पाकिस्तान के 50 से ज़्यादा मौलानाओं ने इमरान ख़ान सरकार को उसके द्वारा धार्मिक सभाओं में ज़्यादा लोगों के जुटने पर रोक लगाये जाने को लेकर चेतावनी दी है। मौलानाओं का कहना है कि सरकार को प्रतिबंध लगाने के बजाए अल्लाह से माफ़ी मांगने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में लोगों को मसजिद में जाने की अनुमति देनी चाहिए।
इमरान ख़ान सरकार ने धार्मिक कार्यक्रमों में 5 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है। ऐसा देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए किया गया है। पाकिस्तान में इस वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 6000 के क़रीब पहुंच चुकी है और 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
इमरान सरकार की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील किये जाने के बाद भी रावलपिंडी और इस्लामाबाद के 53 से ज़्यादा मौलानाओं ने सोमवार को एक बैठक की। बैठक में सरकार को प्रतिबंध लगाने के लिए चेतावनी दी गई और कहा गया कि नेताओं को धार्मिक मान्यताओं का पालन करना चाहिए और अल्लाह से माफ़ी मांगनी चाहिए।
मौलानाओं की चेतावनी से इमरान सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि अप्रैल के अंतिम हफ़्ते में रमज़ान शुरू होने हैं और सरकार इस दौरान भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने के लिये बड़े स्तर पर योजना बनाने में जुटी है।
मौलानाओं का कहना है कि मसजिदों को बंद करने, शुक्रवार की नमाज़ को रोके जाने को पाकिस्तान के लोग स्वीकार नहीं कर सकते। हालांकि मौलाना इस बात पर सहमत हैं कि वे सैनिटाइजर का इस्तेमाल करेंगे, मसजिदों की बेहतर साफ-सफाई करेंगे और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखेंगे।
पंजाब सबसे ज़्यादा प्रभावित
मौलानाओं की ये चेतावनी ऐसे समय में आई है जब जब पाकिस्तान में बीते 24 घंटे में संक्रमण के 342 नये मामले सामने आ चुके हैं। पाकिस्तान में पंजाब सबसे ज़्यादा प्रभावित है। पंजाब में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,826, सिंध में 1,452, ख़ैबर-पख्तूनख़्वा में 800, गिलगित बालटिस्तान में 233 मामले हैं। इसके अलावा बलोचिस्तान, इस्लामाबाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे हैं।
चुकानी पड़ेगी बड़ी क़ीमत!
जब दुनिया भर में इस वायरस का कहर चरम पर है और सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की जा रही है, ऐसे समय में मौलानाओं का इमरान सरकार को चेतावनी देना बेहद ख़तरनाक है। क्योंकि रमजान के दौरान यदि लोग घरों से बाहर निकले तो इस वायरस का संक्रमण फैल सकता है और पाकिस्तान को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।