द्रौपदी महाकाव्य 'महाभारत' का एक चरित्र है। देश की 15वीं राष्ट्रपति का नाम द्रौपदी मुर्मू है। उन्हें यह नाम किसने दिया यह जानना बहुत रोचक है।
कुछ समय पहले एक ओडिया वीडियो पत्रिका के साथ एक इंटरव्यू में, मुर्मू ने खुद इसका खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि दरअसल उनका संथाली नाम "पुती" था। लेकिन जब उनका एडमिशन स्कूल में कराया गया तो एक टीचर ने पुती की जगह द्रौपदी में बदल दिया था।
उस इंटरव्यू में द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि द्रौपदी मेरा असली नाम नहीं था। यह मेरे टीचर द्वारा दिया गया था, जो मेरे मूल मयूरभंज से नहीं, बल्कि दूसरे जिले के थे। उन्होंने बताया था कि आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले के शिक्षक 1960 के दशक में बालासोर या कटक से सफर करके आते थे। टीचर को मेरा पिछला नाम पसंद नहीं आया और इसे अच्छा करने के लिए बदल दिया। इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा कि उन्हें द्रौपदी क्यों कहा जाता है, जो 'महाभारत' के चरित्र से मिलता-जुलता नाम है। मुर्मू ने कहा कि उनका नाम कई बार "दूरपदी" से "दौरपदी" में बदला गया था। क्योंकि लोग द्रौपदी का सही तरह से उच्चारण नहीं कर पाते थे। उन्होंने कहा कि संथाली संस्कृति में नाम नहीं मरते हैं।
उन्होंने बताया कि अगर एक लड़की पैदा होती है, तो वह अपनी दादी का नाम लेती है, जबकि बेटा दादा का नाम लेता है।
द्रौपदी, जिनका स्कूलों और कॉलेजों में टुडू का उपनाम था, ने एक बैंक अधिकारी श्याम चरण टुडू से शादी करने के बाद मुर्मू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आने से बहुत पहले, मुर्मू ने राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण पर अपने विचार स्पष्ट कर दिए थे। उनका कहना है कि पुरुषों के वर्चस्व वाली राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए। राजनीतिक दल इस स्थिति को बदल सकते हैं क्योंकि वे उम्मीदवार चुनते हैं और चुनाव लड़ने के लिए टिकट बांटते हैं। मुर्मू ने हालांकि कहा कि महिलाओं को "गुणात्मक राजनीति" पर ध्यान देना चाहिए और संसद या राज्य विधानसभाओं में सशक्तिकरण के लिए अपनी आवाज उठानी चाहिए।
18 फरवरी, 2020 को ब्रह्माकुमारी गॉडलीवुड स्टूडियो के साथ एक अन्य इंटरव्यू में, मुर्मू ने अपने 25 वर्षीय बच्चे की मृत्यु के बाद की अपनी आपबीती सुनाई।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं अपने एक बेटे की मौत के बाद पूरी तरह से टूट गई थी। मैं करीब दो महीने से उदास थी। मैंने लोगों से मिलना बंद कर दिया और घर में ही कैद रही। बाद में मैं ईश्वरीय प्रजापति ब्रह्मकुमारी में शामिल हुई, योग और ध्यान किया।
मुर्मू ने कहा, मैंने अपने जीवन में सुनामी जैसे हालात का सामना किया है और छह महीने की अवधि में अपने परिवार के तीन सदस्यों की मौतें देखी हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति श्याम चरण भी बीमार पड़ गए और 2014 में उनकी मृत्यु हो गई। मुर्मू ने यह भी कहा कि जीवन में दुख और खुशी का अपना स्थान है।