तालिबान ने जलालाबाद में नागरिकों पर गोलियाँ चलाईं, 3 मरे, दर्जन घायल

07:58 pm Aug 18, 2021 | सत्य ब्यूरो

तालिबान भले ही लोगों को यह आश्वस्त करने की कोशिश करे कि वे 'नया तालिबान' हैं, किसी को उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है, पर सच यह है कि उनके लड़ाकों ने ज़मीनी स्तर पर दमनकारी रुख अख़्तियार कर रखा है।

'अल जज़ीरा' के अनुसार, देश के पूर्वी शहर जलालाबाद में तालिबान के लड़ाकों ने आम नागरिकों पर गोलियाँ चलाई हैं, जिसमें कम से कम तीन लोग मारे गए हैं और तकरीबन एक दर्जन लोग घायल हो गए हैं। 

राष्ट्रीय झंडा हटाने पर विवाद

विवाद की शुरुआत इससे हुई कि तालिबान लड़ाकों ने शहर के बीचोबीच स्थित चौक पर लगा अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा उतार दिया और उसकी जगह अपना झंडा लगा दिया।

स्थानीय लोग बड़ी तादाद में इसके ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए, प्रदर्शन किया, तालिबान के ख़िलाफ़ नारे लगाए। 

तालिबान के लड़ाकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आम नागरिकों पर गोलियाँ चलाईं। इसमें तीन लोग मारे गए और एक दर्जन से ज़्यादा ज़ख़्मी हो गए। 

जलालाबाद में तालिबान लड़ाकों ने राष्ट्रीय झंडा उतार दिया।social media grab

महिलाओं का प्रदर्शन

तालिबान के ख़िलाफ़ आम जनता कई जगहों पर सड़कों पर उतर रही है। मंगलवार को काबुल में कुछ महिलाएं हाथों में प्लेकार्ड लेकर सड़क पर आ गईं और तालिबान लड़ाकों के सामने ही प्रदर्शन करने लगीं, नारे लगाने लगीं। 

 इसके दो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए हैं। एक वीडियो में दिखता है कि कुछ लोग बंदूकें लेकर खड़े हैं और चार महिलाएँ हाथों में तख्ती लिए हुए हैं।एक अन्य वीडियो में कई महिलाएँ हाथों में तख़्ती लिए हुए नारे लगा रही हैं। सोशल मीडिया पर उन महिलाओं के साहस की तारीफ़ की जा रही है। 

काबुल पर कब्जे के बाद हुए महिलाओं के इस प्रदर्शन के बारे में ईरानी पत्रकार और एक्टिविस्ट मसीह अलीनेजाद ने ट्वीट किया है, 'ये बहादुर महिलाएँ तालिबान के विरोध में काबुल में सड़कों पर उतरीं।

वे सीधा-साधे अपने अधिकार, काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और राजनीतिक भागीदारी का अधिकार मांग रही हैं। एक सुरक्षित समाज में रहने का अधिकार। मुझे आशा है कि अधिक महिलाएँ और पुरुष उनके साथ जुड़ेंगे।'

शिया हज़ारा नेता अब्दुल ग़नी हज़ारा की मूर्ति

शिया हज़ारा नेता की मूर्ति तोड़ी

एक ताज़ा घटनाक्रम में तालिबान लड़ाकों ने मशहूर शिया हज़ारा नेता अब्दुल अली हज़ारा की मूर्ति तोड़ दी है। 

अब्दुल अली हज़ारा समुदाय के बहुत ही प्रतिष्ठित नेता थे, तालिबान ने 1995 में उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी। उसके बाद बामियान में उनकी मूर्ति स्थापित की गई थी।

तालिबान लड़ाकों ने मंगलवार को उनकी मूर्ति तोड़ दी। 

हज़ारा अफ़ग़ानिस्तान का अल्पसंख्यक क़बीला है, जिसके लोग इसलाम के शिया संप्रदाय को मानते हैं। हज़ारा जनजाति पर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में कई बार हमले हो चुके हैं।

क्या यह नया तालिबान है और महिलाओं को कुछ छूट दे सकता है? या यह दिखावा है और महिलाओं के प्रति वैसा ही क्रूर होगा जैसा मुल्ला उमर का तालिबान था? देखें, यह वीडियो।