मालदीव ने इजराइल से दूरी क्यों बनाई, फिलिस्तीन के साथ क्यों खड़ा हुआ

10:11 am Jun 03, 2024 | सत्य ब्यूरो

मालदीव और इजराइल के रिश्ते पिछले साल ही खत्म हो जाने चाहिए थे। लेकिन इसमें लगातार देरी हो रही थी। राजधानी माले में पिछले साल अक्टूबर से इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें उससे सभी संबंध तोड़ने की मांग मालदीव के लोग कर रहे थे। गजा में इजराइली जनसंहार के खिलाफ मालदीव में जनता का गुस्सा इतना बढ़ गया था कि वहां हिंसा के हालात पैदा हो गए थे। 

अभी यूरोप और अन्य देश जब इजराइल के खिलाफ बोलने लगे और कुछ ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी तो मालदीव के लोगों का गुस्सा और उबाल पर आ गया। उन्होंने वहां की सरकार को अंतिम चेतावनी जारी की। इसके बाद मालदीव सरकार को इजराइल को लेकर घोषणा करना पड़ी। इजराइल से मालदीव का रिश्ता सिर्फ पर्यटन व्यवसाय का ही है। इसके अलावा किसी स्तर पर कोई मेलजोल भारत की तरह नहीं है। 

मालदीव एक मुस्लिम राष्ट्र ही है। वहां से देर सवेर इस तरह की प्रतिक्रिया का इंतजार था। लेकिन कोई देश अपने कारोबार की कीमत पर ऐसा कदम उठाएगा, इसकी उम्मीद नहीं थी। लेकिन मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के दफ्तर ने "इजराइली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने" की घोषणा की। उनके कार्यालय के प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि यह प्रतिबंध कब तक लागू रहेगा।

इस घटनाक्रम के बाद इजराइल ने भी घोषणा की कि इज़राइली नागरिक मालदीव की यात्रा न करें। इजराइली विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोहरी नागरिकता वाले इजराइली भी मालदीव की यात्रा न करें। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "पहले से ही मालदीव में मौजूद इजराइली नागरिकों के लिए, देश छोड़ने पर विचार करने की सिफारिश की जाती है, क्योंकि अगर वे किसी भी कारण से संकट में घिरे तो उनकी मदद करना मुश्किल होगा।"

राष्ट्रपति कार्यालय ने रविवार को कहा कि कैबिनेट ने इजराइली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए कानूनों में बदलाव करने और इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक उपसमिति बनाने का फैसला किया है। मालदीव ने 1990 के दशक की शुरुआत में इजराइली पर्यटकों पर पिछला प्रतिबंध हटा दिया था और 2010 में संबंधों को बहाल करने के लिए कदम उठाया था। इसके बाद 2012 में मालदीव में तख्तापलट हो गया और मोहम्मद नशीद ने जो कदम उठाए थे, वे सब खत्म हो गए।

मालदीव खुलकर फिलिस्तीन के साथः फिलिस्तीन में जिस तरह इजराइली जनसंहार बढ़ रहा है, उसी तरह पूरी दुनिया में फिलिस्तीन के साथ हमदर्दी बढ़ रही है और इजराइल के लिए नफरत फैल रही है। इजराइली पर्यटकों पर प्रतिबंध लगाने के बाद राष्ट्रपति मुइज़ू ने "फिलिस्तीन के साथ एकजुटता में मालदीव" नामक अभियान की भी घोषणा की। इस अभियान के तहत मालदीव पैसा जमा करेगा और उसे फिलिस्तीन भेजा जाएगा।

मालदीव 1,000 से अधिक मूंगा द्वीपों का एक छोटा इस्लामी गणराज्य है, जो अपने एकांत रेतीले सफेद समुद्र तटों, उथले फ़िरोज़ा लैगून और रॉबिन्सन क्रूसो-शैली के गेटवे के लिए जाना जाता है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि इस साल के पहले चार महीनों में मालदीव जाने वाले इजराइलियों की संख्या घटकर 528 हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 88% कम है। 2023 में लगभग 11,000 इजरायलियों ने मालदीव का दौरा किया, जो कुल पर्यटकों का 0.6% था।

मालदीव और भारत के रिश्तों में भी हाल ही में खटास आई है। मालदीव ने भारत से कहा कि वो मालदीव से सेना को हटा ले। हालांकि मालदीव और भारत के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय तो मालदीव में तख्तापलट पर भारतीय सेना ने मदद मांगने पर वहां के राष्ट्रपति की मदद की थी। लेकिन चीन के नजदीक जाने के बाद मालदीव ने भारत से दूरी बना दी। हालांकि अभी भी भारत से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव जाते हैं। लेकिन अब दुनियाभर में समीकरण बदल रहे हैं। भारत और इजराइल की दोस्ती मोदी और नेतन्याहू बहुत आगे ले जा चुके हैं। भारत पूरी तरह इजराइली हथियारों पर निर्भर होता जा रहा है। जबकि मुस्लिम देशों में इजराइल के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वे अपनी सरकारों पर इजराइल से दोस्ती तोड़ने का दबाव बना रहे हैं। किसी भी मुस्लिम देश के मुकाबले भारत में मुस्लिम आबादी ज्यादा है।