और आपातकालीन उपाय लागू कर सभी संस्थानों को स्थिति से निपटने के लिए सक्रिय कर दिया गया है। सुरक्षा बल मौक़े पर पहुंच गए हैं और ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है, लेकिन अभी तक बंधकों की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।

बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद करने की मांग करने वाला सबसे बड़ा अलगाववादी संगठन है। यह समूह लंबे समय से सरकार, सेना और क्षेत्र में चीनी हितों पर हमले करता रहा है। बीएलए का कहना है कि बलूचिस्तान के खनिज और गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों को केंद्र सरकार अनुचित तरीक़े से हड़प रही है, जिसका लाभ स्थानीय बलूच लोगों को नहीं मिलता। इस हमले को भी इसी मांग से जोड़कर देखा जा रहा है। संगठन ने अपने बयान में कहा कि यह हमला एक सुनियोजित ऑपरेशन था, जिसका मकसद पाकिस्तानी सरकार पर दबाव डालना और अपनी मांगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना था।

बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। यह दशकों से उग्रवादी विद्रोह का गढ़ रहा है। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, लेकिन बलूच समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान की केंद्र सरकार इन संसाधनों का दोहन करती है, जबकि स्थानीय लोगों को गरीबी और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। 

बीएलए जैसे समूह इन शिकायतों को आधार बनाकर सरकार और सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। हाल में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजनाओं के शुरू होने के बाद इन हमलों में तेजी आई है, क्योंकि बीएलए वाले इसे अपने क्षेत्र में बाहरी हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं।

इस हमले ने पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा बलों के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। एक तरफ़, बंधकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ज़रूरी है, वहीं दूसरी ओर उग्रवादियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग भी उठ रही है। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन इलाक़े का दुर्गम भूभाग और बीएलए की रणनीति इसे जटिल बना रही है। बलूचिस्तान सरकार ने इसे संभावित आतंकी घटना मानते हुए सभी संसाधनों को लगा दिया है।

जफ्फर एक्सप्रेस पर यह हमला बलूचिस्तान में चल रहे संघर्ष की गंभीरता को दिखाता है। सुरक्षा बलों को बंधक बनाने का बीएलए का दावा यदि सही साबित हुआ तो यह स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है। यह घटना न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी सवाल उठाती है। सरकार के सामने अब दोहरी जिम्मेदारी है— एक तरफ उग्रवाद से निपटना और दूसरी तरफ बलूचिस्तान के लोगों की वास्तविक शिकायतों का समाधान करना। अगर इन मांगों को अनसुना किया गया, तो आने वाले दिनों में ऐसे हमले और बढ़ सकते हैं।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)