ब्रिटेन में एक थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां हिन्दू राष्ट्रवादी उग्रवाद और खालिस्तान आंदोलन नया खतरा हैं। हालांकि इस सूची में और भी खतरे बताये गये हैं लेकिन पहली बार हिन्दू राष्ट्रवादी उग्रवाद और खालिस्तान नाम आया है। यह रिपोर्ट दक्षिणपंथी विचारधारा वाले थिंकटैंक पॉलिसी एक्सचेंज में लीक हुई है। ब्रिटिश सरकार देश में बढ़ रहे चरमपंथ की गहन जांच करवा रही है।
ब्रिटेन की नेता, पूर्व होम सेक्रेटरी, सांसद यवेटे कूपर ने इस बारे में अगस्त से ही इसकी जांच कराई थी। पहली बार 2022 में लीसेस्टर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। कूपर ने इसकी जांच कराई है। जिसमें पहली बार हिंदू राष्ट्रवादी उग्रवाद और हिंदुत्व को नया खतरा बताया गया है। अभी ब्रिटिश सरकार ने इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
अखंड हिन्दू राष्ट्र की वकालत
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “हिंदू राष्ट्रवादी उग्रवाद एक चरमपंथी विचारधारा है जो हिंदू वर्चस्व की वकालत करती है और भारत को एक जातीय-धार्मिक हिंदू राज्य में बदलने का प्रयास करती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "हिंदुत्व हिंदू धर्म से अलग एक राजनीतिक आंदोलन है जो भारतीय हिंदुओं के आधिपत्य और भारत में एक अखंड हिंदू राष्ट्र या राज्य की स्थापना की वकालत करता है।"
इस रिपोर्ट में कहा गया है, "ब्रिटेन में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव अभी भी स्पष्ट है और लीसेस्टर की घटनाओं से पता चलता है कि दुष्प्रचार कैसे भूमिका निभा सकता है।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तमाम अपराधी गिरोहों का और उनकी गतिविधि का अक्सर दक्षिणपंथी शोषण करते हैं। दक्षिणपंथी चरमपंथी विचारधाराएं और मान्यताएं मुख्यधारा में "घुस रही" हैं। दक्षिणपंथी चरमपंथी विचारधारा अपना नेरेटिव विशेष रूप से इमीग्रेशन (आप्रवासन) और पुलिस व्यवस्था के आसपास तैयार करती है। हाल के दंगों में पुलिस के बर्ताव को मुद्दा बनाया गया। जिसमें आरोप है कि पुलिस ने कथित तौर पर अलग-अलग व्यवहार किया, जबकि उसे समान व्यवहार करना था।
रिपोर्ट में सरकार को सलाह दी गई है कि चरमपंथ के प्रति सरकार का नजरिया अब खास विचारधाराओं पर चिन्ता जताने तक नहीं, बल्कि उनके व्यवहार और गतिविधि पर आधारित होना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि “सरकार के नजरिये को किसी परिभाषा या चिंता की विशिष्ट विचारधाराओं पर आधारित न किया जाए। अगर नजरिया उन लोगों के व्यवहार और गतिविधि पर आधारित होगा तो भविष्य में प्रमाणित करने में मदद मिलेगी।''
ब्रिटिश गृह कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन निष्कर्षों पर अभी तक मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। हमारे देश के सामने आने वाली चुनौती का व्यापक आकलन करने और चरमपंथ से निपटने के लिए एक नए नजरिये की नींव रखी जानी चाहिए। ताकि हम लोगों को चरमपंथ और नफरत फैलाने वाली विचारधाराओं की ओर आकर्षित होने से रोक सकें। इसमें इस्लामिक और उग्र दक्षिणपंथी विचारधाराओं से निपटना भी शामिल है, जो आज सबसे प्रमुख मुद्दा हैं
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)