किसी भी तरह देश छोड़ कर बाहर निकलने की कोशिश और इससे मची अफरातफरी में काबुल हवाई अड्डे के बाहर सात अफ़ग़ान नागरिक मारे गए हैं।
एक ब्रिटिश प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए बीबीसी से कहा, "ज़मीनी स्तर पर स्थिति बहुत ही मुश्किल है, पर हम स्थिति को सामान्य बनाने और चीजों को सुरक्षित करने के लिए वह सबकुछ कर रहे हैं जो कर सकते हैं।"
हज़ारों नागरिक किसी सूरत में देश से निकलने की कोशिश में काबुल स्थित हामिद करज़ई हवाई अड्डे के बाहर जमा हैं, वहां अव्यवस्था व अफरातफरी का माहौल है।
बीते सात दिनों में काबुल में 20 लोगों की मौत हो गई है।
हवाई अड्डा अमेरिकी सैनिकों के क़ब्ज़े में है, जहाँ लगभग 4,500 अमेरिकी सैनिक जमा हैं। इसके अलावा 900 ब्रिटिश सैनिक गश्त लगा रहे हैं।
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में है कि हज़ारों अफ़ग़ान नागरिक देश से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे में काबुल एयरपोर्ट पर अफ़रा-तफ़री का माहौल है।
दूसरे देश भी अफ़ग़ानिस्तान में फँसे अपने लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही लोगों की सुरक्षा के लिए हज़ारों सुरक्षाबल भी मौजूद हैं।
एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द चेकपॉइंट्स पर तालिबान के लड़ाके तैनात हैं और बिना यात्रा दस्तेवाज़ के जाने वाले अफ़ग़ान नागरिकों को रोक रहे हैं।
विमान में बच्चे का जन्म
दूसरी ओर, अफ़ग़ानिस्तान से जर्मनी जा रहे अमेरिकी विमान में एक अफ़ग़ान महिला ने बच्चे को जन्म दिया है।
यू. एस. एयर मोबिलिटी कमांड ने ट्वीट कर कहा कि महिला अपने परिवार के साथ मध्य पूर्व से जर्मनी की यात्रा कर रही थी जब उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
जब महिला की हालत बिगड़ने लगी तो विमान के कमांडर ने विमान में हवा का दबाव बढ़ाने के लिए कम उड़ान भरी।
इसने मां के जीवन को बचाने में मदद की और उनकी स्थिति में सुधार हुआ।
जब विमान उतरा, तो अमेरिकी सैन्य डॉक्टर उसमें सवार हो गए और बच्चे को जन्म देने में मदद की। मां और बच्चा दोनों खतरे से बाहर हैं और उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है।
पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेअर ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी व नेटो सैनिकों की वापसी की आलोचना की है।
उन्होंने इसे 'ग़ैरवाजिब कदम' क़रार देते हुए कहा कि गठबंधन सेना की वापसी से जिहादी गुटों की हिम्मत बढ़ेगी।
टोनी ब्लेयर ने गठबंधन सेना की वापसी को अफ़सोसजनक, खतरनाक और ग़ैरज़रूरी' बताया है।
उन्होंने ये भी कहा कि रूस, चीन और ईरान हालात का फ़ायदा उठाएंगे।
बीस साल पहले जब टोनी ब्लेयर के प्रधानमंत्रित्वकाल में ही ब्रिटेन ने अफ़ग़ानिस्तान में अपनी फ़ौज भेजी थी।