क्या मोदी तूफान की तबाही से उबरने के लिए पश्चिम बंगाल को आर्थिक पैकेज देंगे?

07:40 am May 22, 2020 | प्रमोद मल्लिक - सत्य हिन्दी

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के तूफान पीड़ितों की कोई आर्थिक मदद  करेंगे क्या वह तूफान ‘अंपन’ की तबाही से उबरने में मदद करने के लिए किसी पैकेज का एलान भी करेंगे वह शुक्रवार की सुबह कोलकाता पहुँच जाएंगे और तबाही का जायजा लेंगे। 

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि राज्य सरकार के मुताबिक़, इस तूफान से 72 लोगों की मौत हो गई है और एक लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का नुक़सान हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे कोरोना से भी अधिक भयानक बताया है। 

उन्होंने पत्रकारों से कहा, 

‘मैंने प्रधानमंत्री से कहा है कि वह सुंदरबन का मुआयना करें। इस संकट में हम सबको मिलजुल कर काम करना चाहिए। अमित शाह ने मुझे फ़ोन किया और पूरी मदद का आश्वासन दिया है।’


ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

क्या कहा प्रधानमंत्री ने

सवाल है, किस तरह की मदद, कैसी मदद इसे समझने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को समझना होगा। मोदी ने कहा, ‘पूरा देश संकट की इस घड़ी में पश्चिम बंगाल के साथ खड़ा है। तूफान प्रभावित लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। राज्य के लोगों के लिए मेरी प्रार्थना!’

मुख्यमंत्री ने तूफान में मारे गए लोगों के परिजनों को 2.50 लाख रुपए की मदद का एलान कर दिया है।

राज्य सरकार जिस तरह एक लाख करोड़ रुपए के नुक़सान की बात कर रही है और इसे कोरोना से भी अधिक ख़तरनाक बता रही है, उससे संकेत मिलता है कि वह केंद्र सरकार पर अपरोक्ष रूप से दबाव बना रही है।

चुनाव है अगले साल!

महत्वपूर्ण बात यह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले साल है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और वहाँ विपक्ष की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी अपने-अपने ढंग से इसकी तैयारी कर रही है। 

कोरोना महामारी ने दोनों दलों को एक संकट दे दिया, जिसका भरपूर इस्तेमाल वे दोनों ही कर रही हैं। जहाँ बीजेपी यह साबित करने की कोशिश में है कि तृणमूल की राज्य सरकार महामारी से रोकने में बुरी तरह नाकाम रही, तृणमूल यह नैरेटिव बनाने की जुगाड़ में है कि केंद्र सरकार राजनीतिक विद्वेष की वजह से उसकी कोई मदद नहीं कर रही है, उल्टे उसके कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है। 

तूफान पर राजनीति!

ऐसे में अंपन तूफान ने बीजेपी को एक और मौक़ा दे दिया है। वह यदि किसी आर्थिक पैकेज का एलान कर देती है तो तृणमूल के पास उसका कोई काट नहीं होगा। वह इसका विरोध नहीं कर पाएगी। 

इसके उलट पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र से पैकेज की माँग कर उसे घेर सकती है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इसकी ज़मीन तैयार करने के लिए ही प्रधानमंत्री को सुंदरबन आने को कहा है। 

बंगाल की खाड़ी में पसरे इस मैंग्रूव जंगल में छोटे-छोटे 102 टापू हैं। इनमें तकरीबन 30 लाख लोग रहते हैं। तूफान का सबसे ज़्यादा कहर इन इलाक़ों में ही है। 

बिहार में तूफान

इसी तरह का एक तूफान बिहार में 23 अप्रैल 2015 को आया था। लगभग 70 किलोमीटर की रफ़्तार से आए इस तूफान ने दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, पूर्णिया, सहरसा, कटिहार, मधेपुरा और भागलपुर ज़िलों में ज़बरदस्त कहर मचाया था, 44 लोग मारे गए थे, 100 से अधिक घायल हो गए थे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अगस्त, 2015 को पटना के गाँधी मैदान में लाखों की भीड़ वाली सभा में बिहार के लिए 125 हज़ार करोड़ रुपए के विशेष पैकेज का एलान किया था। यह पूरे राज्य के आर्थिक विकास के लिए था, उसमें तूफान राहत के लिए भी पैसे थे।

इस घोषणा के कुछ दिन बाद यानी अक्टूबर में ही बिहार विधानसभा के चुनाव थे। ये चुनाव 12 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच कई चरणों में हुए थे। प्रधानमंत्री के राहत पैकेज को इस चुनाव से जोड़ कर देखा गया था।

क्या करेंगे मोदी

वैसा ही चुनाव पश्चिम बंगाल में है और उससे भी भयानक तूफान गुजर चुका है। बिहार की तरह बंगाल में भी विरोधी दल की सरकार है। उस समय बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल युनाइटेड बीजेपी के ख़िलाफ़ थी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच जुबानी जंग चरम पर थी। वैसा ही कुछ पश्चिम बंगाल में भी है।

क्या पश्चिम बंगाल के लिए किसी पैकेज का एलान देर-सबेर होगा और सबसे बड़ा सवाल, क्या उसका हश्र बिहार पैकेज जैसा ही होगा केंद्र सरकार ने उस पैकेज का एक रुपया भी बिहार को अब तक नहीं दिया है। अब तो बीजेपी की मदद से राज्य में सरकार चला रहे नीतीश कुमार इसकी चर्चा भी नहीं करते।