मेटा, अमेज़ॅन जैसी कंपनियाँ अपने स्टाफ में अलग-अलग नस्ल, जाति, रंग के कर्मचारियों को रखने के अपने कार्यक्रमों को ख़त्म क्यों कर रहे हैं? पहले अपने स्टाफ़ में ऐसी विविधता के लिए जहाँ ये कंपनियाँ अलग से पहल करती थीं, वहीं अब वे ऐसे कार्यक्रम कम कर रहे हैं। क्या इसके लिए उनपर अब कुछ दबाव है?
दरअसल, ख़बर आई है कि मेटा और अमेज़ॅन अपने विविधता कार्यक्रमों को कम कर रहे हैं। ये कॉर्पोरेट भी अमेरिका की उन फर्मों में शामिल हो रहे हैं जो ऐसी भर्ती और प्रशिक्षण वाली पहलों से पीछे हट रही हैं। ये कंपनियाँ और फर्म क़ानूनी और राजनीतिक जोखिमों का हवाला देते हुए ऐसा कर रही हैं। विविधता वाले ऐसे कार्यक्रमों की रूढ़िवादी लोग आलोचना करते रहे हैं।
ये आलोचनाएँ क्यों हो रही हैं और कंपनियाँ अब पीछे क्यों हट रही हैं, इसका जवाब पाने से पहले यह जान लें कि आख़िर कार्यस्थल पर विविधता के मायने क्या है और कंपनियाँ इसको क्यों अपनाती रही हैं।
कार्यस्थल पर विविधता का मतलब है एक समावेशी माहौल से जिसमें लिंग, रंग, आयु, जातीयता, शारीरिक क्षमता, यौन झुकाव, धार्मिक विश्वास आदि की परवाह किए बिना सभी श्रमिकों को समान अधिकार और अवसर मिलता है। पहले कंपनियाँ कई वजहों से अपने कार्यस्थल पर विविधता की पहल करती थीं। कंपनियों का ऐसा मानना रहा है कि कार्यस्थलों पर विविधता होने से कई लाभ मिलते हैं।
कार्यस्थल पर विविधता से कंपनी की प्रतिष्ठा और ब्रांड को बढ़ावा मिलता है। जो कंपनियां कार्यस्थल में विविधता के निर्माण और उसे बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं, उन्हें अच्छे, अधिक मानवीय और सामाजिक रूप से जिम्मेदार संगठन के रूप में देखा जाता है। कार्यस्थल पर विविधता कंपनी को और भी दिलचस्प बनाती है।
जब विभिन्न संस्कृतियों व पृष्ठभूमि के लोग एक साथ काम करते हैं तो रचनात्मकता में वृद्धि होती है। एक विविधतापूर्ण कार्यस्थल अधिक विचारों और प्रक्रियाओं को अवसर देता है और इससे उत्पादकता बढ़ती है। मार्केटिंग में भी इससे काफी ज़्यादा फायदा होता है।
तो सवाल है कि इतने फायदों के बावजूद ये कंपनियाँ अब पीछे क्यों हट रही हैं? दरअसल, इसकी शुरुआत क़रीब दो साल पहले ही हो गई थी।
विविधता लाने वाली पहलें बंद करने की शुरुआत क़रीब दो साल पहले तब हुई जब रिपब्लिकन ने ब्लैकरॉक और डिज्नी जैसी फर्मों पर हमले तेज कर दिए थे। उन पर प्रगतिशील सक्रियता का आरोप लगाया और राजनीतिक नुक़सान की धमकी दी। बड लाइट और टारगेट जैसे बड़े ब्रांडों को भी एलजीबीटीक्यू ग्राहकों को आकर्षित करने के उनके प्रयासों को लेकर प्रतिक्रिया और बहिष्कार का सामना करना पड़ा।
जबकि उससे कुछ समय पहले ही जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हत्या के बाद 2020 में भड़के 'ब्लैक लाइव्स मैटर' विरोध प्रदर्शनों के बाद विविधता, समानता और समावेश की कई पहलें की गई थीं। हालाँकि इसके कुछ समय बाद ही विविधता वाली पहलों के ख़िलाफ़ माहौल बनने लगा। हाल के अदालती फ़ैसलों ने भी विविधता कार्यक्रमों के आलोचकों को मजबूत किया है। अदालतों ने कहा कि वे भेदभावपूर्ण थे।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने निजी विश्वविद्यालयों को प्रवेश में जाति-नस्ल पर विचार करने के अधिकार को रद्द कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार अपीलीय अदालत ने नैस्डैक नीति को अमान्य कर दिया, जिसके तहत उस स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों को अपने बोर्ड में कम से कम एक महिला, नस्लीय अल्पसंख्यक या एलजीबीटीक्यू व्यक्ति को रखना होगा या ऐसा न करने का कारण बताना होगा।
बहरहाल, अब मेटा और अमेज़ॅन ने भी विविधता वाली पहलों को कम करने की घोषणा की है। यह कदम फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के मालिक मेटा प्लेटफॉर्म्स द्वारा फैक्ट फाइंडिंग कार्यक्रम को ख़त्म करने की घोषणा के तुरंत बाद उठाया गया है।
बता दें कि नव नियुक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रिपब्लिकन ने फ़ैक्ट फाइंडिंग कार्यक्रमों की आलोचना की थी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों को भेजे गए ज्ञापन में मेटा ने कहा है कि वह 'बदलते कानूनी और पॉलिसी लैंडस्केप' के कारण अपनी विविधता, समानता और समावेश यानी डीईआई प्रयासों को भी ख़त्म कर रहा है।
वॉलमार्ट और मैकडॉनल्ड्स उन अन्य फर्मों में से हैं जिन्होंने ट्रम्प के फिर से चुनाव जीतने के बाद से विविधता प्रयासों के संबंध में इसी तरह के निर्णय लिए हैं।
मेटा ने कॉलेज प्रवेश में जाति-नस्ल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हवाला दिया है और साथ ही यह भी नोट किया है कि विविधता, समानता और समावेश यानी 'डीईआई' शब्द पर 'आरोप' लग गया है। कंपनी ने कहा कि वह विविधतापूर्ण कर्मचारियों की तलाश जारी रखेगा, लेकिन अपनी मौजूदा प्रक्रिया का उपयोग करना बंद कर देगा, जो विविधतापूर्ण उम्मीदवारों के समूह से चयन करने का प्रयास करता है।
अमेज़ॅन ने अपनी आंतरिक घोषणा में कहा कि वह समावेशी अनुभव देने के लिए समर्पित है, लेकिन ऐसे कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने पर अपने नज़रिए को बदल रहा है।