कई दौर की बैठकों, लंबी बातचीत और कड़े मोल-भाव के बाद चीन और अमेरिका के बीच पहले दौर की व्यापारिक संधि हो गई। इसके तहत चीन अगले दो साल में अमेरिका से 200 अरब डॉलर मूल्य के सामान खरीदेगा। हालांकि दोनों देश करों में किसी तरह की कटौती नहीं करेंगे, पर दूसरे कई मुद्दों पर एक दूसरे को रियायतें देंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और चीन के उप प्रधानमंत्री लीऊ ही ने इस समझौते पर दस्तख़त किए। चीन ने अमेरिका से 186 अरब डॉलर के सामान का आयात किया था।
चीन जाएंगे ट्रंप!
डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि दोनों देश अतीत की ग़लतियों को सुधार रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाली ऐतिहासिक व्यापार संधि का यह पहला चरण है, जो बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि वे निकट भविष्य में चीन जाएंगे, पर उन्होंने यह नहीं कहा कि वे ऐसा कब करेंगे।
अमेरिका इस पर राज़ी हो गया है कि वह चीन के 160 अरब डॉलर के अतिरिक्त आयात पर कोई नया कर नहीं लगाएगा। इसके अलावा वह 110 अरब डॉलर के प्रस्तावित चीनी आयात पर टैक्स की दर आधी कर 7.5 प्रतिशत कर देगा।
चीन ने अमेरिका की तारीफ की और कहा कि उसने दोतरफा व्यापार को बेहतर करने की दिशा में काफी काम किया है।
दोनों देशों के बीच व्यापार रिश्ते बीते कुछ समय से बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। बहुत दिन नहीं हुए जब डोनल्ड ट्रंप ने यह कह कर सबको चौंका दिया था कि वह चीन से होने वाले आयात पर 5 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात कर लगाने जा रहे हैं। उन्होंने पहले ही 25 प्रतिशत कर लगाने का एलान कर रखा था। इस तरह चीनी उत्पादों पर अमेरिका में 30 प्रतिशत आयात शुल्क लग गया। इससे चीनी उत्पादों का अमेरिकी बाज़ार में टिकना लगभग नामुमकिन हो गया है।
लेकिन डोनल्ड ट्रंप यहीं नहीं रुके थे। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों से कहा था कि वे अपना कामकाज चीन से समेटने की तैयार करें। उन्होंने कहा, 'हमारी महान अमेरिकी कंपनियों को तुरन्त यह आदेश दिया जा रहा है कि वे चीन का विकल्प ढूंढना शुरू कर दें, वे अपनी कंपनियों को घर लाने लाएँ और अमेरिका में अपने उत्पाद बनाएँ।'