हर रोज़ भारत से ज़्यादा केस अब इंडोनेशिया में; महामारी का नया केंद्र!

01:31 pm Jul 14, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण कहर बरपा रहा है। क़रीब 27 करोड़ की आबादी वाले इस देश में अब हर रोज़ भारत से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले आने लगे हैं। इंडोनेशिया में मंगलवार को 24 घंटे में 47 हज़ार 899 पॉजिटिव केस आए जबकि भारत में यह संख्या 38 हज़ार 792 रही। इंडोनेशिया में जो ये मामले आए वे दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं। लगता है कि इंडोनेशिया कोरोना संक्रमण का नया केंद्र बन गया है।

इंडोनेशिया की हालत बेहद ख़राब है। रिपोर्टें तो ऐसी आ रही हैं कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जैसे हालात थे क़रीब-क़रीब वैसे हालात अब इंडोनेशिया में भी बन रहे हैं। पिछली लहर में जहाँ हर रोज़ 12-13 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे थे वहीं इस लहर में हर रोज़ 47 हज़ार से ज़्यादा केस आने लगे हैं। वहाँ लगातार दो दिन से 40 हज़ार से ज़्यादा केस आ रहे हैं। मौतें भी 800 से ज़्यादा हुई हैं। पिछले हफ़्ते ही एक दिन में रिकॉर्ड एक हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई थीं। पिछले एक हफ़्ते में औसत रूप से देश में क़रीब 900 लोगों की मौत हो रही है। 

हाल ही रिपोर्ट आई थी कि अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से कई मरीज़ मारे गए थे। अस्पतालों में व्यवस्था कम पड़ने लगी है। देश के स्वास्थ्य मंत्री बुदी गुनादाई सादिकिन ने कहा है कि देश के जावा द्वीप में भी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी होने लगी है। उन्होंने कहा कि पहले 400 टन की मांग थी जो बढ़कर अब 2000 टन हो गई है। 

इंडोनेशिया में संक्रमण के मामले बढ़ने की वजह डेल्टा वैरिएंट को बताया जा रहा है। यह वही डेल्टा वैरिएंट है जिसको भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। 

भारत में सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।

इसी डेल्टा वैरिएंट को दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी आने के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है। ब्रिटेन में चौथी लहर आ गई है। रूस में तीसरी लहर है और वहाँ शनिवार को 752 मौतें हुईं जो देश में अब तक सबसे ज़्यादा है।

मेक्सिको में तीसरी लहर आ गई है। दक्षिण अफ़्रीका में तीसरी लहर आई है। फ्रांस में लगता है चौथी लहर आ रही है। दूसरे कई देशों में भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। हालाँकि भारत में संक्रमण के मामले अभी स्थिर लग रहे हैं, लेकिन जल्द ही तीसरी लहर की आशंका है। यानी सावधानी हटी तो तीसरी लहर का ख़तरा सामने होगा। 

बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण अभियान चलाने के बाद भी ब्रिटेन में चौथी लहर आ गई है। मई महीने में जहाँ हर रोज डेढ़-दो हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे थे वहीं अब संक्रमण के मामले 30 हज़ार से ज़्यादा आ रहे हैं। ब्रिटेन में डेल्टा वैरिएंट के मामले काफ़ी ज़्यादा हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी कि वहाँ हर रोज़ आने वाले संक्रमण के मामलों में से 90 फ़ीसदी से ज़्यादा डेल्टा वैरिएंट के मामले आ रहे हैं।

रूस में भी संक्रमण के मामले काफ़ी तेज़ी से बढ़े हैं। मई महीने में जहाँ हर रोज़ संक्रमण के मामले 8 हज़ार से कम आ रहे थे वहीं अब हर रोज़ 25 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आने लगे हैं। तीसरी लहर का सामना कर रहे इस देश में रिकॉर्ड संख्या में हर रोज़ क़रीब साढ़े सात सौ मौतें हो रही हैं। इससे पिछली दूसरी लहर में वहाँ हर रोज़ 500-600 मौतें हो रही थीं। दक्षिण अफ़्रीका के भी हालात उसी तरह के हैं। देश में जबरदस्त तीसरी लहर आई है और वहाँ हर रोज़ क़रीब 20 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं। 3 जुलाई को तो वहाँ 26 हज़ार से ज़्यादा केस आए थे। देश में मार्च-अप्रैल महीने में तो एक हज़ार से भी कम केस आ रहे थे।

ब्लूमबर्ग के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, यूरोपीय संघ की आबादी के 46% और अमेरिका में 52% की तुलना में, इंडोनेशिया में आबादी के केवल 10% और भारत में 14% को टीके लगाए गए हैं। पर्याप्त टीकाकरण की कमी के कारण विकासशील देशों के सामने संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा है।