जापान ने गुरुवार से फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का रेडियो एक्टिव पानी प्रशांत महासागर में छोड़ना शुरू कर दिया है।
जापान के इस कदम पर चीन, दक्षिण कोरिया समेत कई पड़ोसी देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जापान के पास करीब 133 करोड़ लीटर रेडियो एक्टिव पानी जमा है जिसे 30 वर्षों में समुंद्र में छोड़े जाने की योजना है।
रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक जापानी सरकार ने दो साल पहले इस योजना पर हस्ताक्षर किए थे और पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था ने इसे हरी झंडी दे दी थी।
2011 में सुनामी द्वारा नष्ट हो जाने के बाद फुकुशिमा दाइची संयंत्र को बंद करने की दिशा में डिस्चार्ज एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्लांट संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर (टेपको) ने कहा है कि पानी की रिलीज दोपहर 1:03 बजे शुरू हुई है। इस दौरान किसी भी तरह की कोई परेशानी सामने नहीं आई है।
इस जापानी न्यूक्लियर प्लांट को मेंटेन करने वाली कंपनी टेपको ने बताया है कि सबसे पहले सैंपल के तौर पर शुरुआती टैंक से थोड़ा पानी छोड़ा गया। इस दौरान पहले और बाद की स्थिति को चेक किया गया। इसमें कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई। प्लांट से पानी को रिलीज करने वाला पंप लगातार 24 घंटे चलता रहेगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुरुवार को पहले दिन करीब 2 लाख लीटर पानी छोड़ा जाना है। इसके बाद इसे बढ़ाते हुए प्रतिदिन 4.60 लाख लीटर कर दिया जाएगा।
जापान के इस कदम का चीन ने दर्ज कराया कड़ा विरोध
चीन ने जापान के इस कदम पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उसने कहा है कि जापानी सरकार ने यह साबित नहीं किया है कि छोड़ा गया पानी सुरक्षित होगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि जापानी पक्ष को अपने स्वार्थ के लिए स्थानीय लोगों और दुनिया के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर जापान ने वैज्ञानिक रूप से निराधार दावे फैलाने के लिए चीन की आलोचना की है। जापान ने कहा है कि इस जल को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है जो सही नहीं है।
चीन ने सभी जापानी सी-फूड पर लगाया प्रतिबंध लगाया
चीन ने जापानी समुद्र क्षेत्र मछलियों समेत सभी समुद्री खाने की चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन का मानना है कि समुद्री जल में रेडियो एक्टिव जल को छोड़ने से समुंद्र के जलीय जीवन को बड़ा नुकसान होगा। जापानी समुंद्री इलाके के सी-फूड को खाने से मानव स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की आशंका का हवाला देते हुए चीन ने यह प्रतिबंध लगाया है।
चीन के प्रतिबंध से जापान को को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। जापान को होने वाले नुकसान को इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि जापान ने 2022 में चीन को लगभग 600 मिलियन डॉलर मूल्य के जलीय उत्पादों का निर्यात किया था। जिससे यह जापानी निर्यात के लिए सबसे बड़ा बाजार बन गया।
इसलिए जापान समुंद्र में छोड़ रहा रेडियो एक्टिव पानी
करीब 12 वर्ष पहले 2011 में आए भूकंप और सुनामी के कारण फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में भयानक विस्फोट हुआ था। इसके बाद से ही जापान के इस प्लांट के पास 133 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी जमा है। अब जापान इस पानी से छुटकारा पाना चाहता है इसलिए इसे प्रशांत महासागर में बहा रहा है। जापान जल्द से जल्द इस जहरीले पानी से छुटकारा पाना चाहता है। यही कारण है कि पड़ोसी देशों के विरोध के बावजूद जापान समुंद्र में रेडिए एक्टिव पानी छोड़ रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां जमा पानी करीब 500 ओलिंपिक साइज स्विमिंग पूल के बराबर है।
यही कारण है कि इसके संभावित नुकसान की संभावना से चीन और दक्षिण कोरिया के लोग डरे हुए हैं।