तालिबानी अफ़ग़ान-चीन-पाक गुट भारत के ख़िलाफ़?

09:10 pm Aug 16, 2021 | सत्य ब्यूरो

क्या भारत को रोकने के लिए चीन-पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान एक साथ आ रहे हैं? क्या मुसलमानों के हितों की रक्षा और 'क़ाफ़िरों' से लड़ने का दावा करने वाला तालिबान अब शिनजियांग के उइगुर मुसलमानों पर चुप रहेगा और कम्युनिस्ट सरकार से सहयोग करेगा?

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि चीन ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह तालिबान प्रशासन के साथ 'दोस्ती और सहयोग का रिश्ता' रखना चाहता है। 

हालांकि चीन ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, पर उसका रुख साफ हो गया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने राजधानी बीजिंग में पत्रकार सम्मेलन में सोमवार को कहा, "तालिबान ने चीन के साथ दोस्ताना रिश्ते विकसित करने की बात कई बार कही है। वे अफ़ग़ानिस्तान के विकास व पुनर्निमाण में चीन की भागेदारी का इंतजार भी कर रहे हैं। हम इसका स्वागत करते हैं।" 

चीनी प्रवक्ता ने इसके आगे कहा,

हम इस बात का सम्मान करते हैं कि अफ़ग़ान जनता को इसका अधिकार है कि वे अपना भविष्य ख़ुद तय करें, हम अफ़ग़ानिस्तान के साथ दोस्ती व सहयोग का सम्बन्ध बनाना चाहते हैं।


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हुआ चुनयिंग ने इसके साथ ही तालिबान से भी कहा कि वे सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण पर ध्यान दें और 'एक खुले व समावेशी इसलामी सरकार की स्थापना करें।' 

चीन गए थे तालिबान के लोग

बता दें कि बीते महीने तालिबान के शीर्ष नेतृत्व के लोग, जिनमें मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर भी शामिल थे, चीन गए थे। उन्होंने वहाँ चीनी विदेश मंत्री वांग यी और दूसरे लोगों से बात की थी।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजिंग ने तालिबान नेतृत्व से यह आश्वासन चाहा था कि वे उत्तर पश्चिम के मुसलिम-बहुल चीनी प्रांत शिनजियांग के उइगुर मुसलमानों के मामले में कोई दिलचस्पी नहीं लेंगे। 

समझा जाता है कि तालिबान ने बीजिंग को आश्वस्त किया था कि वे चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे और अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल चीन के ख़िलाफ़ नहीं होने देंगे।

इसका मतलब साफ था कि वे उइगुर मुसलमानों पर होने वाले कथित अत्याचार पर चुप रहेंगे। 

पाक-अफ़ग़ान-चीन

बता दें कि पाकिस्तान पहले से ही चीन का इस मुद्दे पर समर्थन करता आया है और अब तक उसने उइगुर मुसलमानों पर कुछ नहीं कहा है। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान तो यहां तक कह चुके हैं कि उन्हें उइगुर के बारे में कुछ पता ही नहीं है।

इससे यह ख़तरा बनता है कि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान मिल कर चीन के साथ सहयोग करें और भारत के ख़िलाफ़ एक गुट बना लें जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढावा दे या दूसरे तरीकों से भारत के लिए मुसीबतें पैदा करे।