आज सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने बिना किसी हथियार के गिरफ्तार कर लिया। दुबे की इस तरह हुई बेहद नाटकीय गिरफ्तारी से 2 सवाल खड़े होते हैं। पहला, कि ऐसे में जबकि पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस उसे ढूँढ रही थी, पूरे प्रदेश की ज़बरदस्त नाकाबंदी के दावे कर रही है, वह इतने आराम से, बिना कोई भेष बदले दूर मध्य प्रदेश तक पहुँचा कैसे और तब जबकि उसकी खोज पूरे देश में हो रही थी, उसे इस तरह खुलेआम 'महाकाल' के दर्शन की क्यों सूझी? और दूसरा अब जबकि यह लगभग तय था कि यूपी पुलिस उसे चाहे जहाँ पकड़े, महज़ उसकी गिरफ्तारी से सहमत नहीं होने वाली थी, तो क्या अब ट्रांज़िट वारंट की दशा में वह यूपी की जेलों तक सुरक्षित पहुँच जायेगा या उसे 'मुठभेड़ में मार गिराए जाने की संभावनाएँ अभी भी मौजूद हैं।
सुबह जब यूपी पुलिस की एसटीएफ़ को विकास के पकड़े जाने की ख़बर मिली तभी से पुलिस हलकों में यह चर्चा तेज़ी के साथ फैल गई कि विकास ने वस्तुतः 'सरेंडर' किया है। पुलिस के एक अधिकारी ने 'सत्य हिंदी' को बताया कि यद्यपि इस पूरे 'गिरफ्तारी खेल' से पर्दा उठने में अभी कुछ वक़्त लगेगा लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के किसी बड़े राजनेता के इस आश्वसन के बाद कि यूपी पुलिस को सौंपे जाने के बाद उसे 'मुठभेड़' में ठिकाने नहीं लगाया जायेगा, विकास 'सरेंडर' करने को तैयार हुआ।
विकास दुबे का गैंग अचानक 'राजसत्ता' की मशीनरी को इस तरह से चैलेंज करेगा, इसकी उम्मीद राज्य में किसी को नहीं थी। उत्तर प्रदेश के राजनेताओं और पुलिस के छोटे-बड़े अधिकारियों के साथ उसके जितने प्रगाढ़ सम्बन्ध थे, गिरफ्तारी के बाद उन पर से पर्दा उठना बाक़ी है। यह पर्दा बड़ा ज़बरदस्त होगा, इतना तो स्पष्ट है। राजनेता से लेकर पुलिस नौकरशाही तक कोई उसके ज़िंदा बचे रहने की हालत में बचेगा नहीं।
अभी तो वे उसके उन-उन ठिकानों को पर कार्रवाई करना चाहेंगे जहाँ मुठभेड़ के बाद उसे आश्रय मिला था। यूपी पुलिस उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही है। आम तौर पर यह तय माना जा रहा है कि यूपी में आने के बाद विकास के दिन गिने-चुने रह जायेंगे। उसे उसके कृत्यों की सज़ा दिलाने के लिए कोर्ट-कचहरी तक की प्रतीक्षा करने को कोई तैयार नहीं, न तो राजनेता और न ही पुलिस। उसके गैंग के बचे हुए दर्जन भर साथियों का भी फिर यही हश्र होने वाला है।