'टैरिफ़ वार' से दुनिया भर में तहलका मचा देने वाले डोनाल्ड ट्रंप आख़िर कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ़ लगाने से पीछे क्यों हटते दिख रहे हैं? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति अब इस टैरिफ़ वार के असर को खुद ही महसूस करने लगे हैं?
दरअसल, ट्रंप ने गुरुवार को कनाडा और मैक्सिको से आयात पर लगने वाले कुछ नए शुल्कों को स्थगित कर दिया है। इस फ़ैसले के बाद कनाडा ने भी अमेरिकी उत्पादों पर आगे लगाए जाने वाले जवाबी टैरिफ़ को रोक दिया है। यह क़दम कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आया है। हालाँकि, ट्रंप के इस क़दम के बावजूद जानकारों का मानना है कि अमेरिका की टैरिफ़ नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार पर भारी पड़ सकती है।
ट्रंप द्वारा नये टैरिफ़ को टाले जाने का यह फ़ैसला तब आया है जब मंगलवार को ट्रंप द्वारा 25 प्रतिशत तक के टैरिफ़ लागू करने के बाद शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी थी कि ये टैरिफ़ अमेरिकी विकास को धीमा कर सकते हैं और महंगाई को बढ़ा सकते हैं।
जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही टैरिफ़ की घोषणा किए जाने के बाद से ही इसका अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। ट्रंप के इस निर्णय से मैक्सिको, चीन और कनाडा के साथ आर्थिक गतिरोध का ख़तरा बढ़ गया है। ये देश अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। जब इन मुल्कों से सामानों पर भारी शुल्क लगाया जाएगा तो अमेरिका में इससे महंगाई की स्थिति भी काफी ख़राब हो सकती है।
तो सवाल है कि ट्रंप आख़िर इतना बड़ा जोखिम क्यों ले रहे हैं? आख़िर उनका मक़सद क्या है? ट्रंप के टैरिफ एक व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करने और अवैध इमिग्रेशन व मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों से निपटने के अपने अभियान के वादों को पूरा करना है। राष्ट्रपति लंबे समय से यह तर्क देते रहे हैं कि अमेरिका की आर्थिक शक्ति को बहाल करने के लिए टैरिफ़ ज़रूरी हैं। ट्रंप इसके लिए वे 19वीं सदी के अंत से तुलना करते हैं, जब अमेरिका राजस्व के लिए टैरिफ पर बहुत अधिक निर्भर था।
अब ट्रंप को इसकी भारी क़ीमत भी चुकानी पड़ेगी। उनको महंगाई को काबू में करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
ट्रंप प्रशासन यह दांव लगा रहा है कि टैरिफ़ के कारण आए आर्थिक जोखिम महंगाई को काफ़ी ज़्यादा ख़राब नहीं करेंगे या वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर नहीं करेंगे। दावे कुछ भी किए जाएँ, लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ़ वार के नतीजे दूरगामी होंगे। और लगता है कि यह ट्रंप प्रशासन को समझ में आने लगा है।
तभी तो ट्रंप ने गुरुवार को उत्तरी अमेरिकी व्यापार समझौते यानी यूएसएमसीए के तहत कनाडा और मैक्सिको से आने वाले आयात पर शुल्कों को 2 अप्रैल तक स्थगित कर दिया। ट्रंप ने हालांकि यह साफ़ किया कि उनका यह फ़ैसला बाजार के दबाव से नहीं, बल्कि रणनीतिक कारणों से लिया गया है।
इस स्थगन से ऑटोमोबाइल उद्योग को सबसे अधिक राहत मिली है। उत्तरी अमेरिका में ऑटो पार्ट्स उत्पादन के दौरान कई बार सीमाओं को पार करते हैं। टैरिफ़ से इस पर भारी असर पड़ सकता था। अमेरिका की तीन बड़ी ऑटोमेकर कंपनियों के साथ बातचीत के बाद वाशिंगटन ने शुरू में एक महीने की छूट की घोषणा की। ट्रंप ने कहा कि यह क़दम हमारे अमेरिकी कार निर्माताओं के लिए माहौल को और अनुकूल बनाता है।
कनाडा और मैक्सिको की प्रतिक्रिया
ट्रंप के फ़ैसले के तुरंत बाद कनाडाई वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कनाडा '125 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर दूसरे दौर के टैरिफ़ को 2 अप्रैल तक लागू नहीं करेगा। हम सभी टैरिफ़ को हटाने के लिए काम करते रहेंगे।' हालाँकि, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि वाशिंगटन के साथ व्यापार युद्ध निकट भविष्य तक जारी रहेगा, भले ही कुछ क्षेत्रों के लिए राहत मिले। ट्रूडो ने जोर देकर कहा कि उनका मक़सद सभी टैरिफ़ को हटाना है।
दूसरी ओर, ट्रंप ने मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम के साथ बहुत अच्छी बातचीत होने का दावा किया और कहा कि अवैध आव्रजन और ड्रग्स मामले में जबरदस्त प्रगति हुई है। बता दें कि अमेरिका ने इन मुद्दों को मैक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ़ लगाने के कारणों में से एक बताया था।
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार काटो इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष स्कॉट लिंसिकोम ने ट्रंप के शुल्कों में ढील को आर्थिक वास्तविकता की स्वीकारोक्ति करार दिया। उन्होंने कहा कि यह क़दम दिखाता है कि टैरिफ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करते हैं, इसका बोझ अमेरिकियों पर पड़ता है, और बाजार को यह अनिश्चितता पसंद नहीं आती। हालाँकि, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें ट्रंप के टैरिफ़ से महंगाई की चिंता नहीं है।
ट्रंप ने गुरुवार को कहा है कि 2 अप्रैल को और शुल्क लागू होंगे, जो जवाबी टैरिफ़ की तरह होंगे। वह पहले भी ऐसी ही बातें करते रहे हैं। इसके अलावा, स्टील और एल्यूमीनियम आयात पर व्यापक शुल्क अगले सप्ताह से लागू होंगे, जिनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
ट्रंप की शुल्क नीति ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा की है। कनाडा और मैक्सिको के लिए अस्थायी राहत के बावजूद, यह माना जा रहा है कि यह क़दम लंबे समय तक चलने वाली आर्थिक चुनौतियों का समाधान नहीं करेगा। ट्रंप इसे सरकारी राजस्व और व्यापार संतुलन के साधन के रूप में देखते हैं, लेकिन बाजार की अस्थिरता और सहयोगियों के साथ तनाव बताते हैं कि यह रणनीति आसान नहीं होगी। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप अपने टैरिफ़ एजेंडे को पूरी तरह लागू कर पाते हैं या आर्थिक दबाव उन्हें और बदलाव के लिए मजबूर करते हैं।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)