हांगकांग में कोरोना से तबाही मची है। यह तबाही कैसी है इसका आकलन इसी से किया जा सकता है कि अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। ताबूत ख़त्म हो रहे हैं। मुर्दाघर इतने भर गए हैं कि शवों को रेफ्रिजटर वाले कंटेनरों में रखना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर तसवीरों में देखा जा सकता है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के आसपास भी शव रखे हुए हैं।
क़रीब 74 लाख की आबादी वाले हांगकांग में अब हर रोज़ 20 हज़ार से भी ज़्यादा केस आ रहे हैं और 300 से ज़्यादा मौतें हो रही हैं। शायद ही किसी देश में इतने ख़राब हालात हुए हों। आबादी के औसत से निकाला जाए तो यह माना जा सकता है कि भारत जितनी आबादी होने पर वहाँ मौजूदा हालात में हर रोज़ 35 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आ रहे होते।
हांगकांग के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि 18 मार्च को 20,079 संक्रमण के मामले पुष्ट हुए हैं। देश में महामारी की शुरुआत के बाद से कुल मामले 10,16,944 हो गए हैं। उनमें से लगभग 97% मामले हांगकांग में आई वर्तमान लहर में आए हैं। मौजूदा लहर दिसंबर महीने में शुरू हुई थी। 9 फ़रवरी से अब तक लगभग 5,200 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। मरने वालों में ज्यादातर बुजुर्ग मरीज थे, जिनमें से ज्यादातर का पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हुआ था।
न्यूज़ एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार हांगकांग में मौतों की कुल संख्या 5,401 है जो चीन में दर्ज कुल 4,636 मौत से ज़्यादा है। चीन में अधिकारियों ने अब तक 1 लाख 26 हज़ार मामलों को ही पुष्ट किया है। यहाँ इतनी संख्या कम होने की वजह यह मानी जाती है कि चीन अपने कुल पुष्ट मामलों में बिना लक्षण वाले संक्रमण के मामलों को शामिल नहीं करता है।
इस लहर से पहले हांगकांग में आम तौर पर कोरोना संक्रमण के मामले तकनीकी तौर पर शून्य रहे थे। ऐसा इसलिए था कि वहाँ पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। लेकिन तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के साथ ही हांगकांग में हालात बदल गया।
हांगकांग में ऐसी स्थिति तब है जब दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। अमेरिका में भी संक्रमण के मामलों में उछाल आया है। चीन में तेज़ी से मामले बढ़ने के कारण कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है।
इजराइल में नया वैरिएंट मिला है। और भारत में स्वास्थ्य अधिकारियों ने उच्च स्तरीय बैठक की है। माना जा रहा है कि ये कोरोना की अगली लहर के संकेत हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने देशों से सतर्कता बरतने को कहा है। इसने कहा कि कोरोना मामलों में वैश्विक वृद्धि दिखाने वाले आंकड़े बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकते हैं क्योंकि कुछ देशों में जाँच दरों में गिरावट आई है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि एक महीने से अधिक समय तक गिरावट आने के बाद पिछले हफ्ते दुनिया भर में कोरोना के मामले बढ़ने लगे। इसने कहा है कि ऐसा कई वजहों से हो रहा है। एक तो अधिक तेज़ी से फैलने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट और इसका एक नया रूप बीए.2 है। दूसरा कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को हटाया जाना है।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने संवाददाताओं से कहा, 'यह वृद्धि कुछ देशों में परीक्षण में कमी के बावजूद हो रही है, जिसका अर्थ है कि हम जो मामले देख रहे हैं वह बहुत बड़ी समस्या का एक छोटा हिस्सा है।' तो सवाल है कि ऐसे हालात क्यों हैं? क्या कोरोना संक्रमण के दो साल बाद भी सीख नहीं ली गई है?