इमरान खान सरकार संकट में, बहुमत से अल्पमत में आए, पाक सेना भी नाराज

06:26 pm Mar 21, 2022 | सत्य ब्यूरो

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार का संकट बढ़ता जा रहा है। इतने सारे मसले एकसाथ खड़े हो गए हैं कि राजनीतिक दल से लेकर वहां की अवाम तक गुमराह हो गई है। सरकार का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। इमरान खान की सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से यह सलाह देने के लिए कहा कि क्या वह अविश्वास मत से पहले प्रधान मंत्री इमरान खान की सत्तारूढ़ पार्टी से असंतुष्टों को आजीवन अयोग्य ठहराने की मांग कर सकती है। सरकार का यह पूछना बताता है कि हालात कहां तक पहुंच गए हैं। अदालत इस पर 24 मार्च को सुनवाई करेगी।विपक्षी दलों ने इस महीने एक प्रस्ताव पर सरकार को फंसा दिया है। पाकिस्तान राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने मीडिया से कहा कि सरकार ने उन्हें यह सलाह देने के लिए कहा था कि अपनी पार्टी को छोड़कर पक्ष बदलने वाले सांसदों को क्या अयोग्य घोषित किया जा सकता है। जावेद खान ने कहा, मूल सवाल... इसमें शामिल है कि क्या असंतुष्ट सांसदों को आजीवन अयोग्य ठहराया जाएगा। ... उन सांसदों द्वारा डाले गए वोटों का क्या महत्व होगा और इन सांसदों के वोटों की गिनती होगी या नहीं। पाकिस्तानी विपक्षी दल इमरान खान को बाहर करना चाहते हैं क्योंकि उसने अर्थव्यवस्था और शासन के कुप्रबंधन के लिए सरकार को दोषी ठहराया है। 

पाकिस्तान का कानून कहता है कि अगर सांसद अपनी पार्टी के खिलाफ मतदान करते हैं तो वे अपनी सीट खो सकते हैं, लेकिन खान की सरकार का लक्ष्य यह पता लगाना है कि क्या यह वोट डालने से पहले भी लागू होता है।

इमरान खान सरकार से कई सांसदों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिससे इस बात पर अनिश्चितता बढ़ गई है कि क्या पूर्व क्रिकेट स्टार सत्ता में बने रह सकते हैं। गठबंधन के कई सहयोगियों ने इमरान को चेतावनी दी कि वे विपक्ष में शामिल हो सकते हैं। इमरान खान को बहुमत के लिए आवश्यक न्यूनतम 172 से कम सांसदों का समर्थन प्राप्त है। 

कहा जा सकता है कि वो अल्पमत में हैं। विपक्ष के पास सदन में 163 सीटें हैं। लेकिन इमरान का साथ छोड़ने वाले सारे इधर आ जाते हैं तो बहुमत विपक्ष के पास हो जाएगा। बहरहाल, इमरान खान ने असंतुष्टों से माफी का वादा करते हुए पार्टी में लौटने की अपील की है। विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान की सेना के साथ इमरान सरकार के गंभीर मतभेद हो गए हैं, जिसका समर्थन किसी भी पार्टी के लिए उस तरह से सत्ता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है जिस तरह से चार साल पहले उनकी पार्टी ने किया था।