तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी प्रांत बदक्शान पर क़ब्ज़ा कर लिया है। छह दिनों के अंदर यह आठवां प्रांत है, जिस पर इस चरमपंथी गुट ने नियंत्रण कर लिया है।
इसके साथ ही तालिबान क़ब्ज़े वाले देश के दूसरे हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि हज़ारों की तादाद में लोग घर-बार छोड़ कर भाग रहे हैं।
ये ख़बरें भी आ रही हैं कि तालिबान लड़ाकों ने अपने नियंत्रण के इलाक़े से लड़कियों का अपहरण किया है और उनसे ज़बरन निकाह किया है। बुधवार की सुबह बदक्शान की राजधानी फ़ैजाबाद पर तालिबान का क़ब्ज़ा हो गया।
बदक्शान सामरिक रूप से बेहद अहम राज्य है क्योंकि यह ताजिकिस्तान से सटा हुआ है और इसकी सीमा चीन और पाकिस्तान से भी मिलती है।
मज़ार-ए-शरीफ़ में राष्ट्रपति
बदक्शान प्रांत अफ़ग़ान सरकार के हाथ से ऐसे समय निकल गया जब राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी देश के सबसे बड़े शहर मज़ार-ए-शरीफ़ गए हुए हैं। वे वहां इसलिए पहुँचे कि सैनिकों की हौसला आफ़जाई कर सकें।
दूसरी ओर, तालिबान नियंत्रण वाले इलाक़ों से ज़्यादतियों की ख़बरें आ रही हैं।
लड़कियों का अपहरण?
'इंडिया टुडे' ने समाचार एजेन्सी 'एएफ़पी' के हवाले से कहा है कि "तालिबान इल़ाकों से हज़ारों की तादाद में लोग शहर छोड़ कर भाग रहे हैं, युवाओं को पकड़ कर ज़बरन तालिबान की ओर से लड़ने के लिए भेजा जा रहा है।" इतना ही नहीं, "कुछ जगहों पर तालिबान ने शहर पर नियंत्रण के बाद लड़कियों का अपहरण किया है और उनसे ज़बरन निक़ाह कर लिया है।"
लेकिन एएफ़पी ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि इन ख़बरों की निष्पक्ष जाँच नहीं की गई है।
गला काट डाला?
कुंदूज़ में मीरवाइज ख़ान अमीरी ने एएफ़पी से कहा कि तालिबान ने एक व्यक्ति को नाई होने के संदेह में पकड़ा और उसका गला काट डाला। वह नाई नहीं था, सरकारी कर्मचारी था।
अब्दुल मन्नान ने एएफ़पी से कहा 'तालिबान के लड़ाकों ने उसके बेटे को पकड़ा और चाकू से सिर ऐसे काट डाला मानो वह भेड़ हो।'
हज़ारों की संख्या में लोग जत्थों में राजधानी काबुल पहुँच रहे हैं। ये वे लोग हैं, जिनके शहरों पर तालिबान ने क़ब्ज़ा कर लिया है उन्हें डर से भागने को मजबूर होना पड़ा।
अज़ीजुल्ला ने एएफ़पी से कहा कि तालिबान जिस तरह लड़ रहे हैं, वे जल्द ही काबुल पहुँच जाएंगे।
क्या कहा बाइडन ने?
दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को कहा है कि उन्हें अफ़ग़ानिस्तान से सैनिक बुलाने पर कोई अफ़सोस नहीं है। उन्होंने अफ़ग़ान नेताओं से अपील की कि वे एक होकर ‘अपने राष्ट्र के लिए लड़ें।’
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए बाइडन ने एक बार फिर कहा कि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से किए गए वादों को निभाएगा।
उन्होंने कहा कि इसमें हवाई सहायता, सेना की तनख़्वाह, खाने- पीने की चीजें और सैन्य उपकरणों की सप्लाई शामिल है।
लेकिन उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को अब खुद लड़ना होगा।
अफ़ग़ानों में पाक के प्रति गुस्सा
इस बीच अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान के प्रति लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और यह सोशल मीडिया पर साफ़ देखा जा सकता है।
अफ़ग़ानों का मानना है कि तालिबान अपने बल बूते इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता है न ही अफ़ग़ान सेना को इस तरह पीछे धकेल सकता है।
उनका मानना है कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है जो अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए तालिबान के इस्तेमाल की रणनीति पर चल रहा है।
#SanctionPakistan हैशटेग ट्रेंड कर रहा है और चार लाख से ज़्यादा लोगों ने ट्वीट किया है। इस विषय पर फ़ेसबुक पर भी करीब तीन लाख पोस्ट हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने इसी हैशटेग के साथ ट्वीट करते हुए लिखा कि वह संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से तालिबान के ख़िलाफ़ जंग में मदद की गुहार कर हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के पत्रकार और ओरबांद न्यूज़ के संस्थापक हबीब ख़ान ने ट्वीट किया, "अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान के छदम युद्ध के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ, इस ट्रेंड को आगे बढ़ाएँ। दस लाख तक ट्वीट करें। अफ़ग़ानिस्तान ज़िंदाबाद।"
एक दूसरे ट्वीट में वे लिखते हैं, "आप जहाँ मुमकिन हो, अफ़ग़ानिस्तान के लिए आवाज़ उठाएँ। हमारा देश जल रहा है। तीन करोड़ 70 लाख लोगों का देश पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का शिकार हो रहा है।"
कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान को अपनी 'स्ट्रैटजिक डेप्थ' के तौर पर देखता है और हर हाल वह वहाँ एक ऐसी सरकार चाहता है, जो उसके हितों की बात करे।
पाकिस्तान मौजूदा अफ़ग़ानिस्तान सरकार के साथ, भारत के संबंधों को लेकर भी अहसज रहा है।
हाल ही में इस्लामाबाद में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत की बेटी अपहरण और प्रताड़ना के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान के सोशल मीडिया में पाकिस्तान को लेकर काफ़ी ग़ुस्सा देखा गया था।