अकलियतों के हक़-हूकूक कुचलने के लिए दुनिया भर में बदनाम मुमालिक पाकिस्तान में हिंदू बिरादरी पर हो रहे अत्याचार थम नहीं रहे हैं। कुछ दिन पहले ही कराची के ल्यारी इलाक़े में हिंदू बिरादरी के एक मंदिर को ईश निंदा का आरोप लगाते हुए तोड़ दिया गया था। बीते 20 दिनों में सिंध सूबे में ये तीसरी घटना थी, जब मंदिरों को निशाना बनाया गया। इससे पहले ऐसी घटनाएं बदीन और नागरपारकर में हुई थीं।
3 नवंबर को हुई एक और घटना में सिंध के शाहदादपुर में हिंदुओं की मेघवाल बिरादरी के एक शख़्स पर आरोप लगाया गया कि उसने क़ुरान शरीफ़ को फाड़ने का गुनाह किया है। इसके बाद उसके साथ मारपीट की गई। इसका वीडियो वायरल हुआ था।
ल्यारी इलाक़े में हुई घटना में आरोप लगाया गया कि हिंदू बिरादरी के एक शख़्स ने एक कुत्ते पर कुछ आपत्तिजनक शब्द लिखे हैं। इसे लेकर ईश निंदा का आरोप लगाया गया। हिंदुओं के कई घरों पर भीड़ ने हमला किया था और मंदिरों में घुसकर वहां रखी मूर्तियों को बाहर फेंक दिया था। जबकि हिंदू बिरादरी को इस बात का कोई पता नहीं था कि यह काम किसने किया है।
‘द वायर’ के मुताबिक़, सिंध के मीरपुर खास के रहने वाले कांजी भील ने कहा कि सिंध सूबे में इस साल ईश निंदा के 9 मामले दर्ज हो चुके हैं।
पाकिस्तान में हक़ूमत चला रही पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ की ओर से नेशनल एसेंबली के लिए चुने गए लाल चंद मल्ही कहते हैं कि उन्हें ये नहीं समझ आता कि किसी एक व्यक्ति की ग़लती के लिए पूरी बिरादरी को क्यों सजा दी जा रही है।
‘द वायर’ के मुताबिक़ पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के सदस्य इक़बाल असद बट ने कहा कि ग़ैर मुसलमान भी ईश निंदा के तहत मुक़दमा दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ भी ईश निंदा के मामले दर्ज कराए गए हैं लेकिन उनके घरों पर हमले की बात कभी सामने नहीं आई।
अकलियत बिरादरियों के लिए महफ़ूज और नया पाकिस्तान बनाने की बात कहने वाले मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान इन पर हो रहे जुल्मों को रोकने में फ़ेल साबित हुए हैं।
पाकिस्तान को लेकर यह कहा जाता है कि वहां ग़ैर मुसलमानों से बदला लेने या उन पर अत्याचार करने की मंशा से ईश निंदा करने का आरोप लगा दिया जाता है। पाकिस्तान की अकलियत बिरादरी के हालात पहले से ही बेहद ख़राब हैं।
जबरन कराया धर्म परिवर्तन
न्यूयार्क टाइम्स में हाल में छपी एक ख़बर के मुताबिक़, पाकिस्तान के सिंध सूबे के बदीन में जून महीने में कई दर्जन हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुसलमान बना दिया गया।
पाकिस्तान में बुरी तरह उपेक्षित हिंदू आबादी कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से बंद हो चुके काम-धंधों की मार झेल रही है। हिंदू समुदाय के नेता भी कहते हैं कि आर्थिक दबावों के चलते भी हाल में धर्मांतरण के मामलों में तेजी आई है।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इस बात को कहा है कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय पर धार्मिक रूप से प्रेरित भयावह हमले हुए हैं और इस हिंसा, पूर्वाग्रह और असमानता को ख़त्म करने की दिशा में की गई कोई कोशिश दिखाई नहीं देती।
अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे बड़े तबक़े हिंदुओं को पाकिस्तान में दो यम दर्जे का नागरिक समझा जाता है और नौकरियों से लेकर उनके अपने मज़हब को मानने के तरीक़ों में उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
धर्म परिवर्तन कर सवान भील से मोहम्मद असलम शेख़ बन चुके एक शख़्स ने न्यूयार्क टाइम्स के साथ बातचीत में कहा था कि सामाजिक हैसियत के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा। शेख़ अपने परिवार के साथ बदीन में हुए कार्यक्रम में मुसलमान बने थे। इस कार्यक्रम में 100 से ज़्यादा लोगों ने धर्म परिवर्तन कराया था।
शेख़ ने कहा था कि ग़रीब हिंदुओं में इस तरह के धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम बात हैं। इसके बदले में उन्हें धर्म परिवर्तन कराने वाले मुसलिम उलेमाओं और दानदाता समूहों की ओर से नौकरी और ज़मीन का लालच दिया जाता है। आज़ादी के वक्त पाकिस्तान में हिंदू बिरादरी की आबादी 20.5 फ़ीसदी थी जो 1998 में घटकर 1.6 फ़ीसदी रह गई थी।
आयोग ने कहा है कि बीते कुछ सालों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है और ईश निंदा के आरोपों में भीड़ ने उन पर हमले किए हैं। आयोग के मुताबिक़, पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ख़ुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। आयोग ने कहा है कि पाकिस्तान में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का एक लंबा इतिहास रहा है।
आयोग अपनी हालिया रिपोर्ट में कहता है कि लोगों को स्कूलों में इसलामिक शिक्षा पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अलावा ईसाइयों के कब्रिस्तान और हिंदुओं के श्मशान के लिए भी देश में पर्याप्त जगह नहीं है।