दक्षिण अफ्रीका में जबरदस्त बवाल, भारतीयों पर हो रहे हमले

02:06 pm Jul 16, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ़्तारी के बाद वहां के कई शहरों में जबरदस्त बवाल हो रहा है। इस बवाल में भारतीय मूल के लोगों पर भी हमले किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने इस मामले को उठाया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बारे में अफ्रीकी समकक्ष डॉक्टर नालेडी पांडोर से बात की है। 

दक्षिण अफ्रीका ने भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार क़ानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पूरी ताक़त से काम कर रही है और जल्द से जल्द शांति स्थापित करने की कोशिश में जुटी है। विदेश मंत्रालय के सचिव संजय भट्टाचार्य ने भी दक्षिण अफ्रीका के राजदूत से मुलाक़ात की है और हालात को लेकर बात की है। 

जुमा के समर्थकों ने किया बवाल

बवाल करने वाले लोग जैकब जुमा के समर्थक हैं। दक्षिण अफ्रीका के कई शहरों में लोगों ने लूटपाट और तोड़फोड़ की है। कई दुकानों में घुसकर सामान लूट लिया गया और भरकर भाग गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर क़ाबू पाने के लिए गोलियां चलाई हैं। इसके बाद प्रदर्शनकारी भड़क गए। 

जुमा के समर्थकों ने सड़कों और हाईवे को भी जाम कर दिया और टायरों में आग लगा दी। हिंसा में कई लोग घायल हो गए हैं और पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया है।

लूटपाट की ये घटनाएं पिछले बुधवार को शुरू हुई थीं। जैकब जुमा के समर्थक उन्हें सजा सुनाए जाने से बेहद नाराज़ हैं। जुमा को अदालत की अवमानना के मामले में 15 महीने की सजा सुनाई गई है। जुमा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। वह 2009 से 2018 तक देश के राष्ट्रपति के पद पर रहे थे। 

जो इलाक़े इस बवाल से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं, उनमें डरबन, पीटरमैरिट्सबर्ग और जोहान्सबर्ग शामिल हैं और इनमें बड़ी संख्या में भारत के लोग रहते हैं। ख़बरों के मुताबिक़, भारतीयों और भारतीय मूल के अफ्रीकियों के व्यवसायों को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया है। 

दक्षिण अफ्रीका में 13 लाख भारतीय रहते हैं। भारतीय समुदाय के एक नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि क्वाज़ुलु नटाल और जोहान्सबर्ग के सभी इलाक़ों में भारतीयों पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। 

अब तक इस बवाल में 70 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है। इनमें से अधिकतर की मौत भगदड़ के कारण हुई है। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और सरकारी एजेंसियां हिंसा और प्रदर्शनकारियों पर क़ाबू पाने की कोशिश में जुटी हैं।