पाक रुपया सबसे निचले स्तर पर, डॉलर की कीमत 144 

07:05 pm Nov 30, 2018 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पाकिस्तानी रुपया लगातार छठे दिन गिरते हुए शुक्रवार को अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया। कारोबार बंद होते समय एक अमरीकी डॉलर की कीमत 144 रुपए थी। पाक मुद्रा ने दिन भर में पाँच फ़ीसद की गिरावट दर्ज की।

बाज़ार निराश

यह इमरान ख़ान सरकार के सौ दिन पूरे करने के ठीक एक दिन बाद हुआ है। पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से और कर्ज़ लेने की कोशिश की थी, पर वह बातचीत बग़ैर किसी नतीजे के ख़त्म हो गई। वित्त मंत्री असद उमर ने भी कोई वैकल्पिक योजना पेश नहीं की। उसके बाद बाज़ार को ऐसा लगा कि सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोई ख़ास कोशिश नहीं कर रही है। लिहाज़ा, उसकी निराशा बढी और रुपया टूटने लगा। पाकिस्तान स्टेट बैंक ने पहले ही मुद्रा का परोक्ष रूप से अवमूल्यन कर दिया था। नई सरकार से लोगों को उम्मीदें थीं, वे पूरी नहीं हुईं।पाक अर्थव्यवस्था बेहद बुरी स्थिति में है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत जो कुछ निवेश हो रहा है, उसका बहुत बड़ा हिस्सा चीनी अर्थव्यवस्था से ही जुड़ रहा है। गलियारा बन जाने के बाद भले ही पाकिस्तान को फ़ायदा हो, पर फ़िलहाल इसे कुछ नहीं मिल रहा है।

सऊदी पर भरोसा

पाकिस्तान ने सऊदी अरब से छह अरब डॉलर का कर्ज़ ले रखा है। उससे अर्थव्यवस्था को किसी तरह टिकाए रखा गया है। पर जब तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बड़ी रकम नहीं मिलती, विदेशी निवेशकों या बैंकों की नज़र में स्थिति नहीं सुधरेगी, तब तक बाज़ार का रुख भी नही सुधरेगा।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना में जो निवेश हो रहा है, वह चीन को जा रहा है, पाकिस्तान को ख़ास नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही आइएमएफ़ उसे कर्ज़ देने से इसलिए आनाकानी कर रहा है कि कहीं वह इस पैसे का इस्तेमाल चीन का कर्ज़ चुकाने में न करे।

आईएमएफ़ ने पहले ही पाकिस्तान को कर्ज़ दे रखा है, इसका समय पर भुगतान नहीं कर हुआ है। इसके अलावा मुद्रा कोष को यह भी डर है कि पाकिस्तान उससे कर्ज़ लेकर चीन का कर्ज़ चुका सकता है और जिस काम के लिए पैसे ले, वह नहीं भी कर सकता है। लिहाज़ा, मुद्रा कोष हीला हवाला कर रहा है। यह उसकी नीतियों के तहत ही हो रहा है। आईएमएफ़ की कर्ज़ की शर्तें कड़ी किसी भी देश के लिए होती हैं, बिगड़ती अर्थव्यवस्था के लिए कुछ ज्यादा ही कठोर होती हैं।जिस देश की अर्थव्यवस्था अनिश्चितता से गुजर रही हो, भुगतान संतुलन बेहद बुरा हो और सरकार की साफ़ और ठोस नीतियां नहीं हो, मुद्रा कोष उसे पैसा देने में कड़ी शर्तें लगाता है। पाकिस्तान इन शर्तों को भी नहीं मानना चाहता। इसका भी बाज़ार पर बुरा असर पड़ता है। पाक मुद्रा इन्हीं मुसीबतों से गुजर रहा है।