महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) अब कानून बन चुका है। 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। उनके हस्ताक्षर के बाद सरकार ने इस कानून का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
महिला आरक्षण का कानून बन जाने से लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। हालांकि, महिलाओं को मिलने वाला यह आरक्षण नई जनगणना और सीटों के परिसीमन के बाद ही लागू होगा।
ऐसे में यह साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में यह लागू नहीं हो पाएगा। माना जा रहा है कि 2029 के लोकसभा चुनाव में इसका लाभ महिलाओं को मिल सकता है और तब संसद में कम से कम 33 प्रतिशत महिलाएं चुन कर आयेंगी।
अब इस विधेयक को देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50 प्रतिशत विधानसभाओं से पास होना जरूरी है।
वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, महिला आरक्षण कानून को लागू होने के बाद जब 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को मिलेगा तब लोकसभा में महिला सांसदों की न्यूनतम संख्या 181 हो जायेगी।
21 सितंबर को राज्यसभा से पास हुआ था यह विधेयक
संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन 21 सितंबर को राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन विधेयक) सर्वसम्मति से पास हो गया था। इस विधेयक के खिलाफ किसी सांसद ने राज्यसभा में वोट नहीं दिया था। राज्यसभा में मौजूद सभी 215 सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन किया था।राज्यसभा से पास होने के साथ ही पांच दिनों का विशेष सत्र चार दिनों में ही संपन्न हो गया था। इसके पास होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। इस विधेयक के पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में यह एक निर्णायक क्षण है।
इसके पास होने के बाद उन्होंने 140 करोड़ भारतीयों को बधाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया। पीएम ने कहा था कि इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है।
संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने के साथ, हम भारत की महिलाओं के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सशक्तिकरण के युग की शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमने विधेयक पर सार्थक चर्चा की है, भविष्य में इस चर्चा का एक-एक शब्द काम आने वाला है। हर शब्द का अपना मूल्य है, महत्व है।
लोकसभा से 20 सितंबर को पास हुआ था विधेयक
महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से 20 सितंबर को पारित हुआ था। इस दिन 454 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में वोट किया था, जिसमें 2 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया था। लोकसभा सांसदों ने एक विपक्षी सांसद की मांग पर विधेयक के खंडों पर भी मतदान किया था।इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन 'नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023' पेश किया था।
संविधान संशोधन (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस का सरकार की ओर से अमित शाह ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव के ठीक बाद महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए जनगणना कराई जाएगी।महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में चल रही बहस के बीच विपक्षी दल कोटा के भीतर कोटा की अपनी मांग पर अड़े रहे थे।
सोनिया गांधी ने 20 सितंबर को लोकसभा में विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि 'अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना होनी चाहिए'। उन्होंने कहा था कि ये बिल राजीव गांधी का सपना है।
इस बिल के पास होने से हमें खुशी होगी। यह मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है।' उन्होंने कहा था कि 'भारतीय महिला में समुद्र की तरह धैर्य है। महिलाओं के धैर्य की सीमा का अनुमान लगाना कठिन है, वे कभी आराम करने के बारे में नहीं सोचती हैं।
खड़गे ने उठाया था ओबीसी महिलाओं का सवाल
इस विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि मैं इस विधेयक का विरोध नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं पूछ रहा हूं कि आप इसमें पिछड़े वर्ग की महिलाओं को शामिल क्यों नहीं कर रहे हैं? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आप चाहते हैं कि वे पीछे रह जाएं? खड़गे ने कहा कि इस 'देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ओबीसी की है।उन्होंने कहा था कि जब यह सरकार तुरंत लागू करने के लिए अन्य कानून बना सकती है, तो क्या वह राजनीतिक सहमति होने के बावजूद यह विधेयक नहीं ला सकती थी? वह मौजूदा आंकड़ों के आधार पर महिला आरक्षण क्यों लागू नहीं किया जा सकता? डेटा अपडेट होने के बाद संख्या बढ़ाई जा सकती है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि मैं इस विधेयक के समर्थन में हूं। मेरी एक आपत्ति है, इस विधेयक के खंड 5 में कहा गया है कि विधेयक तभी लागू होगा जब परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। और जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद की जाएगी। यानी दो शर्तें रखी गई हैं पहली जनगणना और दूसरी परिसीमन।