क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय नजरबंद हैं। तमाम सोशल मीडिया रिपोर्ट में इस बात को कहा जा रहा है। बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी इस संबंध में ट्वीट करके स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सत्य हिन्दी अपनी तौर पर चीन के हालात या शी जिनपिंग को नजरबंद करने की पुष्टि नहीं कर रहा है।
बहरहाल, शनिवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि राजधानी बीजिंग इस समय वहां की सेना पीएलए के नियंत्रण में है। चीन का मीडिया इस संबंध में मौन है।
इन खबरों में दावा किया गया है कि बीजिंग से आने-जाने वाली अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रोक दी गई हैं, और बीजिंग दुनिया के बाकी हिस्सों से कट गया है। यह भी दावा किया गया है कि पीएलए प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नजरबंद कर दिया गया है। बीजेपी सांसद सुब्ह्मण्यम स्वामी का भी एक ट्वीट इस संबंध में देखा गया।
न्यूज हाईलैंड विजन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ और पूर्व प्रधान मंत्री वेन जिबाओ ने स्थायी समिति के पूर्व सदस्य सोंग पिंग को उनके साथ शामिल होने और सेंट्रल गार्ड ब्यूरो का कंट्रोल अपने हाथ में लेने के लिए तैयार किया है। सीजीबी राष्ट्रपति की सुरक्षा और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति को रिपोर्ट करती है।
कहां जा रहा था काफिला
सोशल मीडिया पर कई ट्विटर हैंडल से एक वीडियो ट्वीट किया जा रहा है, जिसमें सेना का बड़ा काफिला बीजिंग हीं जा रहा है। कुछ ट्वीट्स में दावा किया गया है कि राष्ट्रपति जिनपिंग को बर्खास्त कर दिया गया है। एक सामाजिक कार्यकर्ता के इस वीडियो में कहा गया है कि सेना का बड़ा काफिला लगभग 80 किमी लंबा है और बीजिंग की ओर जा रहा है। कुछ अफवाहें 22 सितंबर से ही फैली हुईं हैं कि पीएलए के सैन्य वाहन बीजिंग की ओर कूच कर रहे थे। काफिले को बीजिंग के पास हुआनलाई गांव के पास देखा गया था।कहा जा रहा है कि जैसे ही जिंताओ और जिबाओ ने सीजीबी पर नियंत्रण किया, इन अफवाहों को बल मिला। बीजिंग में केंद्रीय समिति के सदस्यों को फोन पर बैठक के लिए बुलाया गया था। जिनपिंग को उज्बेकिस्तान के समरकंद से लौटने पर हवाई अड्डे पर कथित तौर पर हिरासत में लिया गया, जहां उन्होंने एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया। रिपोर्टों में कहा गया है कि सीजीबी के सदस्य पिछले 10 दिनों से बंद कमरों में बैठकें कर रहे थे। वही रिपोर्टों में कहा गया है कि यह कार्रवाई शी से सत्ता छीनने के मकसद से की गई थी।
यह भी कहा जा रहा है कि जब शी जिनपिंग समरकंद में थे, पूर्व पीएम और राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति के खिलाफ साजिश रची थीं। इसे शी के लगातार तीसरी बार चीनी राष्ट्रपति बनने की संभावना का नतीजा बताया गया है।