लोकसभा ने सोमवार को सबसे पहले दिवंगत सांसदों और प्रमुख हस्तियों को मौन श्रद्धांजलि दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के शोक सन्देश पढ़ने के बाद लोकसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। लेकिन बाद में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा बिना किसी महत्वपूर्ण कामकाज के सोमवार को स्थगित हो गई। दोपहर में जैसे ही सदन दोबारा शुरू हुआ, विपक्षी सदस्यों को अडानी रिश्वत कांड और उत्तर प्रदेश के संभल दंगे के बारे में नारे लगाते, आरोपों की जांच की मांग करते हुए सुना गया। शोर इतना हुआ कि लोकसभा को स्थगित करना पड़ा।
अडानी महारिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी सांसद अडानी मुद्दे पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे। इसकी आशंका पहले से ही थी कि मोदी सरकार अडानी महारिश्वतखोरी कांड पर चर्चा नहीं होने देगी। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इस पर चर्चा के लिए सभापति को नोटिस दिया था। मोदी सरकार का इससे पहले भी यही रवैया रहा है, जब उसने अडानी मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं होने दी।
संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस सांसदों की ओर से दिए गए नोटिस में कहा गया, "अडानी रिश्वत मामले पर मोदी सरकार की चुप्पी भारत की अखंडता, अर्थव्यवस्था और ग्लोबल प्रतिष्ठा को कमजोर करती है। जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री को अडानी के साथ अपनी दोस्ती और अडानी घोटाले पर सवालों का जवाब देना चाहिए।" नोटिस में "अडानी समूह के खिलाफ यूएसए में दो अभियोगों के बाद इस चर्चा को जरूरी बताया गया है।
इससे पहले संसद के बाहर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ''चुनाव के दौरान लोगों द्वारा खारिज किए गए लोग सदन की कार्यवाही को भी बाधित करने की कोशिश करते हैं। जिन्हें लोगों ने 80-90 बार खारिज कर दिया, वे संसद में चर्चा की अनुमति नहीं देते हैं। वे लोगों की आकांक्षाओं को नहीं समझते। मुझे उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में हर दल के नए सदस्यों को अपने विचार साझा करने का मौका मिलेगा।''
मोदी ने विपक्ष के लिए पहली बार ऐसी भाषा नहीं बोली है। वो इसी अंदाज में इससे पहले भी विपक्ष पर हमला कर चुके हैं। उन्होंने संसद के बाहर कोई नई बात नहीं कही, जिससे सरकार की किसी जनकल्याणकारी भावी योजना का संकेत मिलता हो।
विपक्षी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए सोमवार सुबह ही अपनी रणनीति साफ कर दी थी। विपक्षी नेताओं की बैठक की तस्वीर साझा करते हुए खड़गे ने एक्स पर लिखा- जैसे ही संसद सत्र शुरू हो सरकार को पहला कदम अडानी रिश्वत कांड पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए। जिस की वजह से दुनिया में भारत की छवि खराब हो सकती है। खड़गे ने कहा- इंडिया गठबंधन की पार्टियां आज (सोमवार) यही मांग कर रही हैं, क्योंकि करोड़ों खुदरा निवेशकों की मेहनत की कमाई दांव पर है। हमें इस देश को चलाने के लिए एकाधिकार और कार्टेल की आवश्यकता नहीं है। हमें निजी क्षेत्र में स्वस्थ बाजार संचालित प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है, जो भारत की अंतर्निहित उद्यमशीलता की भावना को पूरा करते हुए समान अवसर, रोजगार और धन के समान वितरण की सुविधा प्रदान करे।